मोदी सरकार के दूसरे दौर के पहले बजट में कुछ बातें अपने नएपन की वजह से ध्यान खींचती हैं। मसलन पहली बार वित्तमंत्री के हाथ में पश्चिमी परम्पराओं का प्रतीक चमड़े का काला बैग नहीं थी, बल्कि लाल रंग के मखमली कपड़े में लिपटा दस्तावेज था। दूसरे ऐसा पहली बार हुआ है कि वित्तमंत्री ने अपने भाषण में आँकड़ों को बहुत ज्यादा बताने से परहेज रखा। उन्होंने बड़े कार्यक्रमों की घोषणा भी नहीं की। नल से जल जैसी योजना को छोड़ दें, तो लोकलुभावन बातें भी नहीं थीं। इसके बावजूद बजट न केवल आकर्षक है, बल्कि भरोसा जगाता है।
इस बजट में भारतवर्ष के भविष्य की न केवल तस्वीर खींची गई है, उसे साकार बनाने के तरीकों की घोषणा की गई है। निर्मला सीतारमण का बजट भाषण सामान्य व्यक्ति को भी उतना ही समझ में आया, जितना कि विशेषज्ञों को। चूंकि बजट के ज्यादातर प्रावधान वही हैं, जो फरवरी में पेश किए गए बजट में थे। बल्कि फरवरी में ही यह भी कहा गया था कि हम भारत को पाँच साल में पाँच ट्रिलियन और आठ साल में दस ट्रिलियन डॉलर की अर्थ-व्यवस्था बनाएंगे। अलबत्ता निर्मला सीतारमण ने वहाँ तक जाने के रास्ते को स्पष्ट किया। इस साल की आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि यह काम तभी होगा, जब हमारी सालाना संवृद्धि कम से कम आठ फीसदी की दर से हो। इस बजट में उस दर को हासिल करने की दिशा नजर आती है।
वित्तमंत्री को भरोसा है कि हम इस साल तीन ट्रिलियन की सीमारेखा पार कर जाएंगे। वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी के दौर में है। हमारी उम्मीदों के तीन बड़े कारण हैं। पेट्रोलियम की कीमतों में गिरावट है, मुद्रास्फीति काबू में है और राजकोषीय घाटा 3.4 से घटकर 3.3 फीसदी पर आ गया है। यानी कि सरकार ने वित्तीय अनुशासन बनाए रखा। राजस्व के मामले में वित्तमंत्री ने आयकर में हो रही रिकॉर्ड वृद्धि का जिक्र किया है। जीएसटी पर अभी अंदेशे हैं। यों इस बजट का मुख्य जोर पूँजी निवेश और तरलता बढ़ाने पर है।
संवृद्धि के लिए पूँजी निवेश जरूरी है। नए कारोबार नहीं पनपने के कारण रोजगारों का सृजन नहीं हो पा रहा है। लम्बे अर्से से सार्वजनिक बैंक बीमार चल रहे हैं। अच्छी खबर यह है कि दिवालिया कानून वगैरह के कारण एनपीए में एक लाख करोड़ की कमी आई है, वहीं चार लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की रिकवरी हुई है। सार्वजनिक क्षेत्र के छह बैंक पीसीए के खतरे से बाहर निकल आए हैं। घरेलू कर्जों में 13 फीसदी की वृद्धि हुई है। सरकार बैंकों में 70,000 करोड़ का पूँजी प्रवाह करने जा रही है। कुल मिलाकर हालात सुधर रहे हैं। विमानन, मीडिया और बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश खोलने के प्रस्ताव हैं।
सबसे महत्वाकांक्षी योजनाएं इंफ्रास्ट्रक्चर पर भारी निवेश से जुड़ी हैं। अगले पाँच साल में सौ लाख करोड़ रुपये के पूँजी निवेश की योजना है। राजमार्गों से लेकर ग्रामीण सड़कों के निर्माण के आँकड़े सकारात्मक हैं। जल मार्ग और वन नेशन, वन ग्रिड पर काम हो रहा है। रेलवे के विकास के लिए निजी भागीदारी में पीपीपी मॉडल को लागू किया जाएगा।
