सन 2014 कांग्रेस के लिए खौफनाक यादें छोड़ कर जा
रहा है। इस साल पार्टी ने केवल लोकसभा चुनाव में ही भारी हार का सामना नहीं किया,
बल्कि आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, हरियाणा, महाराष्ट्र, सिक्किम के बाद अब जम्मू-कश्मीर
और झारखंड विधान सभाओं में पिटाई झेली है। यह सिलसिला पिछले साल से जारी है। पिछले
साल के अंत में उसे राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीस गढ़ और दिल्ली में यह हार गले
पड़ी थी। हाल के वर्षों में उसे केवल कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में
सफलता मिली है। आंध्र के वोटर ने तो उसे बहुत बड़ी सज़ा दी। प्रदेश की विधान सभा
में उसका एक भी सदस्य नहीं है। चुनाव के ठीक पहले तक उसकी सरकार थी। कांग्रेस ने
सन 2004 में दिल्ली में सरकार बनाने की जल्दबाज़ी में तेलंगाना राज्य की स्थापना का
संकल्प ले लिया था। उसका दुष्परिणाम उसके सामने है।
Showing posts with label चुनाव 2014. Show all posts
Showing posts with label चुनाव 2014. Show all posts
Saturday, December 27, 2014
Saturday, May 17, 2014
लोकसभा चुनाव 2014 के पूरे परिणाम
| ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
The complete list of MPs after 16th General Elections:
Andaman & Nicobar Islands
Andaman & Nicobar Islands- Bishnu Pada Ray (BJP)
Arunachal Pradesh
Arunachal East - Ninong Ering (Congress)
Andhra Pradesh
Nagarkurnool- Yellaiah Nandi (Congress)
Nalgonda- Gutha Sukhender Reddy (Congress)
Adilabad- Godam Nagesh (TRS)
Bhongir- Dr Boora Narsaiah Goud (TRS)
अब ‘अच्छे दिनों’ को लाना भी होगा
भारतीय जनता पार्टी की यह
जीत नकारात्मक कम सकारात्मक ज्यादा है. दस साल के यूपीए शासन की एंटी इनकम्बैंसी होनी
ही थी. पर यह जीत है, किसी की पराजय नहीं. कंग्रेस जरूर हारी पर विकल्प में
क्षेत्रीय पार्टियों का उभार नहीं हुआ. नरेंद्र मोदी ने नए भारत का सपना दिखाया
है. यह सपना युवा-भारत की मनोभावना से जुड़ा है. यह तख्ता पलट नहीं है. यह
उम्मीदों की सुबह है. इसके अंतर में जनता की आशाओं के अंकुर हैं. वोटर ने नरेंद्र
मोदी के इस नारे को पास किया है कि ‘अच्छे दिन आने वाले
हैं.’ अब यह मोदी की जिम्मेदारी है कि वे अच्छे दिन लेकर
आएं. उनकी लहर थी या नहीं थी, इसे लेकर कई धारणाएं हैं. पर देशभर के वोटर के मन
में कुछ न कुछ जरूर कुछ था. यह मनोभावना पूरे देश में थी. देश की जनता पॉलिसी
पैरेलिसिस और नाकारा नेतृत्व को लेकर नाराज़ थी. उसे नरेंद्र मोदी के रूप में एक
कड़क और कारगर नेता नज़र आया. ऐसा न होता तो तीस साल बाद देश के मतदाता ने किसी एक
पार्टी को साफ बहुमत नहीं दिया होता. यह मोदी मूमेंट है. उन्होंने वोटर से कहा, ये
दिल माँगे मोर और जनता ने कहा, आमीन। देश के संघीय ढाँचे में क्षेत्रीय आकांक्षाओं को पंख देने
में भी नरेंद्र मोदी की भूमिका है. एक अरसे बाद एक क्षेत्रीय क्षत्रप प्रधानमंत्री
बनने वाला है.
