हाल में न्यूयॉर्क टाइम्स के स्तंभकार बेन स्मिथ ने अपने ही अखबार की स्टार रिपोर्टर रुक्मिणी कैलीमाची की रिपोर्टों की कड़ी आलोचना की, तो पत्रकारिता की साख से जुड़े कई सवाल एकसाथ सामने आए। अप्रेल 2018 में जब न्यूयॉर्क टाइम्स में रुक्मिणी कैलीमाची और एंडी मिल्स की ‘कैलीफैट’ शीर्षक से दस-अंकों की प्रसिद्ध पॉडकास्ट सीरीज शुरू हुई थी, अमेरिका के कई पत्रकारों ने संदेह व्यक्त किया था कि यह कहानी फर्जी भी हो सकती है। संदेह व्यक्त करने वालों में न्यूयॉर्क टाइम्स के पत्रकार भी थे। इन संदेहों को व्यावसायिक प्रतिद्वंद्विता और ईर्ष्या-प्रेरित मान लिया गया। अब वही अखबार इस बात की जाँच कर रहा है कि कहाँ पर चूक हो गई।
इस विवाद के उभरने के बाद न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपने मीडिया रिपोर्टर बेन स्मिथ को पड़ताल का जिम्मा दिया है। बेन स्मिथ मशहूर बाइलाइनों धुलाई करने वाले रिपोर्टर-स्तंभकार माने जाते हैं। विवाद की खबर आने के बाद इसी अखबार के इराक ब्यूरो की पूर्व प्रमुख मार्गरेट कोकर ने ट्वीट किया कि इस सीरीज का नाम अब बदलकर ‘होक्स’ (झूठ) रख देना चाहिए। यह उनके मन की भड़ास थी। पड़ताल के दिनों में कैलीमाची के साथ मतभेद होने पर उन्होंने इस्तीफा दिया था। न्यूयॉर्क टाइम्स ने अब वरिष्ठ सम्पादकों को इस प्रकरण की जाँच का जिम्मा दिया है।
विवाद की शुरुआत
संयोग से जिन दिनों यह सीरीज प्रसारित हो रही थी, उन्हीं
दिनों डोनाल्ड ट्रंप न्यूयॉर्क टाइम्स समेत अमेरिका के तमाम अखबारों पर फ़ेकन्यूज़
फैलाने का आरोप लगा रहे थे। वह आरोप राजनीतिक खबरों को लेकर था। इस विवाद से
पत्रकारिता की साख को धक्का तो लगेगा। इस सीरीज के प्रसारण के समय से ही विवाद
खड़े होने लगे थे। इस खबर ने कनाडा की पुलिस के कान खड़े कर दिए। दो साल की तफतीश
के बाद पुलिस ने 25 सितंबर को शहरोज़ चौधरी उर्फ अबू हुज़ैफा अल-कनाडी को गिरफ्तार
किया, तो सवालों की झड़ी लग गई है।
कैलीमाची की सीरीज़ में शहरोज़ चौधरी केंद्रीय पात्र था।
अबू हुज़ैफा उसका जेहादी नाम था। पश्चिम एशिया के आतंकवाद में शामिल होने वाले
लोगों के नाम किसी ऐतिहासिक योद्धा के नाम पर रख दिए जाते हैं। बहरहाल उसकी
गिरफ्तारी जेहादी गतिविधियों में शामिल होने या किसी की गर्दन काटने की वजह से
नहीं हुई, बल्कि इसलिए हुई कि उसका यह दावा गलत साबित हुआ कि वह आइसिस का जल्लाद
था। उसे होक्स लॉ या झूठी बातें फैलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
यह वैसा ही है जैसे पुलिस को किसी विमान में बम रखा होने की
झूठी जानकारी देना। इस आदमी ने कई मीडिया हाउसों को बताया था कि मैं 2016 में
सीरिया गया था, जहाँ आईसिस में शामिल होकर
जेहादी गतिविधियों में शामिल हुआ। इस आदमी ने कई मीडिया हाउसों को बताया था
कि मैं 2016 में सीरिया गया था, जहाँ आईसिस में शामिल होकर जेहादी गतिविधियों में शामिल हुआ। जिस वक्त
कैलीमाची की स्टोरी की जाँच चल रही थी, तब इंटरनेशनल एडिटर माइकल स्लैकमैन और एक