सन 2024 तक ग्रामीण भारत के हर घर तक पानी पहुंचाने के लिए जल शक्ति मंत्रालय सभी राज्यों के साथ मिलकर काम करेगा। जल जीवन मिशन शुरू होगा जो 2024 तक ग्रामीण भारत के हर घर तक पानी पहुंचाएगा। इस साल स्वच्छ भारत मिशन का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य पूरा हो जाएगा। आगामी 2 अक्तूबर को भारत खुले में शौच से मुक्त हो जाएगा।
भारत के शिक्षा का वैश्विक हब बनाने की योजना भी क्रांतिकारी है। सरकार चाहती है कि विदेशी छात्र भारत आकर शिक्षा ग्रहण करें। इसके लिए ‘स्टडी इन इंडिया’ कार्यक्रम शुरू होगा। देश में विश्वस्तरीय संस्थाओं का विकास करने की जरूरत है। राष्ट्रीय रिसर्च फाउंडेशन बनाने का प्रस्ताव है। सरकार ने एग्रो-रूरल उद्यमों के लिए 75,000 युवाओं को प्रशिक्षित करने की योजना भी बनाई है। इनके अलावा करीब एक करोड़ युवाओं को औद्योगिक कौशल से प्रशिक्षित किया जाएगा।
वित्तमंत्री ने सार्वजनिक उद्यमों के विनिवेश के लिए इस साल का लक्ष्य एक लाख पाँच हजार करोड़ रुपये का रखा है। एयर इंडिया के विनिवेश का जिक्र भी उन्होंने किया। बीएसएनएल और एमटीएनएल के लिए बड़े पैकेज सरकार को देने हैं। सरकार ने बुनियादी ढांचे में भारी निवेश, अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण और रोज़गार के लिए कौशल निर्माण, लघु तथा मध्यम दर्जे के उद्यमों को बढ़ावा देने का फैसला किया है। 400 करोड़ रुपये तक का सालाना कारोबार करने वाली कम्पनियों के टैक्स को 25 फीसदी के स्तर पर लाने की घोषणा की गई है। पिछले बजट में 250 करोड़ तक के कारोबार तक वाली कम्पनियों को इसके दायरे में रखा गया था। कारोबारियों का यह तबका ही रोजगार पैदा करने की सामर्थ्य रखता है।
भारत में श्रम कानूनों के क्षेत्र में भी सुधारों की माँग की जा रही है। निवेशक चाहते हैं कि कारोबारी स्थितियाँ स्पष्ट रहें। वित्तमंत्री ने कहा कि बिखरे हुए श्रम कानूनों को अब चार ‘लेबर टैक्स कोड’ के दायरे में परिभाषित किया जाएगा। औद्योगीकरण के लिहाज से यह एक बड़ा कदम होगा। राजनीतिक नजरिए से अंतरिम बजट गाँव और किसान पर केंद्रित था, वहीं यह बजट कारोबारियों और मध्यवर्ग को राहत दे रहा है। स्टार्टअप और मध्यम दर्जे के उद्यमों को बढ़ावा देने के पीछे भविष्य का भारत नजर आता है। स्टार्टअप के लिए एक अलग टीवी चैनल शुरू होने जा रहा है। छोटे दुकानदारों को पेंशन मिलेगी। मात्र 59 मिनट में एक करोड़ तक के लोन पास हो जाएंगे। इसका लाभ तीन करोड़ से ज्यादा छोटे कारोबारियों को मिलेगा।
आयकर स्लैब में बदलाव नहीं है। उम्मीद भी नहीं थी। फरवरी के अंतरिम बजट में घोषणा की गई थी कि पांच लाख से कम आय वालों को आयकर नहीं देना होगा। इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर लिए गए कर्ज पर ब्याज भुगतान में 1।5 लाख रुपये की आयकर छूट देने की घोषणा जरूर की है। साथ ही 45 लाख रुपये तक के मकान की खरीद पर लिए गए कर्ज पर भी छूट की घोषणा की गई है। दो से पांच करोड़ और पांच करोड़ रुपये से अधिक की सालाना आय वालों पर अधिभार बढ़ाया गया है।
