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Sunday, January 10, 2021

ट्रंप की हिंसक विदाई से उठते सवाल

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पहचान सिरफिरे व्यक्ति के रूप में जरूर थी, पर यह भी लगता था कि उनके पास भी मर्यादा की कोई न कोई रेखा होगी। उनकी विदाई कटुता भरी होगी, इसका भी आभास था, पर वह ऐसी हिंसक होगी, इसका अनुमान नहीं था। हालांकि ऐसा कहा जा रहा था कि वे हटने से इनकार कर सकते हैं। उन्हें हटाने के लिए सेना लगानी होगी वगैरह। पर लोगों को इस बात पर विश्वास नहीं होता था।

बहरहाल वैसा भी नहीं हुआ, पर उनके कार्यकाल के दस दिन और बाकी हैं। इन दस दिनों में क्या कुछ और अजब-गजब होगा? क्या ट्रंप को महाभियोगके रास्ते निकाला जाएगा? क्या संविधान के 25वें संशोधन के तहत कार्रवाई की जा सकेगी? क्या उनपर मुकदमा चलाया जा सकता है? क्या उनकी गिरफ्तारी संभव है? ऐसे कई सवाल सामने हैं, जिनका जवाब समय ही देगा। अलबत्ता इतना स्पष्ट है कि ट्रंप पर महाभियोग चलाया भी जाए, तो उन्हें 20 जनवरी से पहले हटाया नहीं जा सकेगा, क्योंकि सीनेट की कार्यवाही 19 जनवरी तक स्थगित है। संशोधन 25 के तहत कार्रवाई करने के लिए उपराष्ट्रपति माइक पेंस और मंत्रिपरिषद को आगे आना होगा, जिसकी संभावना लगती नहीं। दूसरी तरफ यह भी नजर आ रहा है कि ट्रंप की रीति-नीति को लेकर रिपब्लिकन पार्टी के भीतर दरार पैदा हो गई है। फिर भी  कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि अमेरिकी लोकतांत्रिक संस्थाएं दुखद स्थिति पर नियंत्रण पाने में सफल हुईं।

Thursday, November 5, 2020

अमेरिका में 120 साल बाद रिकॉर्ड मतदान



अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में भारी मतदान के संदर्भ में जो शुरुआती जानकारी मिली है, उसके अनुसार 1900 के बाद अमेरिका में इतना जबर्दस्त मतदान हुआ है। फ्लोरिडा विवि के प्रोफेसर माइकेल मैक्डोनाल्ड ने ट्वीट किया है कि 120 साल बाद अमेरिका में सबसे ज्यादा मतदान हुआ है। उनका अनुमान है कि इसबार करीब 16 करोड़ यानी 66.9 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट डाले हैं। सन 1900 में 73.2 फीसदी वोट पड़े थे। हालांकि इसबार का मतदान के प्रतिशत अभी शुरुआती अनुमान ही है, क्योंकि डाक के मत अभी आ ही रहे हैं।  


दुनियाभर के देशों के मतदाताओं और मतदान से जुड़ा डेटा रखने वाली संस्था इंस्टीट्यूट फॉर डेमोक्रेसी एंड इलेक्टोरल असिस्टेंस के अनुसार भारत के मुकाबले अमेरिकी मतदान कहीं नहीं है। अमेरिका में करीब 21 करोड़ मतदाता पंजीकृत हैं वहीं भारत के पिछले लोकसभा चुनाव में 91 करोड़ से ज्यादा मतदाता पंजीकृत थे। इंडोनेशिया दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जहाँ 2019 में 19.29 करोड़ मतदाता पंजीकृत थे। भारत में मतदान पूरा होने में करीब डेढ़ महीने का समय लगता है, जबकि अमेरिका और इंडोनेशिया में यह एक दिन में ही पूरा होता है। इनके अलावा ब्राजील, रूस, बांग्लादेश, पाकिस्तान और जापान में 10 करोड़ से ज्यादा मतदाता हैं।

 

 

Tuesday, October 27, 2020

अमेरिका में 'अर्ली वोटिंग' की आँधी


अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में अब सात दिन रह गए हैं और वहाँ डाक से वोट पड़ने वाले वोटों की आँधी आ गई है। नवीनतम सूचना के अनुसार करीब 6.2 करोड़ वोटर अपने अधिकार का इस्तेमाल कर चुके हैं। अर्ली वोटिंग का एक नया रिकॉर्ड अभी कायम हो चुका है। समय से पहले इतने वोट पहले कभी नहीं पड़े थे। डाक से इतनी भारी संख्या में वोटिंग का मतलब है कि अमेरिकी मतदाता कोरोना के कारण बाहर निकलने से घबरा रहा है।

अमेरिका में वोटरों की संख्या करीब 23 करोड़ है। सन 2016 के चुनाव में करीब 14 करोड़ ने वोट दिया था। पर्यवेक्षकों का अनुमान है कि इसबार 15 से 16 करोड़ के बीच वोट पड़ेंगे। सामान्यतः अमेरिका में 65 से 70 फीसदी मतदान होता है। सवाल यह भी है कि क्या इसबार 80 फीसदी तक मतदान होगा?  ज्यादा मतदान का फायदा किसे होगा? अभी तक का चलन यह रहा है कि अर्ली वोट में डेमोक्रेट आगे रहते हैं और चुनाव के दिन के वोट में रिपब्लिकन। इसबार जो बिडेन ने लोगों से अपील की है कि वे अर्ली वोट करें। दूसरी तरफ ट्रंप ने डाक से आए वोटों को लेकर अंदेशा व्यक्त किया है।