Tuesday, July 24, 2012

Amelia Earhart in Google Logo गूगल लोगो पर अमेलिया इयरहार्ट


आज का गूगल लोगो अमेलिया इयरहार्ट पर है।  इस जाँबाज़ हवाबाज़ को पहली बार अकेले अटलांटिक महासागर पार करने का श्रेय जाता है। 1937 में यह दुनिया का चक्कर लगाने के प्रयास में प्रशांत महासागर के ऊपर कहीं लापता हो गई और आजतक यादों में है। गूगल लोगो के सहारे मनोरंजन और ज्ञानवर्धन दोनों होते हैं। मैने इसके पहले अनंत पै के गूगल लोगों पर पोस्ट लिखी थी। 
Amelia Mary Earhart (/ˈɛərhɑrt/ air-hart; July 24, 1897 – disappeared 1937) was a noted American aviation pioneer and author.[1][N 1] Earhart was the first aviatrix to fly solo across the Atlantic Ocean[3]. She received the U.S. Distinguished Flying Cross for this record.[4].She set many other records,[2] wrote best-selling books about her flying experiences and was instrumental in the formation of The Ninety-Nines, an organization for female pilots.[5] Earhart joined the faculty of the Purdue University aviation department in 1935 as a visiting faculty member to counsel women on careers and help inspire others with her love for aviation. She was also a member of the National Woman's Party, and an early supporter of the Equal Rights Amendment.[6][7]
During an attempt to make a circumnavigational flight of the globe in 1937 in a Purdue-funded Lockheed Model 10 Electra, Earhart disappeared over the central Pacific Ocean near Howland Island. Fascination with her life, career and disappearance continues to this day.[N 2]



Friday, July 20, 2012

राहुल को चाहिए एक जादू की छड़ी

राहुल ने नौ साल लगाए राजनीति में ज्यादा बड़ी भूमिका स्वीकार करने में। उनका यह विचार बेहतर था कि पहले ज़मीनी काम किया जाए, फिर सक्रिय भूमिका निभाई जाए। पर यह आदर्श बात है। हमारी राजनीति आदर्श पर नहीं चलती। और न राहुल किसी आदर्श के कारण महत्वपूर्ण हैं। वे तमाम राजनेताओं से बेहतर साबित होते बशर्ते वे उस कांग्रेस की उस संस्कृति से बाहर आ पाते जिसमें नेता को तमाम लोग घेर लेते हैं। बहरहाल अब राहुल सामने आ रहे हैं तो अच्छा है, पर काम मुश्किल है। नीचे पढ़ें जनवाणी में प्रकाशित मेरा लेख
हिन्दू में सुरेन्द्र का कार्टून

राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में यूपीए की रणनीति को जितनी आसानी से सफलता मिली है उसकी उम्मीद नहीं थी। इसके लिए बेशक एनडीए का बिखराव काफी सीमा तक ज़िम्मेदार है, पर बिखरा हुआ तो यूपीए भी था। और आज भी कहना मुश्किल है कि आने वाला वक्त यूपीए या दूसरे शब्दों में कहें तो कांग्रेस के लिए आसान होगा। 7 अगस्त को उप राष्ट्रपति पद का चुनाव है और उसके अगले दिन 8 अगस्त से सरकार ने संसद का सत्र बुलाने का आग्रह किया है। उसके बाद अगले एक महीने में राष्ट्रीय राजनीति की कुछ पहेलियाँ बूझी जाएंगी।

