रियल एस्टेट विधेयक इस हफ्ते गुरुवार को राज्यसभा में पारित हो गया। विधेयक में रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) के गठन की व्यवस्था है। सरकार ने इस विधेयक के पारित होने से पहले राज्यसभा की प्रवर समिति द्वारा सुझाए गए 20 संशोधनों को स्वीकार किया। विधेयक को अब लोकसभा में पेश किया जाएगा। पूरी तरह कानून बन जाने के बाद यह कानून मकान खरीदने वालों का मददगार साबित होगा। अलबत्ता इस दिशा में हमें और ज्यादा विचार करने की जरूरत है। खासतौर से ‘रेरा’ के दाँत पैने करने होंगे।
‘भूमि’ चूंकि राज्य विषय है, इसलिए इस सिलसिले में राज्यों के कानून लागू होते हैं। इस बिल का दायरा खरीदार और प्रमोटर के बीच समझौते और सम्पत्ति के हस्तांतरण तक सीमित है। ये दोनों मामले समवर्ती सूची में आते हैं। इसके वास्तविक प्रभाव को देखने के लिए केंद्रीय कानून को राज्यों के अपार्टमेंट एक्ट के साथ मिलाकर देखना होगा। यह कानून भविष्य के निर्माणों पर लागू होने वाला है। जरूरत इस बात की भी है कि जो योजनाएं पूरी हो चुकी हैं और जिन्हें लेकर ग्राहकों को शिकायतें है उनके बारे में भी कोई व्यवस्था हो।