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Thursday, July 10, 2014

रफ्ता-रफ्ता अच्छे दिन भी आएंगे

नरेंद्र मोदी की सरकार का बजट पेश होने की सुबह कोई पूछे कि अच्छे दिन कितनी दूर हैं तो कहा जा सकता है कि हालात बड़े मुश्किल हैं, पर दुःख भरे दिन बीत चुके हैं। वित्तीय स्वास्थ्य अच्छा होने के संकेत साफ हैं। रफ्ता-रफ्ता अच्छे दिन आ रहे हैं। सरकार का कहना है कि कीमतों का बढ़ना रुक रहा है। विदेशी निवेशकों के रुख में नाटकीय बदलाव आ रहा है। खराब मॉनसून के बावजूद मुद्रास्फीति को रोका जा सका तो यकीन मानिए कि निवेशकों का विश्वास भारतीय सिस्टम पर बढ़ेगा। आर्थिक सर्वेक्षण राहत के संकेत दे रहा है, पर आज किसी बड़े चमत्कार की उम्मीद मत कीजिए। हाँ यह सम्भव है कि सरकार उत्पादन और आयात कर में कुछ राहतों की घोषणा करे, जिससे कुछ उपभोक्ता वस्तुएं सस्ती हो सकती हैं। पर पेट्रोलियम पदार्थों पर सब्सिडी का बोझ कम करने के लिए पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें बढ़ने से नहीं रोकी जा सकेंगी। इसके बाद सरकार राजकोषीय घाटे को काबू में ला सकेगी। भोजन और उर्वरकों पर सब्सिडी भी कम होने की सम्भावना है। इसके अलावा सब्सिडी देने के तरीके में बायोमीट्रिक्स के इस्तेमाल के बाबत भी कोई घोषणा बजट में हो सकती है। सर्वे में इस बात का उल्लेख है कि देश के सबसे धनी दस फीसदी लोग गरीबों के मुकाबले सात गुना ज्यादा सब्सिडी ले रहे हैं। हम समझते हैं कि यह योजना गरीबों के नाम पर बनी है, पर उसका फायदा अमीर उठाते हैं।