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Monday, May 31, 2021

जोखिमों के बावजूद टीका ही हराएगा कोरोना को

एक अध्ययन से यह बात निकलकर आई है कि दसेक साल के भीतर कोविड-19 महज सर्दी-जुकाम जैसी बीमारी बनकर रह जाएगा। पुरानी महामारियों के साथ भी ऐसा ही हुआ। कुछ तो गायब ही हो गईं। अमेरिका के यूटा विश्वविद्यालय के गणित जीव-विज्ञान के प्रोफेसर फ्रेड एडलर के अनुसार अगले दसेक साल में सामूहिक रूप से मनुष्यों के शरीर की इम्यूनिटी के सामने यह बीमारी मामूली बनकर रह जाएगी। जीव-विज्ञान से जुड़ी नवीनतम जानकारियों के आधार पर तैयार किए गए इस गणितीय मॉडल के अनुसार ऐसा इसलिए नहीं होगा कि कोविड-19 की संरचना में कोई कमजोरी आएगी, बल्कि इसलिए होगा क्योंकि हमारे इम्यून सिस्टम में बदलाव आ जाएगा। यह बदलाव हमारी प्राकृतिक-संरचना करेगी और कुछ वैक्सीन करेंगी।  

जब इस बीमारी का हमला हुआ, वैज्ञानिकों ने पहला काम इसके वायरस की पहचान करने का किया। उसके बाद अलग-अलग तरीकों से इससे लड़ने वाली वैक्सीनों को तैयार करके दिखाया। वैक्सीनों के साथ दूसरे किस्म के जोखिम जुड़े हैं। टीका लगने पर बुखार आ जाता है, सिरदर्द वगैरह जैसी परेशानियाँ भी होती हैं, पर बचाव का सबसे अच्छा रास्ता वैक्सीन ही है।

कितने वेरिएंट

पिछले एक साल में हमारे शरीरों में पलते-पलते इस वायरस का रूप-परिवर्तन भी हुआ है। इस रूप परिवर्तन को देखते हुए वैक्सीनों की उपयोगिता के सवाल भी खड़े होते हैं। हाल में ब्रिटेन से जारी हुए एक प्रि-प्रिंट डेटा (जिसकी पियर-रिव्यू नहीं हुई है) के अनुसार कोरोना वायरस के दो वेरिएंट बी.1.1.7 (जो सबसे पहले ब्रिटेन में पाया गया) और बी.1.617.2 (जो सबसे पहले भारत में पाया गया) पर फायज़र और एस्ट्राजेनेका वैक्सीन कारगर हैं। भारत के लिए यह जानकारी महत्वपूर्ण है, क्योंकि हमारे यहाँ बी.1.617 सबसे ज्यादा मिला है। बी.1.617.2 इसका ही एक रूप है।  

Monday, January 18, 2021

टीका लगाने की वैश्विक ‘अफरा-तफरी’


शनिवार 9 जनवरी को ब्रिटेन की 94 वर्षीय महारानी एलिज़ाबेथ और उनके 99 वर्षीय पति प्रिंस फिलिप को कोविड-19 का टीका लगाया गया। ब्रिटेन में वैक्सीन की वरीयता सूची में उनका भी नाम था। वैक्सीनेशन की वैश्विक गणना करने वाली एक वैबसाइट के अनुसार 11 जनवरी तक दो करोड़ 38 लाख लोगों को कोविड-19 के टीके लगाए जा चुके थे। इन पंक्तियों के प्रकाशित होने तक भारत में भी वैक्सीनेशन का काम शुरू हो जाएगा, जो दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान होगा। हालांकि आबादी के लिहाज से चीन ज्यादा बड़ा देश है, पर वैक्सीन की जरूरत भारत में ज्यादा बड़ी आबादी को है। 

इसे अफरा-तफरी कहें, हड़बड़ी या आपातकालीन गतिविधि दुनिया में इतनी तेजी से किसी बीमारी के टीके की ईजाद न तो पहले कभी हुई, और न इतने बड़े स्तर पर टीकाकरण का अभियान चलाया गया। पिछले साल के शुरू में अमेरिका सरकार ने ऑपरेशन वार्पस्पीड शुरू किया था, जिसका उद्देश्य तेजी से वैक्सीन का विकास करना। वहाँ परमाणु बम विकसित करने के लिए चली मैनहटन परियोजना के बाद से इतना बड़ा कोई ऑपरेशन नहीं चला। यह भी तय था वैक्सीन की उपयोगिता साबित होते ही उसे आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति (ईयूए) मिल जाएगी।