Monday, July 16, 2012

इस बार भी वक्त से पहले दम तोड़ेगी पाकिस्तान की नागरिक सरकार

पाकिस्तान की संसद ने पिछले सोमवार को अदालत की अवमानना के जिस नए कानून को पास किया उसपर गुरुवार को राष्ट्रपति आसिफ अली ज़रदारी के दस्तखत हो गए। उसी रोज़ देश के सुप्रीम कोर्ट ने नए प्रधानमंत्री राजा परवेज़ को निर्देश दिया कि वे स्विट्ज़रलैंड के अधिकारियों को चिट्ठी लिखकर आसिफ अली ज़रदारी के खिलाफ मुकदमों को फिर से खोलने का अनुरोध करें। अदालत ने यह चिट्ठी लिखने के लिए 25 जुलाई तक का वक्त दिया है। अदालती अवमानना के कानून में संशोधन होते ही अदालत में उसके खिलाफ याचिका दायर हो गई और प्रधानमंत्री, अटॉर्नी जनरल सहित दस प्रतिवेदकों के नाम शुक्रवार की शाम नोटिस ज़ारी हो गए। इस मामले में सुनवाई 23 जुलाई को होगी। प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखने की समय सीमा के दो दिन पहले। सुप्रीम कोर्ट ने राजा परवेज़ अशरफ को दिए निर्देश में इस बात का हवाला भी दिया है कि पिछले प्रधानमंत्री यूसुफ रज़ा गिलानी इस मामले की वज़ह से हटाए जा चुके हैं। साथ ही यह भी कि फैसले पर अमल नहीं हुआ तो प्रधानमंत्री के खिलाफ कार्रवाई होगी। अदालत और नागरिक शासन के बीच सीधे टकराव को टालने का अब कोई रास्ता नहीं बचा है। न्यायपालिका के आक्रामक रुख को देखते हुए सरकार के पास अब न तो वक्त बचा है और न सियासी हालात उसके पक्ष में हैं। पाकिस्तान में आज तक किसी प्रधानमंत्री ने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया और न किसी संसद ने। इस संसद का कार्यकाल अभी आठ महीने बाकी है। लगता नहीं कि यह पूरा होगा। और हो भी जाए, तो स्वस्थ लोकतांत्रिक परम्पराएं बुरी तरह घायल हो चुकी होंगी।

Wednesday, July 11, 2012

Hanging Temple of Henseng, China चीन की हेंगसेंग पहाड़ी पर हैंगिग बुद्ध मंदिर

अद्भुत विश्व-1
Amazing World-1
                  
                              





                         


The Hanging Temple or Hanging Monastery (simplified Chinese: 悬空寺; traditional Chinese: 懸空寺; pinyin: Xuánkong Sì) is a temple built into a cliff (75 m or 246 ft above the ground) near Mount Heng in Hunyuan County, Shanxi province, China. The closest city is Datong, 64.23 kilometers to the northwest. Along with the Yungang Grottoes, the Hanging Temple is one of the main tourist attractions and historical sites in the Datong area. Built more than 1,500 years ago, this temple is notable not only for its location on a sheer precipice but also because it includes Buddhist, Taoist, and Confucian elements. The structure is kept in place with oak crossbeams fitted into holes chiseled into the cliffs. The main supportive structure was hidden inside the bedrock.According to the history of Shangshen Mountain, construction of the temple was by only one man, a monk named Liao Ran (了然). Over a history of more than 1,600 years many repairs and extension led to its present day scale.This temple is over 50 meters tall.  From Wikipedia

चीन के शांची प्रांत में हेंग पहाड़ी पर बना यह बुद्ध मंदिर हैरत जगाता है। अब से लगभग 1600 साल बने इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसे लियाओ रन नामक भिक्षु ने अकेले बनाया। मंदिर से कम रोचक नहीं है इस तक पहुँचने का रास्ता। कई जगह तो केवल छेनी से चट्टान काटकर इसे बनाया गया है।

