देस-परदेस
अरसे से हमारा ध्यान अफ़ग़ानिस्तान की ओर से हट गया है, पर पिछले गुरुवार 7 मार्च को एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने अफगानिस्तान के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की, तो एकबारगी नज़रें उधर गई हैं. चीन, रूस, अमेरिका और पाकिस्तान समेत विश्व समुदाय के साथ तालिबान के संपर्कों को लेकर भी उत्सुकता फिर से जागी है.
तालिबानी सत्ता क़ायम होने के बाद भारत ने अफ़ग़ान
नागरिकों को वीज़ा जारी करना बंद कर दिया है, लेकिन पिछले दो वर्षों में उसने
आश्चर्यजनक तरीके से काबुल के साथ संपर्क स्थापित किया है.
अगस्त 2021 में काबुल पर तालिबानी शासन की
स्थापना के बाद पिछले दो-ढाई साल में भारतीय अधिकारियों के दो शिष्टमंडल
अफ़ग़ानिस्तान की यात्रा कर चुके हैं. जून, 2022 में काबुल में भारत का तकनीकी
मिशन खोला गया, जो मानवीय कार्यक्रमों का समन्वय करता है.
पिछले गुरुवार को भारतीय विदेश मंत्रालय के संयुक्त
सचिव स्तर के अधिकारी जेपी सिंह ने तालिबान के विदेशी मामलों को प्रभारी (वस्तुतः विदेशमंत्री)
आमिर खान मुत्तकी तथा अन्य अफ़ग़ान अधिकारियों के साथ बातचीत की. प्रत्यक्षतः यह
मुलाकात मानवीय सहायता के साथ-साथ अफ़ग़ान व्यापारियों द्वारा चाबहार बंदरगाह के इस्तेमाल पर भी हुई.
कंधार दफ्तर खुलेगा?
तालिबान-प्रवक्ता ने कहा कि भारतीय प्रतिनिधि ने अफ़ग़ान व्यापारियों को वीज़ा जारी करने के लिए जरूरी व्यवस्था करने का आश्वासन दिया है. इससे क़यास लगाया जा रहा है कि कंधार में भारत अपना वाणिज्य दूतावास खोल सकता है. अफ़ग़ानिस्तान ने कारोबारियों, मरीज़ों और छात्रों को भारत का वीज़ा देने का अनुरोध किया है.