और सम्पादक मैट पडी ने टिप्पणी भी की थी कि अबू हुफैज़ा का विवरण बहुत भयानक है,
पर पुष्ट नहीं है।
संदेह तब भी थे
इस अंदरूनी जाँच की वजह से पॉडकास्ट टीम के संवाददाताओं से
कहा गया कि वे इस बात की पुष्टि करें कि अबू हुज़ैफा का विवरण सही है। शायद इसी
वजह से एपिसोड-6 के सबटाइटल में लिखा गया ‘समथिंग वॉज़ ऑफ’ यानी कुछ गड़बड़ है। छठे एपिसोड में संवाददाताओं ने
कहा कि अबू हुज़ैफा ने घटनाओं की जो सूची दी है, वह सही नहीं है। उसने न्यूयॉर्क
टाइम्स को बताया कि मैंने दो हत्याएं कीं और सीबीसी न्यूज़ बताया कि मैं तो मामूली
पुलिस वाला था, मैंने कोई हत्या नहीं की।
सीबीसी के रिपोर्टर से उसने
कैलीमाची से बात करने के एक साल पहले बात की थी। बहरहाल बावजूद इसके स्टोरी जारी
रही। पर सीबीसी के रिपोर्टर ने जब बाद में उससे पूछा कि दोनों रिपोर्टों में यह
फर्क है, तो उसने कहा कि मैंने न्यूयॉर्क टाइम्स को गलत जानकारी दी। अब इस प्रकरण की पड़ताल करते हुए न्यूयॉर्क टाइम्स के रिपोर्टर बेन स्मिथ ने
लिखा है कि उस संदेह कैलीमाची या पॉडकास्ट टीम की ओर से नहीं आए थे, बल्कि दूसरे
आंतरिक सम्पादकों ने व्यक्त किए थे।
अगस्त 2018 में अमेरिकी पत्रिका ‘द बैफलर’ में रफिया ज़कारिया ने लिखा कि इस पॉडकास्ट सीरीज़ को इतना महत्व नहीं मिलना चाहिए।
ज़कारिया ने यह भी लिखा कि ‘आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई’ ने शिकारी पत्रकारिता को जन्म दे दिया है। पॉडकास्ट सीरीज के बाद कैलीमाची ने ‘आइसिस फाइल्स’ शीर्षक से एक सीरीज़
न्यूयॉर्क टाइम्स में लिखी। कैलीमाची और उनके साथियों ने इस सीरीज के लिए इराकी सेना के
साथ मिलकर काम किया था और 15,000 फाइलें जिन्हें ‘आइसिस फाइल्स’ कहा जाता है, तैयार कीं। इनका डिजिटाइज़ेशन, अनुवाद
और विश्लेषण किया गया।
न्यूयॉर्क टाइम्स और जॉर्ज वॉशिंगटन विश्वविद्यालय ने इनका इसी साल ऑनलाइन
प्रकाशन भी किया है। अब कहा जा रहा है कि कैलीमाची ने इराक सरकार से इन दस्तावेजों
को हासिल करने की अनुमति नहीं ली थी। आलोचकों का कहना है कि कुल मिलाकर यह पड़ताल
से ज्यादा व्यक्ति केंद्रित पत्रकारिता है। उनका कहना है कि इस सीरीज में अबू
हुज़ैफा की जगह कैलीमाची केंद्रीय पात्र बन गई हैं, जो अनुचित है। इस विवाद के बाद अब उनकी
दूसरी रिपोर्टों पर भी सवाल उठ रहे हैं। उनपर आरोप है कि उन्होंने अमेरिकी पत्रकार
जेम्स फोले के साथ दुर्व्यवहार किया था। फोले की सन 2014 में आईसिस ने हत्या की
थी। इन दिनों अमेरिकी पत्रकार कैलीमाची की आलोचना करते हुए कॉलम लिख रहे हैं। कुछ
साल पहले तक ऐसा सम्भव नहीं था, क्योंकि तब कैलीमाची का सितारा बुलंद था।
स्टार पत्रकारिता के जोखिम
रुक्मिणी कैलीमाची को अलकायदा और इस्लामिक स्टेट की
जबर्दस्त रिपोर्टिंग के कारण ख्याति मिली है। उनकी इन रिपोर्टों को पॉडकास्टिंग
पत्रकारिता के मील का पत्थर बताया गया था। इन रिपोर्टों को पिछले एक दशक के सबसे
उल्लेखनीय पत्रकारीय कर्म में शामिल किया गया है। साथ ही उनकी साख बेहद विश्वसनीय स्टार
