फेंकू, लपकू, पप्पू
और चप्पू के इस दौर में संजीदा बातें मसखरी की शिकार हो रहीं हैं. चुनाव करीब आने के
साथ राजनीतिक ताकतों की रस्सा-कसी बढ़ रही है. वार और पलटवार के इस दौर में नरेन्द्र
मोदी के अमेरिकी वीज़ा प्रकरण ने ध्यान खींचा है. कैलीफोर्निया के ‘फोरेंसिक डाक्यूमेंट एक्जामिनर’ विभाग ने साफ किया कि चिट्ठी
पर दस्तखत असली हैं यानी ‘कट एंड पेस्ट’ नहीं हैं. कुछ सांसदों ने
कहा था कि इस पर हमारे दस्तखत नहीं हैं. सीताराम येचुरी का कहना था कि कट एंड पेस्ट
भी हो सकता है. इस चिट्ठी के अंतिम पन्ने पर सिर्फ दो दस्तखत हैं, बाकी 63 दस्तखत अलग
पन्नों पर हैं. इसलिए संदेह अस्वाभाविक नहीं. पर दस्तखतों के असली न होने की शिकायत
सिर्फ एक सांसद ने की थी. आम शिकायत यह है कि हमने तो कोई और चिट्ठी देखकर दस्तखत किए
थे, इस पर नहीं. यह मामला संसद के आगामी सत्र में उठाया जा सकता है.