प्रमोद जोशी
वरिष्ठ पत्रकार, बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए
गुरुवार, 19 दिसंबर, 2013 को 11:27 IST तक के समाचार
आम आदमी पार्टी रविवार तक जनता के बीच जाकर उससे पूछेगी कि पार्टी को दिल्ली में सरकार बनानी चाहिए या नहीं. इसके बाद सोमवार को पता लगेगा कि पार्टी सरकार बनाने के लिए तैयार है या नहीं. भारत में यह जनमत संग्रह अभूतपूर्व घटना है. यूनानी नगर राज्यों के प्रत्यक्ष लोकतंत्र की तरह.
‘आप’ की पेचदार निर्णय प्रक्रिया जनता को पसंद आएगी या नहीं, लेकिन पार्टी जोखिम की राह पर बढ़ रही है. पार्टी को दुबारा चुनाव में ही जाना था, तो इस सब की ज़रूरत नहीं थी. इस प्रक्रिया का हर नतीजा जोखिम भरा है. पार्टी का कहना है कि हमने किसी से समर्थन नहीं माँगा था, पर उसने सरकार बनाने के लिए ही तो चुनाव लड़ा था.
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‘आप’ अब तलवार की धार पर है. सत्ता की राजनीति के भंवर ने उसे घेर लिया है. इस समय वह जनाकांक्षाओं के ज्वार पर है. यदि पार्टी इसे तार्किक परिणति तक पहुँचाने में कामयाब हुई तो यह बात देश के लोकतांत्रिक इतिहास में युगांतरकारी होगी.
एक सवाल यह है कि इस जनमत संग्रह की पद्धति क्या होगी? पार्टी का कहना है कि 70 विधानसभा क्षेत्रों में जनसभाएं की जाएंगी, 25 लाख पर्चे छापे जाएंगे. फेसबुक, ट्विटर और एसएमएस की मदद भी ली जाएगी.
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