रविवार 2 जुलाई को अमेरिका में सैन फ्रांसिस्को स्थित भारतीय कौंसुलेट में कुछ खालिस्तान समर्थकों ने आग लगाने की कोशिश की। उधर कनाडा में भारतीय राजनयिकों के खिलाफ खालिस्तान-समर्थकों के पोस्टर लगे हैं। ऐसीी घटनाओं को लेकर भारत के विदेशमंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूके जैसे मित्र देशों से अनुरोध किया है कि वे खालिस्तानी तत्वों को स्पेस न दें। हाल में ऐसी घटनाएं बढ़ी हैं। हाल में कुछ खालिस्तानी नेताओं की रहस्यमय मौत भी हुई है। शायद उनके बीच आपसी झगड़े भी हैं।
बहुत से लोगों को लगता है कि खालिस्तानी आंदोलन
भारत के भीतर से निकला है और उसका असर उन देशों में भी है, जहाँ भारतीय रहते हैं।
गहराई से देखने पर आप पाएंगे कि यह आंदोलन पाकिस्तानी सत्ता-प्रतिष्ठान की देन है
और वहाँ से ही इस आंदोलन को प्राणवायु मिल रही है। इस आंदोलन के प्रणेताओं ने अपने
खालिस्तान का जो नक्शा बनाया है, उसमें लाहौर और ननकाना साहिब जैसी जगहें शामिल
नहीं हैं, जो पाकिस्तान में हैं।
गत 6 मई को पाकिस्तान से खबर आई कि आतंकी
संगठन खालिस्तान कमांडो फोर्स के मुखिया परमजीत सिंह पंजवड़ की लाहौर में हत्या कर
दी गई। उसे जौहर कस्बे की सनफ्लावर सोसाइटी में घुसकर गोलियां मारी गईं। पंजवड़
1990 से पाकिस्तान में शरण लेकर बैठा था और उसे पाकिस्तानी सेना ने सुरक्षा भी दे रखी थी। बताते हैं कि सुबह
6 बजे बाइक पर आए दो लोगों ने इस काम को अंजाम दिया और फिर वे फरार हो गए।
यह खबर दो वजह से महत्वपूर्ण है। पंजवाड़ का नाम आतंकवादियों की उस सूची में शामिल है, जिनकी भारत को तलाश है। दाऊद इब्राहीम की तरह वह भी पाकिस्तान में रह रहा था, पर वहाँ की सरकार ने कभी नहीं माना कि वह पाकिस्तान में है। भारत सरकार ने नवंबर, 2011 में 50 ऐसे लोगों की सूची पाकिस्तान को सौंपी थी, जिनकी तलाश है। गृह मंत्रालय ने 2020 में जिन नौ आतंकियों की लिस्ट जारी की थी, उनमें पंजवड़ का नाम आठवें नंबर पर था।