अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन सम्भवतः आज अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी की नई तारीख की घोषणा करेंगे। यह तारीख होगी 11 सितम्बर, 2021। बाइडेन की यह घोषणा शुद्ध रूप से राजनीतिक फैसला है। अमेरिकी सेना की सलाह है कि अफगानिस्तान को छोड़कर जाने का मतलब है, वहाँ फिर से अराजकता को खेलने का मौका देना। बहरहाल बाइडेन ने 1 मई की तारीख को बढ़ाकर 1 सितम्बर करके डोनाल्ड ट्रंप की नीति में बदलाव किया है और दूरगामी सहमति भी व्यक्त की है। भारत के नजरिए से इस फैसले के निहितार्थ पर भी हमें विचार करना चाहिए।
11 सितम्बर
की तारीख क्यों? क्योंकि यह तारीख अमेरिका पर हुए 11 सितम्बर 2001 के सबसे
बड़े आतंकी हमले के बीसवें वर्ष की याद दिलाएगी। अफगानिस्तान में अमेरिकी कार्रवाई
उस हमले के कारण हुई थी। बहरहाल 11 सितम्बर का मतलब है कि उसके पहले ही अमेरिका की
सेना की वापसी शुरू हो जाएगी। यों भी वहाँ अब उसके 3500 और नेटो के 65000 सैनिक बचे
हैं। उनकी उपस्थिति भावनात्मक स्तर पर अमेरिकी
हस्तक्षेप का माहौल बनाती है।
यों अमेरिकी दूतावास की रक्षा के लिए अमेरिकी सेना की उपस्थिति किसी न किसी रूप में बनी रहेगी। पर उन सैनिकों की संख्या ज्यादा से ज्यादा कुछ सौ होगी। पर अमेरिका इस इलाके पर नजर रखने और इंटेलिजेंस के लिए कोई न कोई व्यवस्था करेगा। कैसे संचालित होगी वह व्यवस्था? उधर नेटो देशों की सेना को वापसी के लिए भी अमेरिका की लॉजिस्टिक सहायता की जरूरत होगी।