Wednesday, May 14, 2014
चुनाव परिणामों को लेकर संघ और कांग्रेस के आंतरिक सर्वे
लोकसभा चुनाव परिणामों को लेकर राष्ट्रीय संवयं सेवक संघ ने अपने स्वयंसेवकों के मार्फत जो सर्वेक्षण कराया है, वह इस प्रकार है। इसमें केसरिया रंग के कॉलम में प्राप्त सीटों का अनुमान है और हरे रंग के कॉलम में अंदेशा है कि खराब से खराब स्थिति में कितनी सीटें मिलेंगी।
इस आंतरिक सर्वे में यह भी कहा गया कि नरेंद्र मोदी ने आचार संहिता का जो उल्लंघन किया और चुनाव आयोग पर बोला गया सीधा हमला यह संकेत है कि भाजपा जानती है कि वो लड़ाई हारने की वजह से घबराहट महसूस कर रही है।
इस सर्वे में कहा गया है कि दलितों ने मुस्लिमों के साथ 67 सीटों पर मोदी के खिलाफ वोटिंग की है, जिसके कारण यूपीए 166 सीटों तक पहुंच सकती है। आकलन में यह भी कहा गया है कि मोदी का पीएम पद तक पहुंचना मुश्किल है, क्योंकि वो अति आत्मविश्वासी हैं।
इसमें कहा गया है कि अगर भाजपा मोदी के बजाय किसी और को पीएम के तौर पेश करने पर तैयार हो जाती है, तो इसके बावजूद एनडीए सरकार बना सकता है। वरना वो विपक्ष में बैठेगा और यूपीए 3 तीसरे मोर्चे के समर्थन से सरकार बनाने में कामयाब रहेगा।
पूरी खबर पढ़ें यहाँ
अमर उजाला ने कांग्रेस पार्टी के सर्वेक्षण का हवाला देकर बताया है कि पार्टी को 166 सीटें मिलने की आशा है। अखबार का कहना है किः-
हाल में कुल छह एग्जिट पोल किए गए, जिनमें से ज्यादातर में दावा किया गया कि कांग्रेस इस बार सौ सीटों तक नहीं पहुंच रही है। पर कांग्रेस का सर्वे इन सभी से अलग है।
राहुल गांधी की अगुवाई में चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस के इस पोल में दावा किया गया है कि उसे कुल 543 सीटों मेंसे 166 सीटें मिल सकती हैं। हालांकि, यह सर्वे अंतिम चरण की सीटों पर मतदान से पहले किया गया था।
इसमें कहा गया था कि अंतिम चरण में 39 सीटों पर वोटिंग होनी बाकी है, ऐसे में नरेंद्र मोदी को कुछ फायदा जरूर हो सकता है, क्योंकि उससे ठीक पहले चुनाव चिन्ह दिखाने को लेकर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।
राहुल गांधी की अगुवाई में चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस के इस पोल में दावा किया गया है कि उसे कुल 543 सीटों मेंसे 166 सीटें मिल सकती हैं। हालांकि, यह सर्वे अंतिम चरण की सीटों पर मतदान से पहले किया गया था।
इसमें कहा गया था कि अंतिम चरण में 39 सीटों पर वोटिंग होनी बाकी है, ऐसे में नरेंद्र मोदी को कुछ फायदा जरूर हो सकता है, क्योंकि उससे ठीक पहले चुनाव चिन्ह दिखाने को लेकर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।
इस आंतरिक सर्वे में यह भी कहा गया कि नरेंद्र मोदी ने आचार संहिता का जो उल्लंघन किया और चुनाव आयोग पर बोला गया सीधा हमला यह संकेत है कि भाजपा जानती है कि वो लड़ाई हारने की वजह से घबराहट महसूस कर रही है।
इस सर्वे में कहा गया है कि दलितों ने मुस्लिमों के साथ 67 सीटों पर मोदी के खिलाफ वोटिंग की है, जिसके कारण यूपीए 166 सीटों तक पहुंच सकती है। आकलन में यह भी कहा गया है कि मोदी का पीएम पद तक पहुंचना मुश्किल है, क्योंकि वो अति आत्मविश्वासी हैं।
इसमें कहा गया है कि अगर भाजपा मोदी के बजाय किसी और को पीएम के तौर पेश करने पर तैयार हो जाती है, तो इसके बावजूद एनडीए सरकार बना सकता है। वरना वो विपक्ष में बैठेगा और यूपीए 3 तीसरे मोर्चे के समर्थन से सरकार बनाने में कामयाब रहेगा।
पूरी खबर पढ़ें यहाँ
कुछ महत्वपूर्ण राज्यों के एक्जिट पोल अनुमान
Monday, April 8, 2013
धा धा धिन्ना, नमो नामो बनाम राग रागा
लालकृष्ण आडवाणी का कहना है कि मैं एक सपने के सहारे राजनीति
में सक्रिय हूँ। उधर नरेन्द्र मोदी गुजरात का कर्ज़ चुकाने के बाद भारत माँ का कर्ज़
चुकाने के लिए दिल्ली आना चाहते हैं। दिल्ली का कर्ज़ चुकाने के लिए कम से कम डेढ़
दर्जन सपने सक्रिय हो रहे हैं। ये सपने क्षेत्रीय राजनीति से जुड़े हैं। उन्हें लगता
है कि प्रदेश की खूब सेवा कर ली, अब देश-सेवा की घड़ी है। बहरहाल आडवाणी जी के सपने
को विजय गोयल कोई रूप देते उसके पहले ही उनकी बातों में ब्रेक लग गया। विजय गोयल के
पहले मुलायम सिंह यादव ने आडवाणी जी की प्रशंसा की थी। भला मुलायम सिंह आडवाणी की प्रशंसा
क्यों कर रहे हैं? हो सकता है जब दिल्ली की गद्दी का फैसला हो
रहा हो तब आडवाणी जी काम आएं। मुलायम सिंह को नरेन्द्र मोदी के मुकाबले वे ज्यादा विश्वसनीय
लगते हैं। कुछ और कारण भी हो सकते हैं। मसलन नरेन्द्र मोदी यूपी में प्रचार के लिए
आए तो वोटों का ध्रुवीकरण होगा। शायद मुस्लिम वोट फिर से कोई एक रणनीति तैयार करे।
और इस रणनीति में कांग्रेस एक बेहतर विकल्प नज़र आए। उधर आडवाणी जी लोहिया की तारीफ
कर रहे हैं। क्या वे भी किसी प्रकार की पेशबंदी कर रहे हैं? आपको
याद है कि आडवाणी जी ने जिन्ना की तारीफ की थी। उन्हें लगता है कि देश का प्रधानमंत्री
बनने के लिए अपनी छवि सौम्य सभी वर्गों के लिए स्वीकृत बनानी होती है। जैसी अटल बिहारी
वाजपेयी की थी।
Subscribe to:
Posts (Atom)