Hanging Temple of Mount Heng

Tuesday, July 10, 2012

राष्ट्रपति-चुनाव से जुड़ी अटपटी-चटपटी राजनीति

भारतीय जनता पार्टी ने धमकी दी है कि प्रणव मुखर्जी राष्ट्रपति पद का चुनाव जीत भी गए तो उनके खिलाफ चुनाव याचिका दायर की जाएगी। रिटर्निंग अफसर वीके अग्निहोत्री द्वारा विपक्ष की आपत्ति खारिज किए जाने के बाद अब सोमवार को जनता पार्टी के नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी कुछ नए प्रमाणों के साथ एक नई शिकायत दर्ज कराएंगे। रिटर्निंग अफसर ने विपक्ष की इस आपत्ति को खारिज कर दिया था कि प्रणव मुखर्जी चूंकि भारतीय सांख्यिकी संस्थान के अध्यक्ष पद पर काम कर रहे हैं जो लाभ का पद है इसलिए उनका नामांकन खारिज कर दिया जाए। रिटर्निंग अफसर का कहना है कि प्रणव मुखर्जी ने 20 जून को यह पद छोड़ दिया था।

भाजपा नेता सुषमा स्वराज का कहना है कि प्रणव मुखर्जी नामांकन पत्र दाखिल करने के पहले इस्तीफा नहीं दे पाए थे। यह इस्तीफा बाद में बनाया गया, जिसमें प्रणव मुखर्जी के दस्तखत भी जाली हैं। यह इस्तीफा संस्थान के रिकॉर्ड में दर्ज नहीं है। यह 20 जून को लिखा गया, उसी रोज कोलकाता भेजा गया, उसी रोज स्वीकार होकर वापस आ गया। यह फर्जी है। बहरहाल इस मामले में जो भी हो, देखने की बात यह है कि भारतीय जनता पार्टी इतने तकनीकी आधार पर इस मामले को क्यों उठा रही है? इससे क्या उसे कोई राजनीतिक लाभ मिल पाएगा? दो महीने पहले लगता था कि इस बार कांग्रेस के लिए राष्ट्रपति चुनाव भारी पड़ेगा और एनडीए उसे अर्दब में ले लेगा, पर ऐसा हुआ नहीं। एनडीए ने एक ओर तो अपना प्रत्याशी तय करने में देरी की, फिर अपने दो घटक दलों शिव सेना और जनता दल युनाइटेड को यूपीए प्रत्याशी के समर्थन में जाने से रोक नहीं पाया। और अब यह तकनीकी विरोध बचकाना लगता है। शुरू में सुषमा स्वराज ने कहा था कि हम कांग्रेस प्रत्याशी का समर्थन नहीं करेंगे, क्योंकि 2014 के चुनाव में हम यूपीए से सीधे मुकाबले में हैं। यह हमारे लिए राजनीतिक प्रश्न है।

Monday, July 9, 2012

नया वैश्विक सत्य, उन्माद नहीं सहयोग

दिफाए पाकिस्तान कौंसिल ने रविवार को लाहौर से लांग मार्च शुरू किया है, जिसका उद्देश्य नेटो सेनाओं की रसद सप्लाई पर लगी रोक हटाने के खिलाफ नाराज़गी जताना है। इस बीच अमेरिका ने अफगानिस्तान को गैर-नेटो देशों में अपने सामरिक साझीदारों की सूची में शामिल करके आने वाले समय में इस इलाके के सत्ता संतुलन का संकेत दिया है। पाकिस्तान के सत्ता प्रतिष्ठान को समझ में आने लगा है कि यह वक्त आर्खिक सहयोग का है, टकराव का नहीं, पर वहाँ का कट्टरपंथी तबका इस बात को समझने के लिए तैयार नहीं है

