दिल्ली और हरियाणा की सीमा से सटे बागपत की धरती जाट-राजनीति का केंद्र है. पहले यह क्षेत्र मेरठ का हिस्सा हुआ करता था. इस लोकसभा क्षेत्र में पाँच विधानसभा क्षेत्र आते हैं. बागपत, बड़ौत, छपरौली, मोदीनगर और सिवालखास.
इस सीट को चौधरी चरण सिंह की कर्मभूमि कहा जाता
है, जिन्हें हाल में भारत सरकार ने भारत रत्न अलंकरण से सम्मानित करने की घोषणा की
है. पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह की पहचान भूमिधर किसानों के नेता, महात्मा गांधी के अनुयायी और खेती से जुड़ी अर्थव्यवस्था
विशेषज्ञ के तौर पर रही है. उनकी आधा दर्जन से ज्यादा किताबें इसका प्रमाण हैं.
साफगोई उनकी दूसरी विशेषता रही है. कांग्रेस में रहते हुए भी वे जवाहर लाल नेहरू
की आर्थिक-नीतियों के आलोचक थे.
भारतीय राजनीति में, खासतौर से सामाजिक-न्याय
से जुड़ी ताकतों को, मुखर करने में भी उनकी बड़ी भूमिका रही. साठ के दशक के
उत्तरार्ध में उन्होंने चौधरी कुंभाराम आर्य के साथ मिलकर भारतीय क्रांति दल की
स्थापना की थी, जिसकी उत्तराधिकारी पार्टी भारतीय लोकदल थी, जिसके चुनाव चिह्न पर
1977 में जनता पार्टी ने चुनाव लड़ा.
पूरा थाना सस्पेंड
चौधरी चरण सिंह कठोर प्रशासक और अड़ियल राजनेता के रूप में वे प्रसिद्ध रहे हैं. उनसे जुड़ा एक प्रकरण काफी चर्चित है. 1979 में जब वे प्रधानमंत्री थे, एक व्यक्ति की शिकायत पर अचानक शाम को यूपी के इटावा में अकेले और फटेहाल, मजबूर किसान के रूप में एक थाने में पहुँचे और कहा, जेब कतरी की रपट लिखवानी है.