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Monday, January 9, 2017

साइंस की उपेक्षा मत कीजिए

पिछले हफ्ते तिरुपति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 104वीं भारतीय साइंस कांग्रेस का उद्घाटन करते हुए कहा कि भारत 2030 तकनीकी विकास के मामले में दुनिया के टॉप तीन देशों में शामिल होगा. मन के बहलाने को गालिब ये ख्याल अच्छा है, पर व्यावहारिक नजरिए से आज हमें एशिया के टॉप तीन देशों में भी शामिल होने का हक नहीं है. एशिया में जापान, चीन, दक्षिण कोरिया, ताइवान, इसरायल और सिंगापुर के विज्ञान का स्तर हमसे बेहतर नहीं तो, कमतर भी नहीं है.

Saturday, January 17, 2015

विज्ञान-दृष्टि विहीन वैज्ञानिक

पुष्प एम. भार्गव
भारत ने पिछले 85 सालों से विज्ञान में एक भी नोबेल पुरस्कार पैदा नहीं किया. इसकी बड़ी वजह देश में वैज्ञानिक आबोहवा की गैरमौजूदगी है.

जवाहरलाल नेहरू ने अपनी पुस्तक 'डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया' में 'साइंटिफिक टेम्पर' यानी वैज्ञानिक सोच (या विज्ञान दृष्टि) जुमला ईजाद किया था. यह पुस्तक 1946 में प्रकाशित हुई. वह एसोसिएशन ऑफ़ साइंटिफिक वर्कर्स ऑफ़ इंडिया (एएसडब्ल्यूआई) नाम की संस्था के अध्यक्ष भी थे. यह संस्था बतौर ट्रेड यूनियन पंजीकृत थी और 1940 दशक और 1950 के शुरूआती वर्षों में मैं भी इससे जुड़ा रहा. यह अपनी तरह का इकलौता उदाहरण होगा जब एक लोकतांत्रिक देश का प्रधानमंत्री किसी ट्रेड यूनियन का अध्यक्ष बना हो. संस्था के उद्देश्यों में एक था- वैज्ञानिक दृष्टि का प्रचार-प्रसार. शुरू में यह काफी सक्रिय रही लेकिन 1960 दशक आते-आते पूरी तरह बिखर गयी, क्योंकि देश के ज्यादातर वैज्ञानिक, जिनमें कई ऊंचे पदों पर आसीन थे, स्वयं वैज्ञानिक दृष्टि की उस अवधारणा के प्रति प्रतिबद्ध नहीं थे, जो तार्किकता व विवेक का पक्षपोषण तथा तमाम तरह की रूढ़ियों, अंधविश्वासों व झूठ से मुक्ति का आह्वान करती है.  

Monday, December 29, 2014

रक्षा और तकनीक की चुनौतियाँ

विज्ञान, तकनीक और खासतौर से रक्षा तकनीक के मामलों में हमें सन 2015 में काफी उम्मीदें हैं। पिछले साल की शुरूआत भारत के मंगलयान के प्रक्षेपण की खबरों से हुई थी। सितम्बर में मंगलयान अपने गंतव्य तक पहुँच गया। साल का अंत होते-होते दिसम्बर जीएसएलवी मार्क-3 की सफल उड़ान के बाद भारत ने अंतरिक्ष में समानव उड़ान का एक महत्वपूर्ण चरण पूरा कर लिया है। अंतरिक्ष में भारत अपने चंद्रयान-2 कार्यक्रम को अंतिम रूप दे रहा है। साथ ही शुक्र और सूर्य की ओर भारत के अंतरिक्ष यान उड़ान भरने की तैयारी कर रहे हैं। एक अरसे से रक्षा के क्षेत्र में हमें निराशाजनक खबरें सुनने को मिलती रही हैं। पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह की तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखी गई चिट्ठी के लीक होने के बाद इस आशय की खबरें मीडिया में आईं कि सेना के पास पर्याप्त सामग्री नहीं है।

रक्षा से जुड़े अनेक फैसलों का कार्यान्वयन रुका रहा। युद्धक विमान तेजस, अर्जुन टैंक और 155 मिमी की संवर्धित तोप के विकास में देरी हो रही है। मोदी सरकार के सामने रक्षा तंत्र को दुरुस्त करने की जिम्मेदारी है। कई प्रकार की शस्त्र प्रणालियाँ पुरानी पड़ चुकी हैं। मीडियम मल्टी रोल लड़ाकू विमानों के सौदे को अंतिम रूप देना है। सन 2011 में भारत ने तय किया था कि हम फ्रांसीसी विमान रफेल खरीदेंगे और उसका देश में उत्पादन भी करेंगे। वह समझौता अभी तक लटका हुआ है। तीनों सेनाओं के लिए कई प्रकार के हेलिकॉप्टरों की खरीद अटकी पड़ी है। विक्रमादित्य की कोटि के दूसरे विमानवाहक पोत के काम में तेजी लाने की जरूरत है। अरिहंत श्रेणी की परमाणु शक्ति चालित पनडुब्बी को पूरी तरह सक्रिय होना है। इसके साथ दो और पनडुब्बियों के निर्माण कार्य में तेजी लाने की जरूरत है।