हाल में भारत आए पाकिस्तान के विदेश सचिव जलील अब्बास जीलानी और भारत के विदेश सचिव रंजन मथाई के बीच दो दिन की बातचीत के बाद हुई प्रेस कांफ्रेस में दोनों सचिवों ने मीडिया से अपील की कि वह दोनों देशों के बीच टकराव का माहौल न बनाए। इस बातचीत का मकसद दोनों देशों के बीच रिश्तों को बेहतर बनाना था, जिसमें जम्मू-कश्मीर, आतंकवाद और भरोसा बढ़ाने वाले कदम (सीबीएम) शामिल हैं। दोनों देशों के रिश्ते जिस भावनात्मक धरातल पर हैं, उसमें सबसे बड़ा सीबीएम मीडिया के हाथ में है। जब भी भारत और पाकिस्तान का मैच खेल के मैदान पर होता है मीडिया में ‘आर्च राइवल्स’, परम्परागत प्रतिद्वंदी, जानी दुश्मन जैसे शब्द हवा में तैरने लगते हैं। किसी एक की विजय पर उस देश में जिस शिद्दत के साथ समारोह मनाया जाता है तकरीबन उसी शिद्दत से हारने वाले देश में शोक मनाया जाता है। इसके विपरीत दोनों देशों के बीच की सरकारी शब्दावली पर जाएं तो उसमें काफी बदलाव आ गया है। ताजा संयुक्त वक्तव्य को पढ़ें तो यह फर्क समझ में आएगा। पर दोनों विदेश सचिवों के संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में बातें बार-बार अबू जुंदाल पर जा रहीं थीं। 

Sunday, July 8, 2012

The Amazing Road Making Machine


Tiger Stone | The Amazing Paving Machine :
Laying down paving bricks is back-breaking, time-consuming work. Henk van Kuijk, director of Dutch industrial company Vanku, evidently decided that squatting/kneeling and shoving the bricks into place on the ground was just a little too slow, so he invented the Tiger Stone paving machine. The road-wide device is fed loose bricks, and lays them out onto the road as it slowly moves along. A quick going-over with a tamper, and you’ve got an instant brick road. It is a brick printer or you can say road laying machine. If  this tool is in the hands of some artist and designer it can create artistic roads. This machine could be used to make some insane patterns and murals. Using it to make type or inset lettering into could be super cool as well. 

Saturday, July 7, 2012

Bio Clothes : Grow Your Attire


Unlike synthetic clothes it is bio-degradable
Suzanne Lee, a senior research fellow in fashion and textiles at Central St. Martins, makes clothes from bacteria. Though still at an experimental stage, Lee has managed to make various items of clothing from organic matter she grows in temperature-controlled vats.

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World's Fastest Cyclist

The record for pedal power is held by Sam Whittingham, a compact Canadian who set the world record, a staggering 81 mph, (130km/h) on a streamlined recumbent. Most of the 100mph+ records are set going down mountains or ski slopes, fast yes but hardly done by pedal power. Some of the other high speed records are set by drafting behind cars or trucks. I'll take Sam's speed no drafting and on flat ground. 
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24 Amazing Innovations from Rural India

A washing-cum-exercise machine, hand operated water lifting device, portable smokeless stove, automatic food making machine, solar mosquito killer, shock proof converter, a floating toilet soap were a few of the products on display at the exhibition of grassroots innovations at the Rashtrapati Bhavan. 

Forest on top of the concrete

We've seen a lot of amazing concepts for urban gardens — green-roofed cities, gardens that stretch high into the clouds — but this pair of vertical forests is more than just a concept design. It's currently being built in Milan.

The brainchild of architect Stefano Boeri, Bosco Verticale (simply "vertical forest") is currently under construction in the form of two residential towers. The goal of Bosco Verticale is not only to beautify the cityscape, but also contribute to the creation of an artificial microclimate and improve air quality:


