खबर है कि चीन के एक स्टार्टअप ने क्वांटम कंप्यूटर के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम विकसित कर लिया है। इस खबर के दो मायने हैं। एक तो यह अमेरिका के तकनीकी वर्चस्व को चुनौती है और दूसरे इस प्रकार दुनिया में अगली पीढ़ी की तकनीक के विस्तार का दरवाजा खुल रहा है। इसके पहले दिसंबर 2020 में चीन ने क्वांटम कंप्यूटर की तकनीक के विकास और एक प्रोटोटाइप तैयार करने का दावा किया था। पर पिछले सोमवार 8 फरवरी को चीन के एनहुई प्रांत के स्टार्टअप ओरिजिन क्वांटम ने अपने इस ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रदर्शन किया। इस प्रकार कहा जा सकता है कि चीन ने ‘क्वांटम सुप्रीमेसी’ के पहले चरण में प्रवेश कर लिया है।
पहले इस बात को समझें कि ‘क्वांटम सुप्रीमेसी’ होती क्या है। यह कंप्यूटर विज्ञान का नया शब्द है। मोटे तौर पर समझें कि आज के सुपर कंप्यूटरों से भी लाखों गुना ज्यादा तेज कंप्यूटर। नवंबर 2019 में गूगल ने घोषणा की थी कि कंप्यूटिंग में क्वांटम सुप्रीमेसी हासिल कर ली गई है। साइंटिफिक जर्नल 'नेचर' में इस आशय से संबंधित एक लेख भी प्रकाशित हुआ। परंपरागत कंप्यूटर भौतिक शास्त्र के परंपरागत सिद्धांतों पर काम करते हुए वे विद्युत प्रवाह का इस्तेमाल करते हैं। क्वांटम कंप्यूटर उन नियमों के आधार पर काम करेगा, जो परमाणुओं और सबएटॉमिक पार्टिकल्स के व्यवहार को दर्शाते हैं। इतने महीन स्तर पर क्वांटम फिजिक्स के नियम काम करते हैं। ऐसे कंप्यूटर के विकास पर वैज्ञानिक पिछले चार दशक से लगे हुए हैं। सन 1981 में भौतिक विज्ञानी रिचर्ड फेनमैन ने लिखा, ‘प्रकृति की नकल करते हुए हमें क्वांटम मिकेनिक्स का विकास करना होगा, जो सरल नहीं है।’ परंपरागत कम्प्यूटर, सूचना को बाइनरी यानी 1 और 0 के तरीके से प्रोसेस करता है, जबकि क्वांटम कंप्यूटर ‘क्यूबिट्स’ (क्वांटम बिट्स) में काम करेगा। इसमें प्रोसेसर 1और 0 दोनों को साथ-साथ प्रोसेस करेगा। ऐसा एटॉमिक स्केल में होता है। इस स्थिति को क्वांटम सुपरपोजीशन कहते हैं।