Showing posts with label मेडिकल-ऑक्सीजन. Show all posts
Showing posts with label मेडिकल-ऑक्सीजन. Show all posts

Friday, July 9, 2021

साँसों के सौदागर

शुक्रवार 25 जून की सुबह भारतीय मीडिया में खबरें थीं कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली के लिए गठित 'ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी' ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि 'केजरीवाल सरकार ने कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान ज़रूरत से चार गुना ज़्यादा ऑक्सीजन की माँग की थी।' रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली सरकार को असल में क़रीब 289 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की दरकार थी, लेकिन उनके द्वारा क़रीब 1200 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की माँग की गई। ज़रूरत से अधिक माँग का असर उन 12 राज्यों पर देखा गया जहाँ ऑक्सीजन की कमी से कई मरीज़ों को अपनी जान गँवानी पड़ी।

दिल्ली में 25 अप्रेल से 10 मई के बीच कोरोना वायरस की दूसरी लहर चरम पर थी। उस समय दिल्ली की जरूरत को लेकर पहले हाईकोर्ट में और फिर सुप्रीम कोर्ट में बहस हुई। उसकी परिणति में ऑडिट टीम का गठन हुआ, जिसने  छानबीन में पाया कि दिल्‍ली सरकार ने जरूरत से चार गुना ज्यादा ऑक्सीजन की माँग की थी। हालांकि अभी अंतिम रूप से निष्कर्ष नहीं निकाले गए हैं, पर मीडिया में प्रकाशित जानकारी के अनुसार कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि दिल्ली को माँग से ज्यादा ऑक्सीजन की आपूर्ति की गई थी।

अभूतपूर्व संकट

कोरोना वायरस की दूसरी लहर के कारण अप्रेल-मई में देश के कई हिस्सों में अस्पतालों में ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर कुछ दिन तक विकट स्थिति रही। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। स्थिति की गम्भीरता को देखते हुए प्रधानमंत्री ने स्वयं इस सिलसिले में कई बैठकों में भाग लिया। गृह मंत्रालय ने हस्तक्षेप करके राज्यों को निर्देश दिया कि वे ऑक्सीजन-वितरण योजना का ठीक से अनुपालन करें।

प्रधानमंत्री को जानकारी दी गई थी कि 20 राज्यों ने 6,785 मीट्रिक टन प्रतिदिन की अभूतपूर्व कुल माँग रखी है, जिसे देखते हुए केंद्र ने 21 अप्रेल से 6,882 मीट्रिक टन प्रतिदिन की स्वीकृति दी थी। यह सामान्य से कहीं ज्यादा बड़ी आपूर्ति थी। एक हफ्ते के भीतर 12 राज्यों में ऑक्सीजन की माँग में एकदम से भारी वृद्धि हो गई थी। उसके पहले 15 अप्रेल को केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने राज्य सरकारों को पत्र लिखा था कि 12 राज्यों ने 20 अप्रेल के लिए ऑक्सीजन की जिस सम्भावित आवश्यकता जताई थी, वह 4,880 मीट्रिक टन की थी।

Sunday, April 25, 2021

भारत पर ‘प्राणवायु’ का संकट


भारत में कोरोना की दूसरी लहर ने सारी दुनिया का ध्यान खींचा है। दो महीने पहले जिस लड़ाई में भारत को दुनियाभर से बधाई-संदेश मिल रहे थे, उसमें तीन हफ्ते के भीतर भारी बदलाव आने से चिंता के बादल हैं। स्कूल खुलने लगे थे, बाजारों में रंगीनी वापस लौट रही थी, मित्रों की लम्बे अरसे बाद मुलाकातें होने लगी थी, वैवाहिक समारोहों से लेकर बर्थडे पार्टियाँ फिर से सजने लगी थीं। मार्च के महीने में हमारे यहाँ हर रोज होने वाले नए संक्रमणों की संख्या घटकर 13,000 के आसपास पहुँच गई थी। जर्मनी और फ्रांस से भी कम। ज्यादातर मामले महाराष्ट्र और दक्षिण में थे। इन उपलब्धियों पर पिछले तीन हफ्ते से चली दूसरी लहर और पिछले हफ्ते खड़े हुए ऑक्सीजन-संकट ने पानी फेर दिया है।

ऑक्सीजन की किल्लत

सामान्य परिस्थितियों में देश में मेडिकल-ऑक्सीजन का उपलब्धता को लेकर दिक्कत नहीं है। स्वास्थ्य मंत्रालय की 15 अप्रेल की प्रेस-विज्ञप्ति के अनुसार कोविड-19 अधिकार प्राप्त समूह-2 ने ऑक्सीजन की उपलब्धता को लेकर घबराहट पैदा न हो, इसके लिए पहले से कार्रवाई शुरू कर दी थी। 15 अप्रेल को समूह-2 की बैठक में हुए तीन महत्वपूर्ण फैसलों में से सभी ऑक्सीजन की उपलब्धता को लेकर थे।

देश में प्रतिदिन लगभग 7,127 एमटी ऑक्सीजन की उत्पादन क्षमता है और जरूरत पड़ने पर इस्पात संयंत्रों के पास उपलब्ध अतिरिक्त ऑक्सीजन को भी उपयोग में लाया जा रहा है। 12 अप्रैल को मेडिकल-ऑक्सीजन की खपत 3,842 एमटी थी। कोविड-19 के सबसे ज्यादा सक्रिय मामलों वाले 12 राज्यों को 20, 25 और 30 अप्रैल की अनुमानित मांग को पूरा करने के लिए क्रमशः 4880 एमटी, 5619 एमटी और 6593 एमटी मेडिकल ऑक्सीजन का आबंटन किया गया। पर जरूरत इससे भी काफी आगे निकल गई। एक हफ्ते में अचानक बढ़कर करीब तिगुनी हो गई।

Friday, April 23, 2021

मेडिकल-ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ेगी


कोरोना की दूसरी लहर और स्वास्थ्य-प्रणाली को लेकर उठे सवालों के परिप्रेक्ष्य में केंद्र सरकार सक्रिय हुई है। कल प्रधानमंत्री ने इस सिलसिले में बैठकों में भाग लिया और आज भी बैठकें हो रही हैं। संकट की इस स्थिति में गुरुवार को प्रधानमंत्री ने हस्तक्षेप करके अधिकारियों को निर्देश दिया कि ऑक्सीजन का उत्पादन बढ़ाया जाए। इस बीच गृह मंत्रालय ने हस्तक्षेप करके राज्यों को निर्देश दिया कि वे ऑक्सीजन की वितरण योजना का ठीक से पालन करें। प्रधानमंत्री आज भी कोविड-19 की स्थिति पर अधिकारियों और राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ विचार-विमर्श कर रहे हैं। 

कोरोना की दूसरी लहर का तेज हमला एक तरफ से हो ही रहा था कि अस्पतालों में बिस्तरे कम होने और वेंटीलेटरों और ऑक्सीजन की कमी की खबरें आने लगीं। ऑक्सीजन की कमी खासतौर से चार राज्यों, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा और गुजरात से सुनाई पड़ी। ये चारों राज्य राजनीति दृष्टि से भी संवेदनशील हैं। महामारी के दौर में प्राणवायु की इस किल्लत ने त्राहि-त्राहि मचा दी है। इसबार के संक्रमण में सबसे ज्यादा परेशानी साँस को लेकर है। शरीर में ऑक्सीजन की कमी तेजी से होने लगती है। ऐसे में ऑक्सीजन देने की जरूरत होती है।