Bosco Verticale: World’s First Vertical Forest in Milan

A fascinating new pair of residential tower called Bosco Verticale is being constructed at Milan, Italy. Designed by architect Stefano Boeri, Bosco Verticale is being construed as “a project for metropolitan reforestation that contributes to the regeneration of the environment and urban biodiversity without the implication of expanding the city upon the territory”. Towering over the city’s skyline the world's first forest in the sky will be a sight to behold. The 27 storied building will accommodate nearly one hectare of forest trees as tall as oak and amelanchiers in its cleverly designed balconies. The 365 and 260 foot emerald twin towers will house an astonishing 900 trees, 5,000 shrubs and 11,000 ground cover plants.
This is a concept illustration of how Bosco Verticale will look like when completed.
In summer, the trees will provide shade and filter the city’s dust; in winter, sunlight will shrine through the bare branches. Bosco Verticale's greenery will absorb carbon dioxide and produce oxygen, while protecting the building from wind and penetrating sunlight. Boeri claims that the inclusion of trees adds just 5 percent to construction costs, and is a necessary response to the sprawl of the modern city. If the units were individual houses, it would require 50,000 sq m of land, and 10,000 sq m of woodland.Bosco Verticale: World’s First Vertical Forest in Milan

The Age of Flower Towers in Financial Times

Friday, July 6, 2012

सृष्टि की खोज में एक लम्बा कदम

हिग्स बोसोन की खोज निश्चित रूप से इनसान का एक लम्बा कदम है, पर इससे सृष्टि की सारी पहेलियाँ सुलझने वाली नहीं हैं। केवल पार्टिकल फिजिक्स की एक श्रृंखला की अप्राप्त कड़ी मिली है। हमें एक अरसे से मालूम है कि सृष्टि में कुछ है, जिसे हम देख नहीं पा रहे हैं। उसे हमने पा लिया है, भले ही उसे देखना आज भी असम्भव है। क्या इससे एंटी मैटर या ब्लैक मैटर के स्रोत का भी पता लग जाएगा? क्या इससे सृष्टि के जन्म की कहानी समझ में आ जाएगी, कहना मुश्किल है। इसमें दो राय नहीं कि आधुनिक फिजिक्स ने जबर्दस्त प्रगति की है, पर अभी हम ज्ञान की बाहरी सतह पर हैं। प्रायः वैज्ञानिकों की राय एक होती है, क्योंकि वे अपने निष्कर्ष प्रयोगिक आधार पर निकालते हैं। पर सृष्टि से जुड़े अधिकतर निष्कर्ष अवधारणाएं हैं। बिंग बैंग भी एक अवधारणा है वैज्ञानिक समुदाय इस अवधारणा के पक्ष में एकमत नहीं है। खगोलविज्ञान से जुड़े भारतीय वैज्ञानिक जयंत विष्णु नार्लीकर का कहना है कि हिग्स बोसोन को लेकर जो मीडिया ने हाइप बनाया है, उसमें कुछ दोष हैं। लार्ज हेड्रोन कोलाइडर में प्रति कण जो ऊर्जा तैयार की गई वह उस ऊर्जा के अरबवें अंश के हजारवें अंश के बराबर भी नहीं हैं, जो सृष्टि के स्फीति-काल में रही होगी। इसी तरह हम उपलब्ध तकनीक और उपकरणों के सहारे पदार्थ का केवल चार फीसदी ही देख पाते हैं। शेष 96 फीसदी के बारे में अनुमान हैं और उन्हें प्रयोगशाला में साबित नहीं किया जा सकता।

