कांग्रेस नेता राहुल गांधी इन दिनों भारत जोड़ो यात्रा पर हैं। वह लगातार जनसभाओं और मीडिया को भी संबोधित कर रहे हैं। शनिवार 31 दिसंबर को उन्होंने दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय पर मीडिया से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने कई पत्रकारों के कई सवालों के जवाब दिए। वे बहुत ही सधे हुए नजर आए और उन्होंने हर सवाल का बहुत सावधानी से जवाब दिया। यह कहना मुश्किल है कि उनसे पूछे गए सवाल पूर्व नियोजित थे या नहीं।
भारत की महानता
भारतीय मतदाताओं को यह विश्वास दिलाया गया है
कि दुनिया में उनका देश एक अग्रणी भूमिका निभाएगा। पिछली सरकारों की तुलना में
वर्तमान सरकार के लिए यह बात काफी हद तक लागू होती है। राजनीतिक महकमे में कोई भी
वैश्विक संरचना में भारत की भूमिका को लेकर कम आश्वस्त नहीं दिखना चाहता है। यह
धारणा केवल राजनीतिज्ञों एवं अधिकारियों तक ही सीमित नहीं है बल्कि निजी क्षेत्र
भी यह सोचने लगा है कि दुनिया में भारत का रसूख पहले की तुलना में काफी बढ़ गया
है।
क्या दुनिया में भारत की अहमियत वाकई बढ़ गई है
और इसके बिना कोई काम नहीं हो सकता है? इस प्रश्न का
उत्तर देने के लिए हमें तीन संदर्भों पर विचार करना चाहिए। पहला है निवेश के लिहाज
से माकूल स्थान, दूसरा वैश्विक कंपनियों के लिए बड़े
बाजार और तीसरा भू-आर्थिक एवं भू-राजनीतिक साझेदार के रूम में। पहली नजर में निवेश
के लिहाज से एक अहम बाजार के रूप में भारत का प्रदर्शन संतोषजनक लग रहा है। वित्त
वर्ष 2021-22 में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बढ़कर 85 अरब डॉलर के अब तक के
उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। मगर सवाल है कि क्या यह आंकड़ा काफी है? बिजनेस स्टैंडर्ड हिंदी में पढ़ें मिहिर शर्मा
का यह लेख
प्रणय रॉय पर
शेखर गुप्ता
मीडिया जगत की बीते
साल की सबसे बड़ी खबर यह रही कि प्रणय और राधिका रॉय ने एनडीटीवी का स्वामित्व छोड़
दिया और उसे अडाणी समूह ने हासिल कर लिया। रॉय दंपति ने जो विदाई संदेश दिया वह साथ
स्पष्ट करता है कि उन्होंने पत्रकारिता किस भावना से की। टीवी समाचार की बेहद
बेचैन दुनिया में उनके जैसा स्थिरचित्त होना दुर्लभ है, यह लिखा है शेखर गुप्ता ने
अपने साप्ताहिक कॉलम में पढ़ें
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