किसान-आंदोलन को लेकर बातें देश की सीमा से बाहर जा रही हैं। इसके अंतरराष्ट्रीय आयाम को लेकर सचिन, तेन्दुलकर और लता मंगेशकर से लेकर बॉलीवुड के कलाकारों ने आवाज उठाई है। उधर दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को एक एफआईआर दर्ज की है, जिसका दायरा सोशल मीडिया से जुड़ा होने के कारण देश के बाहर तक जाता है। केंद्र में है किसान आंदोलन से जुड़ी एक ‘टूलकिट’ जिसे ग्रेटा थनबर्ग ने अपने ट्वीट में शेयर किया था। बाद में उन्होंने इसे डिलीट करके संशोधित ट्वीट जारी किया, पर उनके पिछले ट्वीट का विवरण छिप नहीं पाया।
बेशक एक ट्वीट से भारतीय राष्ट्र-राज्य टूट नहीं जाएगा, पर उसकी पृष्ठभूमि को समझने की कोशिश भी की जानी चाहिए। ‘टूलकिट’ प्रकरण को किसान-आंदोलन से अलग करके देखना चाहिए। किसानों का आंदोलन अपनी कुछ
माँगों को लेकर है। टूलकिट के विवरणों को ध्यान से देखें, तो पाएंगे कि उनमें आंदोलन
की माँग का केवल एक जगह जिक्र भर है। दूसरी तरफ इसमें भारत की छवि पर
वैश्विक-प्रहार करने की कामना ज्यादा है। देश के विदेश मंत्रालय ने इस मामले में
जो प्रतिक्रिया व्यक्त की है, उसपर भी ध्यान देना चाहिए।
विदेशी हस्तियों का प्रवेश
विदेश मंत्री एस
जयशंकर ने शनिवार को न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा, मेरा मानना है कि इसने बहुत कुछ सामने ला दिया है।
हमें देखना है कि और क्या चीजें बाहर आती हैं। उन्होंने कहा, किसानों के प्रदर्शन पर
विदेशी हस्तियों के हस्तक्षेप पर विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया के पीछे वजह थी।
विदेश मंत्रालय ने इन हस्तियों की टिप्पणी को गैर जिम्मेदार और गलत बताया था।
जयशंकर ने कहा, ''आप देखिए कि विदेश
मंत्रालय ने कुछ हस्तियों की ओर से ऐसे मुद्दे पर दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया दी
जिसके बारे में वह अधिक नहीं जानते हैं, इसके पीछे कोई वजह है।''
ज्यादातर लोग इस मामले को राजनीतिक नजरिए से ही देख रहे हैं या देखना चाहते
हैं। मुझे लगता है कि इन विदेशी सेलिब्रिटियों को यह समझाया गया है कि यह व्यापक
सामाजिक आंदोलन है। भारत की सामाजिक समझ बाहरी लोगों को देश के अंग्रेजी मीडिया, अंग्रेजी
बोलने वाले बुद्धिजीवियों और भारतीय सेलेब्रिटियों से बनती है। इस सिलसिले में
मेरा ध्यान चेन्नई के मीडिया हाउस द हिंदू की अध्यक्ष मालिनी पार्थसारथी के एक ट्वीट पर
गया। उन्होंने अमेरिकी गायिका रिहाना के एक ट्वीट के संदर्भ में लिखा, ‘सेलिब्रिटियों का यह आक्रोश गलत जगह पर है, जिन्हें
किसान-आंदोलन और सरकारी जवाब से जुड़े तथ्यों की जानकारी नहीं है। यह अमीर किसानों
के नेतृत्व में बगावत है, जो खेती को बाजार की अर्थव्यवस्था से जोड़े जाने के विरुद्ध
है। भारतीय लोकतंत्र को झटका नहीं।’
मालिनी पार्थसारथी के इस ट्वीट पर काफी लोगों को आश्चर्य हुआ। कुछ लोगों को लगा कि वे मोदी सरकार का बचाव कर रही हैं। ऐसी बात नहीं थी। 3 फरवरी के उपरोक्त ट्वीट के बाद 4 फरवरी को उन्होंने एक और ट्वीट किया, ‘बेशक पॉप सितारा रिहाना भारत को बदनाम करने की किसी अंतरराष्ट्रीय साजिश का हिस्सा नहीं हैं। समस्या है किसान-आंदोलन का मानवाधिकार-संघर्ष के रूप में अंध-चित्रण. जबकि ऐसा है नहीं।’ इसके बाद 5 फरवरी के एक तीसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा, ‘सेलिब्रिटी ट्विटर-एक्टिविज्म एक जटिल मसले का सरलीकरण है।’