Tuesday, July 3, 2012

मसाज़ तक ठीक, मज़ाक तो न बने मीडिया

अखबार के दफ्तरों में हाल में नए आए पत्रकारों में एक बुनियादी फर्क उनके काम की शैली का है। आज के पत्रकार को जो तकनीक उपलब्ध है वह बीस साल पहले उपलब्ध नहीं थी। बीस साल पहले फोटो टाइप सैटिंग शुरू हो गई थी, पर सम्पादकों ने पेज बनाने शुरू नहीं किए थे। कम से कम हमारे देश में नहीं बनते थे। 1985 में ऑल्डस कॉरपोरेशन ने जब अपने पेजमेकर का पहला वर्ज़न पेश किया तब इरादा किताबों के पेज तैयार करने का था। उन्हीं दिनों पहली एपल मैकिंटॉश मशीनें तैयार हो रहीं थीं। 1987 में माइक्रोसॉफ्ट की विंडोज़ 1.0 आ गई थी। 1987 में ही क्वार्क इनकॉरपोरेटेड ने क्वार्कएक्सप्रेस का मैक और विंडो संस्करण पेश कर दिया। यह पेज बनाने का सॉफ्टवेयर था, पर सूचना और संचार की तकनीक का विस्तार उसके पहले से चल रहा था। टेलीप्रिंटर, लाइनो-मोनो टाइपसैटिंग, फैक्स और जैरॉक्स जैसी तमाम तकनीकों का वैश्विक-संवाद में क्या स्थान है इसे समझने की कोशिश ज़रूर करनी चाहिए। आज से तीस साल पहले वेस्ट इंडीज़ में हो रहे क्रिकेट मैच की खबर तीसरे रोज़ अखबारों में पढ़ने को मिलती थी। कुछ समर्थ अखबार ब्लैक एंड ह्वाइट फोटो भी छापते थे। पर 1996 के एटलांटा ओलिम्पिक के रंगीन टीवी प्रसारण से फोटो ग्रैब करके एक हिन्दी अखबार ने जब छापे तब लगा कि क्रांति तो हो गई। पर इस लेख का उद्देश्य अखबारों की तकनीकी क्रांति पर रोशनी डालना नहीं है।

Monday, July 2, 2012

सुधारों के लिए चाहिए साहस

इस हफ्ते शेयर बाज़ार, मुद्रा बाज़ार और विदेश-व्यापार के मोर्चे से कुछ अच्छी खबरें मिल सकती हैं। शायद मॉनसून भी इस हफ्ते तेजी पकड़े, पर बड़े स्तर पर बदलाव के लिए सरकार और मोटे तौर पर पूरी राजनीति को हिम्मत दिखानी होगी।

एक अरसे बाद यह सोमवार हमारे लिए अपेक्षाकृत सुखद होगा। पिछले हफ्ते की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय घटनाओं के असर से शेयर बाजार में उछाल की आशा है। इसका असर रुपए की कीमत पर पड़ेगा और उसका असर पेट्रोल की कीमतों पर। सब ठीक रहा तो पूर्वी उत्तर प्रदेश में अटका पड़ा मॉनसून भी आगे बढ़ेगा। प्रणब मुखर्जी के वित्तमंत्री की कुर्सी से हटने के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अपेक्षाकृत खुले हाथों से फैसले कर सकेंगे। कंपनी मामलों के मंत्री वीररप्पा मोइली ने बेंगलूर में कहा भी है कि वित्त मंत्रालय का अतिरिक्त कार्यभार संभालने के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अब आर्थिक नीतियों में बड़े सुधार के कदम उठा सकते हैं। देखना यही है कि वे कदम क्या होंगे और क्या वे उठाए जा सकेंगे? देखना यह भी है कि हमारी आर्थिक समस्याओं के समाधान का रास्ता किधर से होकर जाता है। देशी औद्योगिक विकास के मार्फत या विदेशी भावनाओं के सहारे? या दोनों को समान महत्व देकर? और क्या हमारी राजनीति इसकी ज़रूरत समझती है?

Sunday, July 1, 2012

Majority of Pakistanis consider India greatest enemy


Pew Research Center is one of the biggest opinion gathering institution in world. It regularly conducts surveys in different parts of world. Here are some results from Pakistan.
Only 22% of Pakistanis have a favorable view of traditional rival India, although this is actually a slight improvement from 14% last year. Moreover, when asked which is the biggest threat to their country, India, the Taliban, or al Qaeda, 59% name India.
Pakistanis have consistently identified India as the top threat since the question was first asked in 2009. The percentage fearing India has increased by 11 points since then, while the percentage naming the Taliban has decreased by nine points.