रिटर्न फाइल करने और आयकर असेसमेंट की इलेक्ट्रॉनिक पद्धति में काफी सुधार हुआ है। पैन या आधार किसी एक के सहारे अब रिटर्न फाइल हो सकेगा। डिजिटल ट्रांजैक्शन के लिए ग्राहकों और कारोबारियों को जहाँ शुल्क से छूट दी गई है वहीं एक करोड़ रुपये से ज्यादा नकदी निकालने वालों पर दो फीसदी टीडीएस लगेगा। इससे नकदी के इस्तेमाल पर लगाम लगेगी, जो तमाम खराबियों की जड़ है।
नवोदय टाइम्स में प्रकाशित
इस बजट में भारतवर्ष के भविष्य की न केवल तस्वीर खींची गई है, उसे साकार बनाने के तरीकों की घोषणा की गई है। निर्मला सीतारमण का बजट भाषण सामान्य व्यक्ति को भी उतना ही समझ में आया, जितना कि विशेषज्ञों को। चूंकि बजट के ज्यादातर प्रावधान वही हैं, जो फरवरी में पेश किए गए बजट में थे। बल्कि फरवरी में ही यह भी कहा गया था कि हम भारत को पाँच साल में पाँच ट्रिलियन और आठ साल में दस ट्रिलियन डॉलर की अर्थ-व्यवस्था बनाएंगे। अलबत्ता निर्मला सीतारमण ने वहाँ तक जाने के रास्ते को स्पष्ट किया। इस साल की आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि यह काम तभी होगा, जब हमारी सालाना संवृद्धि कम से कम आठ फीसदी की दर से हो। इस बजट में उस दर को हासिल करने की दिशा नजर आती है।
वित्तमंत्री को भरोसा है कि हम इस साल तीन ट्रिलियन की सीमारेखा पार कर जाएंगे। वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी के दौर में है। हमारी उम्मीदों के तीन बड़े कारण हैं। पेट्रोलियम की कीमतों में गिरावट है, मुद्रास्फीति काबू में है और राजकोषीय घाटा 3.4 से घटकर 3.3 फीसदी पर आ गया है। यानी कि सरकार ने वित्तीय अनुशासन बनाए रखा। राजस्व के मामले में वित्तमंत्री ने आयकर में हो रही रिकॉर्ड वृद्धि का जिक्र किया है। जीएसटी पर अभी अंदेशे हैं। यों इस बजट का मुख्य जोर पूँजी निवेश और तरलता बढ़ाने पर है।
संवृद्धि के लिए पूँजी निवेश जरूरी है। नए कारोबार नहीं पनपने के कारण रोजगारों का सृजन नहीं हो पा रहा है। लम्बे अर्से से सार्वजनिक बैंक बीमार चल रहे हैं। अच्छी खबर यह है कि दिवालिया कानून वगैरह के कारण एनपीए में एक लाख करोड़ की कमी आई है, वहीं चार लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की रिकवरी हुई है। सार्वजनिक क्षेत्र के छह बैंक पीसीए के खतरे से बाहर निकल आए हैं। घरेलू कर्जों में 13 फीसदी की वृद्धि हुई है। सरकार बैंकों में 70,000 करोड़ का पूँजी प्रवाह करने जा रही है। कुल मिलाकर हालात सुधर रहे हैं। विमानन, मीडिया और बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश खोलने के प्रस्ताव हैं।
सबसे महत्वाकांक्षी योजनाएं इंफ्रास्ट्रक्चर पर भारी निवेश से जुड़ी हैं। अगले पाँच साल में सौ लाख करोड़ रुपये के पूँजी निवेश की योजना है। राजमार्गों से लेकर ग्रामीण सड़कों के निर्माण के आँकड़े सकारात्मक हैं। जल मार्ग और वन नेशन, वन ग्रिड पर काम हो रहा है। रेलवे के विकास के लिए निजी भागीदारी में पीपीपी मॉडल को लागू किया जाएगा।
सन 2024 तक ग्रामीण भारत के हर घर तक पानी पहुंचाने के लिए जल शक्ति मंत्रालय सभी राज्यों के साथ मिलकर काम करेगा। जल जीवन मिशन शुरू होगा जो 2024 तक ग्रामीण भारत के हर घर तक पानी पहुंचाएगा। इस साल स्वच्छ भारत मिशन का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य पूरा हो जाएगा। आगामी 2 अक्तूबर को भारत खुले में शौच से मुक्त हो जाएगा।
