ओलिम्पिक खेल चल रहे हैं और एक नया खतरा सामने है कि कहीं कोविड-19 के संक्रमण पर इसका असर तो नहीं पड़ेगा। 23 जुलाई से शुरू हुई इन प्रतियोगिताओं में तोक्यो और उसके तीन पड़ोसी प्रांतों सैतामा, चिबा और कानागावा में दर्शकों का प्रवेश नहीं होगा। अलबत्ता शिजुओका, इबाराकी, फुकुशिमा और मियागी प्रान्तों में होने वाली प्रतियोगिताओं में दर्शक आ सकेंगे, पर उनकी अधिकतम संख्या 10,000 या स्टेडियम बैठने की क्षमता के 50 प्रतिशत तक सीमित होगी। खतरा फिर भी सिर पर है कि कहीं ये खेल कोरोना की एक नई लहर लेकर न आएं। दर्शक नहीं होंगे, पर दुनियाभर से आए खिलाड़ी तो मैदान में होंगे।
एक साल स्थगित रहने
के बाद ये प्रतियोगिताएं हो तो रही हैं, पर कई प्रकार की आशंकाएं हैं। ओलिम्पिक के
अलावा क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी, एथलेटिक्स, बैडमिंटन और टेनिस की वैश्विक
प्रतियोगिताएं धीरे-धीरे शुरू हो रही हैं। दुनिया का प्रयास है कि कोरोना को
परास्त करने के बाद दुनिया का कार्य-व्यवहार जल्द से जल्द फिर से ढर्रे पर वापस आ
जाए। यह सब इसलिए जरूरी है, ताकि हमारी खुशियाँ फिर से वापस आ सकें। यह सिर्फ खेल
की बात नहीं है। इसके साथ रोजी-रोजगार, खान-पान, आवागमन, पर्यटन, प्रवास जैसी तमाम
बातें जुड़ी हैं, जो इनसान के जीवन को चलाए रखने के लिए जरूरी हैं।
ब्रिटेन
में ‘फ्रीडम-डे’
ब्रिटेन के अधिकतर हिस्सों में सोमवार 19 जुलाई से लॉकडाउन की पाबंदियां हटा ली गई हैं। सरकार ने सोशल डिस्टेंसिंग के अनिवार्य पालन संबंधी आदेश भी वापस ले लिया है। नाइट क्लब्स को खोल दिया गया है। इनडोर गतिविधियों को पूरी क्षमता के साथ खोलने की अनुमति दे दी गई है। फेस मास्क की अनिवार्यता खत्म, वर्क फ्रॉम होम भी जरूरी नहीं। प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन का कहना है, इस समय नहीं तो फिर ये पाबंदियाँ सर्दी में ही हटेंगी। सर्दी में वायरस का असर ज्यादा होगा। स्कूलों की छुट्टियाँ एक अवसर है। अब नहीं तो कब खोलेंगे? ब्रिटिश मीडिया ने इसे ‘फ्रीडम-डे’ का नाम दिया है, पर वैज्ञानिकों ने सवाल उठाए हैं। यह फैसला लागू होने के दो दिन पहले शनिवार को ब्रिटेन में 54,000 से ज्यादा नए मामले आए थे, जो जनवरी के बाद सबसे बड़ा नम्बर है। विशेषज्ञों के अनुसार पाबंदियों में छूट वैश्विक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है।