अंततः भारत ने नेट-ज़ीरो उत्सर्जन के लिए अपनी समय-सीमा दुनिया को बता दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्कॉटलैंड के ग्लासगो में 26वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मेलन (कॉप 26) में कहा कि हम 2070 तक नेट-ज़ीरो के लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे। इसके अलावा भारत, 2030 तक ऊर्जा की अपनी 50 प्रतिशत जरूरत अक्षय ऊर्जा से पूरी करेगा।
मोदी की इस घोषणा से बहुत से विशेषज्ञों को हैरत हुई है,
क्योंकि अभी तक भारत कहता रहा है कि नेट-ज़ीरो लक्ष्य इस समस्या का समाधान नहीं है
और भारत इस मामले में किसी के दबाव में नहीं आएगा। हालांकि यह लक्ष्य अमीर देशों
द्वारा घोषित लक्ष्य से पीछे है, पर दुनिया के उन विशेषज्ञों के अनुमान
के करीब है, जो भारत के संदर्भ में इसे व्यावहारिक मानते हैं। हाल में भारत के
एक थिंकटैंक कौंसिल ऑन इनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्लू) ने अनुमान लगाया
था कि भारत के लिए 2070 से 2080 के बीच का लक्ष्य रखना व्यावहारिक होगा। दूसरे
विकसित देशों और चीन की तुलना में भी भारत अपने औद्योगिक विकास के शिखर से कई दशक
दूर है। अभी यहाँ ऊर्जा का उपभोग काफी बढ़ेगा। भारत में इस समय जरूरत की 70 फीसदी
ऊर्जा कोयले से उत्पन्न हो रही है।
हालांकि भारत में दुनिया की सबसे सस्ती
सौर-ऊर्जा तैयार हो रही है, पर अभी इसे ग्रिड से जोड़ने की तकनीक विकसित नहीं हो
पाई है। इसके अलावा भारत को हाइड्रोजन और उसके भंडारण की तकनीक विकसित करने में
समय लगेगा। विशेषज्ञों का अनुमान है कि यह काम 2040 तक हो पाएगा। भारत के पास इतनी
पूँजी भी नहीं है कि वह तेजी से इन सब की व्यवस्था कर सके। इसीलिए भारत जो व्यावहारिक
है उसे करने यानी ‘क्लाइमेट जस्टिस’ की बात कर रहा है।
चार अल्पकालिक
लक्ष्य
प्रधानमंत्री मोदी ने चार अल्पकालिक लक्ष्य और
बताए हैं। नेट-जीरो लक्ष्य का मतलब है कि उसे तय करने वाला देश वातावरण में कार्बन
डाईऑक्साइड या अन्य ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन उस सीमा से ज्यादा नहीं होने
देगा, जिस सीमा तक इन गैसों को प्रकृति यानी वनस्पतियाँ और दुनिया भर में विकसित हो
रही तकनीकें सोख लें।
पिछले कुछ वर्षों में कुछ देशों ने अपने लक्ष्य
घोषित किए हैं। अमेरिका, यूके, जापान और अन्य अमीर देशों ने इसके लिए सन 2050 को
अपना लक्ष्य वर्ष घोषित किया है। दुनिया के सबसे बड़े कार्बन उत्सर्जक चीन ने 2060
का लक्ष्य रखा है। रूस और सऊदी अरब ने भी 2060 का लक्ष्य तय किया है।
पाँच अमृत तत्व
नरेंद्र मोदी के इस भाषण में जलवायु परिवर्तन को लेकर भारत की प्रशासनिक-नीतियों के अलावा परंपरागत समझ भी झलकती है। उन्होंने सम्मेलन में भारत की ओर से पांच वायदे किए। उन्होंने कहा, जलवायु परिवर्तन पर इस वैश्विक मंथन के बीच, मैं भारत की ओर से, इस चुनौती से निपटने के लिए पांच अमृत तत्व रखना चाहता हूं, पंचामृत की सौगात देना चाहता हूं। पहला- भारत, 2030 तक अपनी गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता को 500 गीगावॉट तक पहुंचाएगा। दूसरा-हम 2030 तक अपनी कुल ऊर्जा आवश्यकताओं में से 50 फीसदी अक्षय-ऊर्जा स्रोतों से प्राप्त करने लगेंगे। तीसरा- अब से लेकर 2030 तक के कुल अनुमानित कार्बन उत्सर्जन में हम एक अरब टन की कमी करेंगे। चौथा- 2030 तक भारत, अपनी अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता (इन्टेंसिटी) को 45 प्रतिशत से भी कम करेगा। और पाँचवाँ- वर्ष 2070 तक भारत, नेट-जीरो का लक्ष्य हासिल करेगा।