आईएएस अधिकारियों के
केंद्रीय सेवाओं से जुड़े संगठन ने पिछले हफ्ते 25 मई को अपनी बैठक करके दिल्ली
प्रशासन से जुड़े कुछ अधिकारियों के साथ किए गए असम्मानजनक व्यवहार की निन्दा की
है। एसोसिएशन का निवेदन है कि उन्हें अपने कार्य के निर्वाह के लिए स्वतंत्र,
निष्पक्ष और सम्माननीय माहौल मिलना चाहिए। एसोसिएशन ने जिन तीन मसलों पर ध्यान
दिलाया है उनमें से पहला मसला दिल्ली में उप-राज्यपाल और मुख्यमंत्रियों के अधिकार
को लेकर पैदा हुए भ्रम के कारण उपजा है। इस दौरान अफसरों की पोस्टिंग का सवाल ही
नहीं खड़ा हुआ, अफसरों की ईमानदारी को लेकर राजनीतिक बयानबाज़ी भी हुई, जो साफ-साफ
चरित्र हत्या थी।
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Monday, June 1, 2015
Sunday, May 31, 2015
दिल्ली दंगल से हासिल क्या हुआ?
तकरीबन दो हफ्ते की
जद्दो-जहद के बाद दिल्ली में मुख्यमंत्री और उप-राज्यपाल के बीच अधिकारियों का
संग्राम अनिर्णीत है। दिल्ली सरकार ने विधान सभा का विशेष सत्र बुलाने, केंद्र की
अधिसूचना को फाड़ने और उसके खिलाफ प्रस्ताव पास करने के बाद अंततः स्वीकार कर लिया
कि वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्ति और तबादलों के फैसलों पर उप-राज्यपाल की अनुमति
ली जाएगी। यदि एलजी और मुख्यमंत्री के बीच मतभेद होगा तो संस्तुति राष्ट्रपति को
भेजी जाएगी। राष्ट्रपति केंद्रीय मंत्रिपरिषद की सलाह से फैसला करेंगे। यानी कुल
मिलाकर जैसा केंद्र सरकार कहेगी वैसा होगा। यह भी लगता है कि अंतिम फैसला आने तक
केंद्रीय अधिसूचना जारी रहेगी।
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