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Monday, January 1, 2018

2017 में भी कायम रहा मोदी का रसूख

घरेलू राजनीति, सांस्कृतिक टकरावों, आर्थिक उतार-चढ़ाव और विदेश नीति के गूढ़-प्रश्नों के लिहाज से यह साल कुछ बड़े सबक देकर जा रहा है. पिछले डेढ़-दो साल से अर्थ-व्यवस्था में नजर आने वाला गिरावट का रुख थमा जरूर है, पर नाव अभी डगमग है. शायद जीएसटी के पेच आने वाले साल में कम हो जाएंगे. गुजरात के चुनावों का सबक लेकर सरकार आने वाले वर्ष में गाँवों और किसानों के लिए कुछ बड़ी घोषणाएं करेगी. दूसरी ओर सरकार के ऊपर राजकोषीय घाटे को काबू में रखने का दबाव भी है. इसलिए परीक्षा की घड़ी है.
राष्ट्रीय राजनीति के संकेतक बता रहे हैं कि नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता फिर भी बदस्तूर है. दूसरी ओर उनके प्रतिस्पर्धी के रूप में राहुल गांधी कमर कस रहे हैं. अब अगला मुकाबला मार्च-अप्रेल में कर्नाटक में है. इस साल मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी विधानसभा चुनाव हैं. इसलिए बीजेपी और कांग्रेस को दम-खम परखने के कई मौके मिलेंगे. नरेन्द्र मोदी को सत्ता संभाले साढ़े तीन साल से ज्यादा का वक्त हो चुका है, पर लोगों का भरोसा अभी कायम है. प्यू रिसर्च सेंटर के इस साल के सर्वे का निष्कर्ष है कि 10 में से 9 भारतीय नरेंद्र मोदी के प्रति सकारात्मक राय रखते हैं, जबकि 2015 में यह 10 में से 7 का था.

Sunday, December 31, 2017

सुलगते सवाल सा साल

भारत के लिए 2017 का साल बेहद जोखिम भरा साबित हुआ है। आंतरिक राजनीति की गहमा-गहमी, सांस्कृतिक टकरावों, आर्थिक उतार-चढ़ाव और विदेश नीति के गूढ़-प्रश्नों पर निगाह डालें तो पता लगेगा कि हमने एक साल में कई साल की यात्रा पूरी की है। इसकी शुरुआत उसके पिछले साल यानी 2016 के अंत में नोटबंदी और सर्जिकल स्ट्राइक जैसी दो बड़ी घटनाओं से हुई थी। साथ ही 2017 की शुरूआत पाँच राज्यों के विधानसभा चुनाव के शोर और आम बजट की तारीख में बदलाव से जुड़ी बहस के साथ हुई। इस साल तमाम सवालों के जवाब मिले, फर भी अपने पीछे यह अनेक गूढ़-प्रश्न छोड़ गया है, जिनके जवाब आने वाला साल देगा।
राष्ट्रीय राजनीति के लिहाज से साल का आगाज़ उत्तर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन से और समापन गुजरात के जनादेश के साथ हुआ। गुजरात का परिणाम अपने पीछे एक पहेली छोड़ गया है कि जीत किसकी जीत हुई और किसकी हार? इस पहेली को बूझने के लिए अगले साल कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के अलावा मेघालय, त्रिपुरा और नगालैंड जैसे पूर्वोत्तर के तीन राज्यों के चुनाव होने हैं। ये चुनाव पूरे साल को सरगर्म बनाकर रखेंगे और सन 2019 के लोकसभा चुनाव की पृष्ठपीठिका तैयार करेंगे।