Saturday, October 17, 2020

विवाद का विषय क्यों बनीं रुक्मिणी कैलीमाची की 'कैलीफैट' रिपोर्ट

न्यूयॉर्क टाइम्स की प्रसिद्ध रिपोर्टर रुक्मिणी कैलीमाची को अलकायदा और इस्लामिक स्टेट की जबर्दस्त रिपोर्टिंग के कारण ख्याति मिली है। ये रिपोर्ट पॉडकास्टिंग पत्रकारिता के मील का पत्थर साबित हुई हैं। अब कनाडा में इन जानकारियों के एक सूत्रधार की गिरफ्तारी के बाद रुक्मिणी विवाद के घेरे में आ गई हैं। विवाद उनकी रिपोर्टिंग या जानबूझकर की गई किसी गलती के कारण नहीं है, बल्कि उस व्यक्ति की धोखाधड़ी से जुड़ा है, जिसकी बातों के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई थीं। इन जानकारियों के आधार पर रुक्मिणी की इन रिपोर्टों को पिछले एक दशक के सबसे उल्लेखनीय पत्रकारीय कर्म में शामिल किया गया है। साथ ही रुक्मिणी की साख बेहद विश्वसनीय रिपोर्टर के रूप में स्थापित हो गई थी। फिलहाल दोनों पर सवालिया निशान हैं और अब इस बात की पड़ताल हो रही है कि ऐसा हो कैसे गया। 

रुक्मिणी मारिया कैलीमाची रोमानिया मूल की अमेरिकी पत्रकार हैं, जो न्यूयॉर्क टाइम्स के लिए काम करती हैं। उनका नाम रुक्मिणी इसलिए है, क्योंकि उनका परिवार भारत में थियोसोफिकल सोसायटी से जुड़ा था, जिसकी नींव भारत में श्रीमती एनी बेसेंट ने रखी थीं। इसी सोसायटी से श्रीमती रुक्मिणी देवी अरुंडेल जुड़ी थीं, जिन्होंने चेन्नई में कलाक्षेत्र की स्थापना की थी। श्रीमती अरुंडेल के नाम पर उनका नाम रुक्मिणी मारिया कैलीमाची रखा गया था।

इनका परिवार रोमानिया में कम्युनिस्ट शासन के दौरान भागकर अमेरिका आ गया था। पत्रकार के रूप में उन्होंने दिल्ली में भी कुछ समय के लिए काम किया। पर उनका सबसे उल्लेखनीय काम पश्चिम एशिया में आतंकवाद से जुड़ी रिपोर्टिंग का है, खासतौर से अलकायदा और इस्लामिक स्टेट की अंदरूनी जानकारियों को दुनिया के सामने लाने का श्रेय उन्हें जाता है। इसके लिए उन्हें दो बार पुलिट्जर पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

कैलीमाची को सन 2014 में न्यूयॉर्क टाइम्स ने इस्लामी आतंकवाद को कवर करने का जिम्मा दिया। रुक्मिणी न केवल इस इलाके से अच्छी तरह परिचित थीं, बल्कि यहाँ की भाषा का भी उन्हें अच्छा ज्ञान है। इस रिपोर्टिंग के कारण सन 2016 में न्यूयॉर्क टाइम्स को पुलिट्जर पुरस्कार मिला। उनके पॉडकास्ट यानी ऑडियो रिपोर्टिंग ने पत्रकारिता के नए आयाम स्थापित किए। अप्रेल 2018 में कैलीफैट यानी खिलाफत शीर्षक से उनकी पहली ऑडियो डॉक्यूमेंट्री जारी हुई, जिसमें उन्होंने इस्लामिक स्टेट की गतिविधियों को उजागर किया।

खिलाफत वैश्विक इस्लामी साम्राज्य की प्राचीन अवधारणा है, जिसे लेकर इस्लामिक स्टेट ने सिर उठाया था। इराक और सीरिया के एक बड़े इलाके पर इस गिरोह ने कब्जा कर लिया था। अपहृत व्यक्तियों और दुश्मनों की हिंसक तरीके से हत्याएं करने के वीडियो यह संगठन जारी करता था। इन खूनी गतिविधियों का विवरण देने वाली रिपोर्टों में उस अबू हुज़ैफा द कैनेडियन के कारनामे भी शामिल थे, जिसे हाल में कनाडा की पुलिस ने होक्स (झूठ) गढ़ने के आरोप में गिरफ्तार किया है।

कनाडा में झूठ गढ़ने के खिलाफ भी होक्स लॉ है। आईएसआई से कथित रूप से जुड़े अबू हुज़ैफा का दावा था कि उसने आईएसआई की ओर से लड़ते हुए तमाम लोगों की हत्या की थी। उसके बाद वह कनाडा वापस आ गया था, जहाँ आजादी से रह रहा था। अब जो विवाद खड़ा हुआ है, वह इसी अबू हुज़ैफा के दावों के कारण है। मई 2018 में सीबीसी न्यूज की टीवी पत्रकार डायना स्वेन ने संदेह व्यक्त  किया कि यह आदमी न्यूयॉर्क टाइम्स से झूठ बोल रहा है। और अब सितंबर 2020 में कनाडा पुलिस ने उसी अबू हुज़ैफा को गिरफ्तार कर लिया है।

इस आदमी का असली नाम है शहरोज़ चौधरी। पाकिस्तानी मूल के इस व्यक्ति पर होक्स (झूठ) गढ़ने का आरोप है। अल कायदा और आईसिस के लड़ाकों के असली नामों की जगह इस्लामी इतिहास के प्रसिद्ध लड़ाकों के नाम रख लिए जाते हैं। भारत के पाठकों को जो बात अजब लगेगी, वह यह कि खबरें गढ़ना भी अपराध है। हम अक्सर मनगढ़ंत खबरें पढ़ते हैं। बहरहाल इस गिरफ्तारी के बाद से न्यूयॉर्क टाइम्स ने इस खबर की पड़ताल फिर से कराने का फैसला किया है। कैलीमाची और उनके साथियों ने इस सीरीज के लिए इराकी सेना के साथ मिलकर काम किया था और 15,000 फाइलें जिन्हें आइसिस फाइल्स कहा जाता है, तैयार कीं। इनका डिजिटाइज़ेशन, अनुवाद और विश्लेषण किया गया। न्यूयॉर्क टाइम्स और जॉर्ज वॉशिंगटन विश्वविद्यालय ने इनका इसी साल ऑनलाइन प्रकाशन भी किया है। 

कैलीफैट को लेकर अमेरिका में चल रही बहस का विवरण आगे के अंक में

 

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