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Sunday, March 15, 2020

अपनी बखिया उधेड़ती कांग्रेस


ज्योतिरादित्य सिंधिया के पलायन पर शुरुआती चुप्पी रखने के बाद गुरुवार को राहुल गांधी ने कहा, ज्योतिरादित्य भले ने अलग विचारधारा का दामन थाम लिया है, पर वास्तविकता यह है कि वहां उनको न सम्मान मिलेगा न संतोष मिलेगा। वे जल्द ही इसे समझ भी जाएंगे। राहुल ने एक और बात कही कि यह विचारधारा की लड़ाई है। सिंधिया को अपने राजनीतिक भविष्य का डर लग गया। इसीलिए उन्होंने अपनी विचारधारा को जेब में रख लिया और आरएसएस के साथ चले गए।
राहुल गांधी की इस बात से कुछ निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं। पहला यह कि सिंधिया को कांग्रेस में कुछ मिलने वाला था नहीं। आने वाले खराब समय को देखते हुए उन्होंने पार्टी छोड़ दी। दूसरा यह कि कांग्रेस पार्टी विचारधारा की लड़ाई लड़ रही है। तीसरी बात उन्होंने यह कही कि बीजेपी में (भी) उन्हें सम्मान और संतोष नहीं मिलेगा। राहुल के इस बयान के अगले रोज ही भोपाल में ज्योतिरादित्य ने कहा, मैंने अतिथि विद्वानों की बात उठाई, मंदसौर में किसानों के ऊपर केस वापस लेने की बात उठाई। मैंने कहा कि अगर इनके मुद्दे पूरे नहीं हुए तो मुझे सड़क पर उतरना होगा, तो मुझसे कहा गया उतर जाओ। जब सिंधिया परिवार को ललकारा जाता है तो वह चुप नहीं रहता।

Friday, March 13, 2020

राजनीति में बड़ा मोड़ साबित होगा सिंधिया प्रकरण


ज्योतिरादित्य सिंधिया का कांग्रेस पार्टी को छोड़कर जाना पहली नजर में एक सामान्य राजनीतिक परिघटना लगती है. इसके पहले भी नेता पार्टियाँ छोड़ते रहे हैं. पर इसका कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए विशेष महत्व है. वे कांग्रेस के महत्वपूर्ण चेहरों में शामिल रहे और अब बीजेपी की अगली कतार में होंगे. वे देश के महत्वपूर्ण भावी नेताओं में से एक हैं. यह एक नेता का पलायन भर नहीं है. पार्टी के भीतर एक अरसे से सुलग रही आग इस बहाने से भड़क सकती है. उसके भीतर के झगड़े अब खुलकर सामने आ सकते हैं. 
दूसरी तरफ बीजेपी के अंतर्विरोध भी खुलेंगे. ग्वालियर क्षेत्र में उसकी राजनीति केंद्र-बिंदु राजमहल का विरोध था. अब उसे सिंधिया परिवार के महत्व को स्थापित करना होगा. इतना ही नहीं मध्य प्रदेश के स्थानीय क्षत्रप एक नए शक्तिशाली नेता के साथ कैसे सामंजस्य बैठाएंगे, यह भी देखना होगा. एक अंतर है. बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व, कांग्रेस के नेतृत्व की तुलना में ज्यादा ताकतवर है. सवाल है, कितना और कब तक? 
अब सवाल केवल मध्य प्रदेश की सरकार का नहीं है, बल्कि कांग्रेस की समूची सियासत और उसके नेतृत्व का है. यह कहना जल्दबाजी होगी कि सत्ता के लोभ में सिंधिया पार्टी छोड़कर भागे हैं. वास्तव में वे पार्टी में खुद को अपमानित महसूस कर रहे थे. यह प्रकरण इस बात को भी रेखांकित कर रहा है कि कुछ और युवा नेता भी ऐसा ही महसूस कर रहे हैं. इस स्तर के नेता को इस कदर हाशिए पर डालकर नहीं चला जा सकता था.
लोकसभा के लगातार दूसरे चुनाव में भारी पराजय से पीड़ित कांग्रेस जब इतिहास के सबसे बड़े संकट का सामना कर रही थी, इतने बड़े नेता का साथ छोड़ना बड़ा हादसा है. यह पलायन बता रहा है कि पार्टी के भीतर बैठे असंतोष को दूर नहीं किया गया, तो ऐसा ही कुछ और भी हो सकता है. अपनी इस दुर्दशा पर पार्टी अब चिंतन नहीं करेगी, तो कब करेगी?  वह नेतृत्व के सवाल को ही तय नहीं कर पाई है और एक अंतरिम व्यवस्था करके बैठी है.  

Thursday, March 12, 2020

राजनीतिक भँवर में घिरी कांग्रेस


ज्योतिरादित्य सिंधिया के हटने के बाद कांग्रेस के सामने दो बड़े सवाल हैं। एक, पहले से ही जर्जर नेतृत्व की साख को फिर से स्थापित कैसे होगी और दूसरा पार्टी के युवा नेताओं को भागने से कैसे रोका जाएगा? हताशा बढ़ रही है। उत्तर भारत के तीन और महत्वपूर्ण नेता पार्टी छोड़ने की फिराक में हैं। बार-बार मिलती विफलता और मध्य प्रदेश के ड्रामे ने कमर तोड़ दी। ज्योतिरादित्य के साथ 20 से ज्यादा विधायकों ने पार्टी छोड़ी है। राजनीतिक भँवर में घिरी कांग्रेस को यह जबर्दस्त धक्का और चेतावनी है। इस परिघटना का डोमिनो प्रभाव होगा। उधर बैकफुट पर नजर आ रही बीजेपी को मध्य भारत में फिर से पैर जमाने का मौका मिल गया है।
मध्य प्रदेश में सरकार बनाने के अलावा भाजपा राज्यसभा की एक अतिरिक्त सीट झटकने में भी कामयाब हो सकती है। राजनीतिक दृष्टि से केंद्र में युवा और प्रभावशाली मंत्री के रूप में ज्योतिरादित्य के प्रवेश का रास्ता खुला है। प्रभावशाली व्यक्तित्व के स्वामी सिंधिया अच्छे वक्ता हैं और समझदार राजनेता। पन्द्रह महीने पहले मध्य प्रदेश और राजस्थान ने कांग्रेस के पुनरोदय की उम्मीदें जगाई थीं, पर अब दोनों राज्य नकारात्मक संदेश भेज रहे हैं। पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व पर सवालिया निशान हैं। इस परिघटना ने कुछ और युवा नेताओं के पलायन की भूमिका तैयार कर दी है। ज्यादातर ऐसे नेता राहुल गांधी के करीबी हैं, जो किसी न किसी वजह से अब नाराज हैं।