Thursday, July 4, 2013

विज्ञान-मुखी नहीं है भारतीय समाज

भारत ने अपने नेवीगेशन सैटेलाइट का प्रक्षेपण करके विज्ञान और तकनीक के मामले में जितना लम्बा कदम रखा है उतना हमने महसूस नहीं किया। इस नेटवर्क को पूरा करने के लिए अभी छह और सैटेलाइट भेजे जाएंगे। यह काम 2015 तक पूरा होगा। हम स्पेस साइंस की बिग लीग में शामिल हो चुके हैं। अमेरिका, रूस, यूरोपीय यूनियन और चीन के साथ। जापान का क्वाज़ी ज़ेनिट सिस्टम भी इस साल पूरी तरह स्थापित हो जाएगा। ग्लोबल पोज़ीशनिंग सिस्टम का इस्तेमाल हवाई और समुद्री यात्राओं के अलावा सुदूर इलाकों से सम्पर्क रखने में होता है। काफी ज़रूरत सेना को होती है। खासतौर से मिसाइल प्रणालियों के वास्ते।  

इस साल बजट अभिभाषण में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा था कि भारत इस साल अपना उपग्रह मंगल की ओर भेजेगा। केवल मंगलयान ही नहीं, चन्द्रयान-2 कार्यक्रम तैयार है। सन 2016 में पहली बार दो भारतीय अंतरिक्ष यात्री स्वदेशी यान में बैठकर पृथ्वी की परिक्रमा करेंगे। सन 2015 या 16 में हमारा आदित्य-1 प्रोब सूर्य की ओर रवाना होगा। सन 2020 तक हम चन्द्रमा पर अपना यात्री भेजना चाहते हैं। किसी चीनी यात्री के चन्द्रमा पहुँचने के पाँच साल पहले। इस बीच हमें अपने क्रायोजेनिक इंजन की सफलता का इंतजार है, जिसकी वजह से जीएसएलवी कार्यक्रम ठहरा हुआ है। देश का हाइपरसोनिक स्पेसक्राफ्ट किसी भी समय सामने आ सकता है। अगले दशक के लिए न्यूक्लियर इनर्जी का महत्वाकांक्षी कार्यक्रम तैयार है।

Tuesday, March 5, 2013

हम भी छू सकते हैं सूरज और चाँद बशर्ते...


बजट सत्र की शुरूआत करते हुए राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने घोषणा की कि भारत इस साल अपना उपग्रह मंगल ग्रह की ओर भेजेगा। केवल मंगलयान ही नहीं। हमारा चन्द्रयान-2 कार्यक्रम तैयार है। सन 2016 में पहली बार दो भारतीय अंतरिक्ष यात्री स्वदेशी यान में बैठकर पृथ्वी की परिक्रमा करेंगे। सन 2015 या 16 में हमारा आदित्य-1 प्रोब सूर्य की ओर रवाना होगा। और सन 2020 तक हम चन्द्रमा पर अपना यात्री भेजना चाहते हैं। किसी चीनी यात्री के चन्द्रमा पहुँचने के पाँच साल पहले। देश का हाइपरसोनिक स्पेसक्राफ्ट अब किसी भी समय सामने आ सकता है। अगले दशक के लिए न्यूक्लियर इनर्जी का महत्वाकांक्षी कार्यक्रम तैयार है। एटमी शक्ति से चलने वाली भारतीय पनडुब्बी अरिहंत नौसेना के बेड़े में शामिल हो चुकी है। हमारा अपना बनाया तेजस विमान तैयार है। युद्धक टैंक अर्जुन-2 दुनिया के सबसे अच्छे टैंकों से भी बेहतर बताया जा रहा है। भारत के डिज़ाइन से तैयार हो रहा है अपना विमानवाहक पोत। हम रूस के साथ मिलकर पाँचवी पीढ़ी का युद्धक विमान विकसित कर रहे हैं। रूस के साथ मिलकर ही बहुउद्देश्यीय माल-वाहक विमान भी हम डिज़ाइन करने जा रहे हैं।