देवयानी खोबरागड़े का मामला मीडिया संग्राम का शिकार हो
गया। दोनों देशों की सरकारों ने अब इस मामले पर ठंडा पानी डालने की कोशिश की है।
हमारे मीडिया को समझना चाहिए कि हर बात को राष्ट्रीय अपमान, पश्चिम के भारत विरोधी
रवैये और भारत के दब्बूपन पर केंद्रित न करे। दूसरी ओर पश्चिमी देशों को भारतीय
संवेदनशीलता को ध्यान में रखना चाहिए। इधर जब भारत सरकार ने अमेरिकी राजनयिकों को
मिल रही सुविधाओं को खत्म करने की घोषणा की तब अखबारों की सुर्खियाँ इस आशय की थीं
कि भारत के पास भी रीढ़ की हड्डी है। अमेरिकी विदेश मंत्री के खेद प्रकट करने के
बावजूद भारत की ओर से माफी माँगने और इस मुकदमे को वापस लेने की माँग होने लगी।