राजनीति
के चक्रव्यूह में घिरी सरकारी अधिसूचना
पर्यावरण
मंत्रालय ने पशु क्रूरता निरोधक अधिनियम के तहत जो अधिसूचना जारी की है, उसके
निहितार्थ से या तो सरकार परिचित नहीं थी, या वह विरोध की परवाह किए बगैर वह अपने
सांस्कृतिक एजेंडा को सख्ती से लागू करना चाहती है। अधिसूचना की पृष्ठभूमि को
देखते हुए लगता नहीं कि सरकार का इरादा देशभर में पशु-वध पर रोक लगाने का
है। सांविधानिक दृष्टि से वह ऐसा कर भी नहीं सकती। यह राज्य-विषय है। केन्द्र सरकार घुमाकर फैसला क्यों
करेगी? अलबत्ता इस फैसले ने विरोधी दलों के
हौसलों को बढ़ाया है। वामपंथी तबके ने बीफ-फेस्ट वगैरह शुरू करके इसे एक दूसरा
मोड़ दे दिया है। इससे हमारे सामाजिक जीवन में टकराव पैदा हो रहा है।