रिपोर्टर के रूप में स्थापित हो गई थी। फिलहाल दोनों पर सवालिया निशान हैं और अब
इस बात की पड़ताल हो रही है कि ऐसा हो कैसे गया।
रुक्मिणी मारिया
कैलीमाची रोमानिया मूल की अमेरिकी पत्रकार हैं, जो न्यूयॉर्क टाइम्स के लिए काम
करती हैं। उनका नाम रुक्मिणी इसलिए है, क्योंकि उनका परिवार भारत में थियोसोफिकल
सोसायटी से जुड़ा था, जिसकी नींव भारत में श्रीमती एनी बेसेंट ने रखी थीं। इसी
सोसायटी से श्रीमती रुक्मिणी देवी अरुंडेल जुड़ी थीं, जिन्होंने चेन्नई में
कलाक्षेत्र की स्थापना की थी। श्रीमती अरुंडेल के नाम पर उनका नाम रुक्मिणी मारिया
कैलीमाची रखा गया था।
इनका परिवार
रोमानिया में कम्युनिस्ट शासन के दौरान भागकर अमेरिका आ गया था। पत्रकार के रूप
में उन्होंने दिल्ली में भी कुछ समय के लिए काम किया। पर उनका सबसे उल्लेखनीय काम
पश्चिम एशिया में आतंकवाद से जुड़ी रिपोर्टिंग का है, खासतौर से अलकायदा और
इस्लामिक स्टेट की अंदरूनी जानकारियों को दुनिया के सामने लाने का श्रेय उन्हें
जाता है। इसके लिए उन्हें दो बार पुलिट्जर पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
कैलीमाची को सन
2014 में न्यूयॉर्क टाइम्स ने इस्लामी आतंकवाद को कवर करने का जिम्मा दिया। रुक्मिणी
न केवल इस इलाके से अच्छी तरह परिचित थीं, बल्कि यहाँ की भाषा का भी उन्हें अच्छा
ज्ञान है। इस रिपोर्टिंग के कारण न्यूयॉर्क टाइम्स को पुलिट्जर पुरस्कार मिला। उनके
पॉडकास्ट यानी ऑडियो रिपोर्टिंग ने पत्रकारिता के नए आयाम स्थापित किए। अप्रेल
2018 में ‘कैलीफैट’ यानी खिलाफत शीर्षक से उनकी पहली ऑडियो
डॉक्यूमेंट्री जारी हुई, जिसमें उन्होंने इस्लामिक स्टेट की गतिविधियों को उजागर
किया।
हमारे लिए सबक
खिलाफत वैश्विक
इस्लामी साम्राज्य की प्राचीन अवधारणा है, जिसे लेकर इस्लामिक स्टेट ने सिर उठाया
था। इराक और सीरिया के एक बड़े इलाके पर इस गिरोह ने कब्जा कर लिया था। अपहृत
व्यक्तियों और दुश्मनों की हिंसक तरीके से हत्याएं करने के वीडियो यह संगठन जारी
करता था। आईएसआई से कथित रूप से जुड़े अबू हुज़ैफा अल-कनाडी (द कैनेडियन) का दावा था कि
उसने आईएसआई की ओर से लड़ते हुए तमाम लोगों की हत्या की थी। मई 2018 में सीबीसी
न्यूज की टीवी पत्रकार डायना स्वेन ने संदेह व्यक्त किया था कि यह आदमी न्यूयॉर्क
टाइम्स से झूठ बोल रहा है। और अब सितंबर 2020 में कनाडा पुलिस ने उसी अबू हुज़ैफा
को गिरफ्तार कर लिया है।
इस आदमी का असली
नाम है शहरोज़ चौधरी। पाकिस्तानी मूल के इस व्यक्ति पर होक्स (झूठ) गढ़ने का आरोप
है। इस गिरफ्तारी के बाद से न्यूयॉर्क टाइम्स ने इस खबर की पड़ताल फिर से कराने का
फैसला किया है। और अब न्यूयॉर्क टाइम्स और वॉशिंगटन पोस्ट से लेकर कोलम्बिया
जर्नलिज्म रिव्यू तक उनकी सीरीज की फिर से समीक्षा कर रहे हैं। भारत की पत्रकारिता
के लिए भी इसमें कुछ सबक हैं, पर शायद अभी हम जानते नहीं कि कैलीमाची कौन है और
उसका विवाद क्या है।
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