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Wednesday, July 30, 2025

द्विपक्षीय व्यापार-समझौतों का मायाजाल

 


भारत और ब्रिटेन के बीच व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता हो गया, पर भारत-अमेरिका समझौता नहीं हो पाया है, जिसकी उम्मीदें लगाई जा रही थीं. हालाँकि कहा जा रहा है कि जल्द ही वह भी होगा.

अमेरिका की एक टीम अगस्त में भारत आने वाली है. इसके बाद भारत और यूरोपियन यूनियन के समझौते की भी आशा है, जिसके लिए बातचीत चल रही है.

इन समझौतों में इतनी बारीकियाँ होती हैं कि उन्हें पूरी तरह समझे बिना कोई भी देश कदम आगे नहीं बढ़ाता है. कुछ बातें तब समझ में आती हैं, जब वे लागू हो जाती हैं.

रिश्तों के पेच

इधर भारत और चीन के बीच संबंधों में सुधार की प्रक्रिया भी चल रही है, जिसमें आर्थिक-रिश्तों की केंद्रीय भूमिका होगी. दूसरी तरफ अमेरिका के चीन, ईयू और ब्रिटेन के साथ आर्थिक-संबंध भी हमारी अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेंगे.

रूस, चीन और खासतौर से ब्रिक्स के साथ भारत के रिश्ते, अमेरिका के साथ होने वाले समझौते का हमारे लिए भी महत्व है, क्योंकि घूम-फिरकर ये हमें भी प्रभावित करते हैं.

व्यापार के समांतर जियो-पॉलिटिक्स भी चल रही है. अमेरिका सरकार चीन के व्यापार-विस्तार को काबू करने की कोशिशें भी साथ-साथ कर रही है. इसलिए इन देशों के आपसी समझौतों और उनसे पड़ने वाले क्रॉस-प्रभावों को समझना जटिल काम है.