तरुण तेजपाल के मामले को बदलती जीवन शैली की दृष्टि से
देखें, स्त्रियों के साथ हो रहे बर्ताव या पत्रकारिता या सिर्फ अपराध के नज़रिए से
देखा जा सकता है। पर यह मामला ज्यादा बड़े फलक पर विचार करने को प्रेरित करता है। अगले
महीने दिल्ली गैंग रेप मामले का एक साल पूरा होगा। लगता है एक साल में हम दो कदम
भी आगे नहीं बढ़ पाए हैं। इस मसले ने पूरे देश को हिलाकर ज़रूर रख दिया, पर हमें
बदला नहीं। गोवा पुलिस ने तरुण तेजपाल के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कर ली है। अब यह
आपराधिक मामला है और जांच का विषय। केवल दो व्यक्तियों के बीच का मामला नहीं रहा।
एक जाँच पुलिस करेगी। दूसरी ‘तहलका’ में होगी। दोनों जाँचों के बाद घटना की वास्तविकता और उसके बाद उठाए गए कदमों
की जानकारी मिलेगी। बात फिर भी खत्म नहीं होगी। मीडिया के भीतर की इस घटना को तूल
देने के आरोप मीडिया पर ही लगे हैं। अफसोस कि मीडिया में काम करने वाली महिलाएं
स्वयं को असुरक्षित पाती हैं।