भारत के शिक्षा का वैश्विक हब बनाने की योजना भी क्रांतिकारी है। सरकार चाहती है कि विदेशी छात्र भारत आकर शिक्षा ग्रहण करें। इसके लिए ‘स्टडी इन इंडिया’ कार्यक्रम शुरू होगा। देश में विश्वस्तरीय संस्थाओं का विकास करने की जरूरत है। राष्ट्रीय रिसर्च फाउंडेशन बनाने का प्रस्ताव है। सरकार ने एग्रो-रूरल उद्यमों के लिए 75,000 युवाओं को प्रशिक्षित करने की योजना भी बनाई है। इनके अलावा करीब एक करोड़ युवाओं को औद्योगिक कौशल से प्रशिक्षित किया जाएगा।
वित्तमंत्री ने सार्वजनिक उद्यमों के विनिवेश के लिए इस साल का लक्ष्य एक लाख पाँच हजार करोड़ रुपये का रखा है। एयर इंडिया के विनिवेश का जिक्र भी उन्होंने किया। बीएसएनएल और एमटीएनएल के लिए बड़े पैकेज सरकार को देने हैं। सरकार ने बुनियादी ढांचे में भारी निवेश, अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण और रोज़गार के लिए कौशल निर्माण, लघु तथा मध्यम दर्जे के उद्यमों को बढ़ावा देने का फैसला किया है। 400 करोड़ रुपये तक का सालाना कारोबार करने वाली कम्पनियों के टैक्स को 25 फीसदी के स्तर पर लाने की घोषणा की गई है। पिछले बजट में 250 करोड़ तक के कारोबार तक वाली कम्पनियों को इसके दायरे में रखा गया था। कारोबारियों का यह तबका ही रोजगार पैदा करने की सामर्थ्य रखता है।
भारत में श्रम कानूनों के क्षेत्र में भी सुधारों की माँग की जा रही है। निवेशक चाहते हैं कि कारोबारी स्थितियाँ स्पष्ट रहें। वित्तमंत्री ने कहा कि बिखरे हुए श्रम कानूनों को अब चार ‘लेबर टैक्स कोड’ के दायरे में परिभाषित किया जाएगा। औद्योगीकरण के लिहाज से यह एक बड़ा कदम होगा। राजनीतिक नजरिए से अंतरिम बजट गाँव और किसान पर केंद्रित था, वहीं यह बजट कारोबारियों और मध्यवर्ग को राहत दे रहा है। स्टार्टअप और मध्यम दर्जे के उद्यमों को बढ़ावा देने के पीछे भविष्य का भारत नजर आता है। स्टार्टअप के लिए एक अलग टीवी चैनल शुरू होने जा रहा है। छोटे दुकानदारों को पेंशन मिलेगी। मात्र 59 मिनट में एक करोड़ तक के लोन पास हो जाएंगे। इसका लाभ तीन करोड़ से ज्यादा छोटे कारोबारियों को मिलेगा।
आयकर स्लैब में बदलाव नहीं है। उम्मीद भी नहीं थी। फरवरी के अंतरिम बजट में घोषणा की गई थी कि पांच लाख से कम आय वालों को आयकर नहीं देना होगा। इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर लिए गए कर्ज पर ब्याज भुगतान में 1।5 लाख रुपये की आयकर छूट देने की घोषणा जरूर की है। साथ ही 45 लाख रुपये तक के मकान की खरीद पर लिए गए कर्ज पर भी छूट की घोषणा की गई है। दो से पांच करोड़ और पांच करोड़ रुपये से अधिक की सालाना आय वालों पर अधिभार बढ़ाया गया है।
रिटर्न फाइल करने और आयकर असेसमेंट की इलेक्ट्रॉनिक पद्धति में काफी सुधार हुआ है। पैन या आधार किसी एक के सहारे अब रिटर्न फाइल हो सकेगा। डिजिटल ट्रांजैक्शन के लिए ग्राहकों और कारोबारियों को जहाँ शुल्क से छूट दी गई है वहीं एक करोड़ रुपये से ज्यादा नकदी निकालने वालों पर दो फीसदी टीडीएस लगेगा। इससे नकदी के इस्तेमाल पर लगाम लगेगी, जो तमाम खराबियों की जड़ है।
नवोदय टाइम्स में प्रकाशित
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