पाकिस्तान की एक अदालत ने मुंबई हमले के सरगना और जमात-उद-दावा के मुखिया हाफिज सईद को आतंकवाद के दो और मामलों में 10 साल जेल की सजा सुनाई है। दोनों मामले आतंकवाद के लिए पैसे जुटाने से जुड़े हुए हैं। यह खबर जितने जोरदार तरीके से भारतीय मीडिया में प्रकाशित की जा रही है, उतने जोरदार तरीके से पाकिस्तानी मीडिया में नहीं है। पाकिस्तान के डॉन और ट्रिब्यून जैसे अखबारों की वैबसाइट पर यह खबर इन पंक्तियों के लिखे जाते समय यानी शाम 6.00 बजे के आसपास आई भी नहीं थी।
सोशल मीडिया पर भारत के लोगों की पहली प्रतिक्रिया यह है कि यह भी किसी किस्म की नौटंकी है। शायद फरवरी में होने वाली एफएटीएफ बैठक की पेशबंदी है। सच यह है कि पाकिस्तान सरकार ने पिछले साल संरा सुरक्षा परिषद से अनुरोध करके हाफिज सईद की पेंशन बँधवाई थी। हाफिज सईद को सजा दी गई है इसका मतलब साफ है कि यह किसी बात की पेशबंदी है। वह तो पाकिस्तानी सेना से जुड़ा व्यक्ति है और उसे देश का हीरो माना जाता है। बीबीसी के एक विश्लेषण के अनुसार विशेषज्ञों का मानना है कि अगर पाकिस्तान लगातार एफएटीएफ को निराश करता है और उसे ब्लैकलिस्ट कर दिया जाता है तो इसके गंभीर वित्तीय और कूटनीतिक नतीजे होंगे।
यह पहली बार नहीं
है जब किसी पाकिस्तानी अदालत ने हाफिज सईद को आतंकवाद से जुड़े किसी मामले में सजा
सुनाई हो। इससे पहले, फरवरी में एक पाकिस्तानी अदालत
उसे 11 साल की सजा सुना चुका है। उसे संयुक्त राष्ट्र ने
आतंकवादी घोषित कर रखा है और अमेरिका ने उस पर एक करोड़ अमेरिकी डॉलर का इनाम भी
घोषित कर रखा है। सईद को इस साल 17 जुलाई को गिरफ्तार किया
गया था। उसे लाहौर की कोट लखपत जेल में कड़ी सुरक्षा के बीच रखा गया था।
कोर्ट के
अधिकारियों ने बताया, ''लाहौर की आतंकवाद अदालत
ने (एटीसी) ने गुरुवार को जमात-उद-दावा के चार आतंकवादियों को, जिसमें उसका प्रमुख हाफिज सईद भी शामिल है, दो अन्य मामलों में सजा सुनाई है। सईद और उसके दो
करीबियों-जफर इकबाल और याह्या मुजाहिद- को 10 साल की सजा सुनाई गई है।
वहीं, अब्दुल रहमान मक्की को छह महीने की जेल की सजा
हुई है।
अधिकारी ने कहा, ''एटीसी कोर्ट नंबर 1 के जज अरशद हुसैन भुट्टा
ने काउंटर टेररिज्म डिपार्टमेंट द्वारा दायर मामले संख्या 16/19 और 25/19 की सुनवाई की, जिसमें नसीरुद्दीन नैयर और मोहम्मद इमरान के गवाहों के
बयानों की जांच के बाद फैसला सुनाया गया है।'' जमात के आतंकियों
के खिलाफ कुल 41 मामले सीटीडी द्वारा दर्ज किए गए हैं। इसमें से
24 पर फैसला सुनाया जा चुका है, जबकि बाकी एटीसी
कोर्ट में लंबित हैं। सईद के खिलाफ चार मामलों में फैसला सुनाया जा चुका है। हाफिज
सईद मुंबई में साल 2008 में हुए आतंकी हमलों का
मास्टरमाइंड भी है।
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