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Saturday, December 31, 2022

राहुल गांधी की दृष्टि

कांग्रेस नेता राहुल गांधी इन दिनों भारत जोड़ो यात्रा पर हैं। वह लगातार जनसभाओं और मीडिया को भी संबोधित कर रहे हैं। शनिवार 31 दिसंबर को उन्होंने दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय पर मीडिया से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने कई पत्रकारों के कई सवालों के जवाब दिए। वे बहुत ही सधे हुए नजर आए और उन्होंने हर सवाल का बहुत सावधानी से जवाब दिया। यह कहना मुश्किल है कि उनसे पूछे गए सवाल पूर्व नियोजित थे या नहीं।

'टी-शर्ट में ठंड क्यों नहीं लगती' जैसे सवालों से राहुल गांधी का एक बार फिर सामना हुआ। मीडिया से उन्होंने करीब 46 मिनट बात की और और आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की 'मीडिया के सामने आने से डरते हैं.। 

क सवाल से राहुल गांधी चौंके और उन्होंने बहुत ही शालीनता और समझदारी से उसका जवाब दिया। दरअसल, राहुल गांधी से पूछा गया था कि अगर वह देश के प्रधानमंत्री बन जाएंगे तो सबसे पहले तीन काम क्या करेंगे? यहाँ पढ़ें कि राहुल गांधी ने क्या दिए जवाब...

भारत की महानता

भारतीय मतदाताओं को यह विश्वास दिलाया गया है कि दुनिया में उनका देश एक अग्रणी भूमिका निभाएगा। पिछली सरकारों की तुलना में वर्तमान सरकार के लिए यह बात काफी हद तक लागू होती है। राजनीतिक महकमे में कोई भी वैश्विक संरचना में भारत की भूमिका को लेकर कम आश्वस्त नहीं दिखना चाहता है। यह धारणा केवल राजनीतिज्ञों एवं अधिकारियों तक ही सीमित नहीं है बल्कि निजी क्षेत्र भी यह सोचने लगा है कि दुनिया में भारत का रसूख पहले की तुलना में काफी बढ़ गया है।

क्या दुनिया में भारत की अहमियत वाकई बढ़ गई है और इसके बिना कोई काम नहीं हो सकता है? इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए हमें तीन संदर्भों पर विचार करना चाहिए। पहला है निवेश के लिहाज से माकूल स्थान, दूसरा वैश्विक कंपनियों के लिए बड़े बाजार और तीसरा भू-आर्थिक एवं भू-राजनीतिक साझेदार के रूम में। पहली नजर में निवेश के लिहाज से एक अहम बाजार के रूप में भारत का प्रदर्शन संतोषजनक लग रहा है। वित्त वर्ष 2021-22 में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बढ़कर 85 अरब डॉलर के अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। मगर सवाल है कि क्या यह आंकड़ा काफी है? बिजनेस स्टैंडर्ड हिंदी में पढ़ें मिहिर शर्मा का यह लेख

प्रणय रॉय पर शेखर गुप्ता

मीडिया जगत की बीते साल की सबसे बड़ी खबर यह रही कि प्रणय और राधिका रॉय ने एनडीटीवी का स्वामित्व छोड़ दिया और उसे अडाणी समूह ने हासिल कर लिया रॉय दंपति ने जो विदाई संदेश दिया वह साथ स्पष्ट करता है कि उन्होंने पत्रकारिता किस भावना से की। टीवी समाचार की बेहद बेचैन दुनिया में उनके जैसा स्थिरचित्त होना दुर्लभ है, यह लिखा है शेखर गुप्ता ने अपने साप्ताहिक कॉलम में पढ़ें यहाँ

Wednesday, November 30, 2022

प्रोफेसर से तमाशगीर

(प्रणय रॉय पर किशन पटनायक ने यह लेख 1994 में लिखा था।  अब जब प्रणय रॉय के नियंत्रण से एनडीटीवी के बाहर होने की खबर आई है, इस आलेख को पढ़ना रोचक होगा। इस लेख की पृष्ठभूमि  उस दौर की है, जब प्रणय रॉय देश के नए मीडिया के प्रारंभिक सूत्रधार के रूप में उभर रहे थे। किशन पटनायक, प्रखर समाजवादी चिन्तक, लेखक एवं राजनेता थे। उन्होंने समाजवादी जन-परिषद की नींव रखी और सामयिक वार्ता नाम की एक पत्रिका शुरू की। उनकी तीन किताबें छपी हैं : किसान आंदोलन–दशा और दिशा, भारतीय राजनीति पर एक दृष्टि और विकल्पहीन नहीं है दुनिया। इन तीनों किताबों का कॉपीराइट फ्री है और गूगल लाइब्रेरी में ये उपलब्‍ध हैं।)

काश के अंग्रेजी न जानने वाले लोग प्रणय राय को नहीं जानते होंगे। लेकिन प्रणय राय को जानना जरूरी है क्योंकि वह एक नयी सामाजिक घटना का प्रतिनिधित्व करते हैं। प्रणय राय की प्रसिद्धि शुक्रवार को दूरदर्शन पर चलने वाले साप्ताहिक विश्वदर्शन कार्यक्रम से बनी है। जिस अंदाज से कोई जादूगर तमाशा (शो) दिखाता है, उसी अंदाज से टीवी दर्शकों का ध्यान केंद्रित करके दूरदर्शन द्वारा चुने हुए समाचारों या वक्तव्यों के प्रति श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करके रखना दूरदर्शन की एक खास विधा बन गयी है। प्रीतीश नंदी का शो, प्रणय राय का साप्ताहिक विश्वदर्शन (द वर्ल्ड दिस वीक) आदि इस विधा के श्रेष्ठ प्रदर्शन हैं।

देश के बुद्धिजीवियों में ऐसे लोग शायद बिरले ही होंगे, जो अत्यंत बुद्धिशाली होने के साथ-साथ बीच बाजार में तमाशा भी कर सकें। ऐसे बिरले प्रतिभाशाली बुद्धिजीवियों की तलाश टेलीविजन व्यवसायियों को रहती है। उनके माध्यम से टेलीविजन के प्रदर्शन-व्यवसाय को कुछ बौद्धिक प्रतिष्ठा मिल जाती है, जिससे बहुत-से भद्दे और अश्लील कार्यक्रमों को चलाना सम्मानजनक भी हो जाता है।