Showing posts with label शिक्षा और तकनीक. Show all posts
Showing posts with label शिक्षा और तकनीक. Show all posts

Tuesday, December 15, 2020

भारतीय भाषाओं में इंजीनियरी की पढ़ाई


इंजीनियरिंग के स्नातक पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए होने वाली आगामी परीक्षा जॉइंट एंटरेंस एग्जामिनेशन मेन (JEE Main) देश की 12 भाषाओं में होगी। इस परीक्षा से जुड़ी बातें तभी बेहतर तरीके से समझ में आएंगी, जब इनका संचालन हो जाएगा। पहली नजर में मुझे यह विचार अच्छा लगा और मेरी समझ से इसके साथ भारतीय शिक्षा के रूपांतरण की संभावनाएं बढ़ गई हैं। इंजीनियरी के कोर्स में प्रवेश के लिए फरवरी 2021 से शुरू हो रही यह परीक्षा चार चक्रों में होगी। फरवरी से मई तक हरेक महीने एक परीक्षा होगी।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने पिछले गुरुवार 10 दिसंबर को कहा कि एक साल में चार बार संयुक्त प्रवेश परीक्षा इसलिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि छात्र विभिन्न परीक्षाओं के एक ही दिन होने या कोविड-19 जैसी स्थिति की वजह से अवसरों से वंचित न हो सकें। उन्होंने कहा कि जेईई (मेन 2021) के लिए पाठ्यक्रम पिछले साल जैसा ही रहेगा। एक और प्रस्ताव का अध्ययन किया जा रहा है, जिसके तहत छात्रों को 90 (भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान और गणित के 30 -30 सवालों) में से 75 सवालों (भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान और गणित के 25-25 सवालों) का जवाब देने का विकल्प मिलेगा।

Monday, July 6, 2015

अकेले टेक्नोलॉजी नहीं है स्कूलों की बीमारी का इलाज

केंटारो टोयामा 
भारत में हम उन स्कूलों को प्रगतिशील मानते हैं, जहाँ शिक्षा में तकनीक का इस्तेमाल होता है. मसलन कम्प्यूटर और सूचना प्रौद्योगिकी का.  ऊँची फीस वाले स्कूल ऊँची तकनीक के इस्तेमाल का दावा करते हैं। ई-मेल, लैपटॉप और स्मार्टफोन से लैस छात्र प्रगतिशील माने जाते हैं। कम्प्यूटर साइंटिस्ट केटारो टोयामा तकनीक और विकास के रिश्तों पर रिसर्च करते हैं. वे तकनीक के महत्व को स्वीकार करते हैं, पर मानते हैं कि तकनीक ही साध्य नहीं है, केवल साधन है। इस लिहाज से बोस्टन रिव्यू फोरम में प्रकाशित उनका लेख क्या तकनीक गरीबी दूर कर सकती है?  पठनीय है. आशुतोष उपाध्याय उनका एक और लेख खोजकर लाए हैं, जो शिक्षा के बाबत उनके विचारों का प्रतिपादन करता है. 

सन 2013 के बसंत में मैंने एक महीने तक अपनी सुबहें लेकसाइड स्कूल में बिताईं. यह सिआटल का एक  प्राइवेट स्कूल है जहां प्रशांत उत्तरपश्चिम में रहने वाले भद्रलोक के बच्चे पढ़ते हैं. लाल ईंटों से बना स्कूल का आलीशान परिसर किसी आईवी लीग कॉलेज जैसा भव्य दिखाई देता है और इसकी फीस भी उन्हीं जैसी है. इस स्कूल में गिल गेट्स ने पढ़ा है और यहां अमेजन और माइक्रोसॉफ्ट के अफसरों के बच्चे पढ़ने आते हैं. जाहिर है स्कूल में टेक्नोलॉजी की कोई कमी नहीं: शिक्षक स्कूल के इन्टरनेट पर एसाइनमेंट्स पोस्ट करते हैं; ई-मेल से कक्षाओं को निर्देश देते हैं; और हर बच्चा लैपटॉप (अनिवार्यतः) और स्मार्टफोन (अनिवार्य नहीं) लेकर स्कूल पहुंचता है.