अशरफ ग़नी का विचार-विमर्श
उत्तरी अफगानिस्तान के शहर मज़ारे
शरीफ पर शनिवार को तालिबान का कब्जा हो गया है। टोलो न्यूज के अनुसार देश के
नाम अपना संदेश जारी करने के बाद शनिवार को राष्ट्रपति अशरफ ग़नी ने अपनी सरकार के
वरिष्ठ नेताओं तथा अन्य राजनेताओं के साथ सलाह-मशविरा किया है। वे किसी अंतरिम-व्यवस्था के लिए तैयार
हैं। शायद आज वे कोई और घोषणा करेंगे, पर ज्यादा बड़ा सवाल है कि तालिबान के इरादे
क्या हैं? धीरे-धीरे भागकर लोग काबुल में जमा होते जा रहे
हैं।
उधर तालिबान प्रवक्ता ने दुनिया को यह भरोसा दिलाया है कि उसके लड़ाके
किसी भी दूतावास और देश में मौजूद राजदूतों को निशाना नहीं बनाएंगे। वे काबुल से
कुछ किलोमीटर की दूरी पर रह गए हैं। तालिबान ने सुरक्षा कारणों से कंधार और हेरात
में भारतीय वाणिज्य दूतावासों पर ताला डाल दिया है। भारतीय वाणिज्य दूतावासों के
किराए के परिसर को सुरक्षा कारणों से बंद करने का दावा किया है और कहा है कि यहां
एक जिम्मेदार व्यक्ति (भारतीय) के आने पर खोला जाएगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने शनिवार को कहा कि मैंने अमेरिकी नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए 5,000 सैनिकों की तैनाती का आदेश दिया है। इनमें 82 वीं एयरबोर्न डिवीजन के वे 1000 सैनिक भी शामिल हैं, जिनकी अनुमति इसके पहले दी गई थी। उधर ब्रिटिश राजदूत ने आज यानी रविवार को देश छोड़ने की घोषणा की है। ब्रिटिश सरकार अपने नागरिकों को निकालने के लिए 600 सैनिक भेज रही है। काबुल के दूतावासों में वीजा लेने के लिए भीड़ जमा है। अमेरिका ने दूसरे देशों से कहा है कि अमेरिकी दूतावासों में काम करने वाले अफगान नागरिकों के अस्थायी रूप से रहने का इंतजाम करें।
मज़ारे-शरीफ से सरकार समर्थक दो प्रभावशाली सरदार-अता मोहम्मद नूर और अब्दुल रशीद दोस्तम भी पलायन कर गए हैं। इसके पहले सोशल मीडिया पर नूर ने कहा था कि बल्ख को (जहाँ मज़ारे-शरीफ है) साज़िशन तालिबानियों के हाथ में जाने दिया गया है।