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Monday, May 23, 2022

‘वर्क फ्रॉम होम’ का दौर तो अब जारी रहेगा, पर उससे जुड़ी कुछ पेचीदगियाँ भी हैं


जैसे जैसे-जैसे महामारी का असर कम हो रहा है दुनियाभर की कम्पनियाँ अपने यहाँ की व्यवस्थाओं में बड़े बदलाव कर रही है। ज्यादातर बदलावों के पीछे वर्क फ्रॉम होम की अवधारणा है, जिसने केवल कर्मचारियों की सेवा-शर्तों में ही बदलाव नहीं किया है, बल्कि कम्पनियों के दफ्तरों के आकार, फर्नीचर और तकनीक तक को बदल डाला है। एक नया हाइब्रिड मॉडल उभर कर सामने आ रहा है। केवल कम्पनियों को ही नहीं, कर्मचारियों को भी घर से काम की व्यवस्था पसंद आ रही है। अलबत्ता वे कामकाज के तरीकों में बदलाव भी चाहते हैं।

कंपनियों के दफ्तर ऑफिस खुलते जा रहे हैं, लेकिन उन्होंने वर्क फ्रॉम होम के  विकल्प खुले रखे हैं। इसका मकसद प्रतिभावान कर्मचारियों को कंपनी में बनाए रखना है। इस समय कर्मचारियों के नौकरी छोड़ने की दर (एट्रिशन रेट) बहुत ज्यादा है। हाल में रिक्रूटमेंट एंड स्टाफिंग सर्विसेज फर्म सीआईईएल एचआर सर्विसेज ने एक सर्वे प्रकाशित किया है, जिसके अनुसार बड़ी संख्या में कर्मचारी घर से काम करना चाहते हैं। यह सर्वे 620 कंपनियों के करीब 2,000 कर्मचारियों के बीच कराया गया। वे ऑफिस जाकर काम करने के बजाय वेतन-वृद्धि और नौकरी तक छोड़ने को तैयार हैं।

घर बैठेंगे

सर्वे में शामिल 10 में से छह कर्मचारियों ने कहा कि ऑफिस जाने के बजाय नौकरी छोड़ना पसंद करेंगे। आईटी, आउटसोर्सिंग, टेक्नोलॉजी स्टार्टअप्स, कंसल्टिंग, बीएफएसआई (बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज और इंश्योरेंस सेक्टर) और दूसरे कई सेक्टरों में यह धारणा है। काफी कर्मचारियों को लगता है कि घर या रिमोट वर्किंग से उन्हें निजी जिंदगी और नौकरी के बीच बेहतर संतुलन बनाने का मौका मिला है। सर्वे में शामिल 620 में से 40 फीसदी कम्पनियाँ पूरी तरह घर से काम कर रही हैं जबकि 26 फीसदी हाइब्रिड मोड में काम कर रही हैं।

ऐसे सर्वे दुनियाभर में हो रहे हैं। वर्क फ्रॉम होम की अवधारणा नई नहीं है। महामारी के दौर में बड़े स्तर पर इसे जबरन लागू करना पड़ा। पर उसके पहले अमेरिका के स्टैनफर्ड विवि ने 2015 में एक चीनी कम्पनी में दो साल तक इस विषय पर अध्ययन किया और पाया था कि इससे उत्पादकता बढ़ती है। हाल में स्टैनफर्ड में आउल लैब्स ने करीब 16 हजार कर्मचारियों पर एक अध्ययन किया और पाया कि घर से काम करने पर कर्मचारियों की दक्षता में 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। शिकागो विवि के बेकर फ्रीडमैन इंस्टीट्यूट फॉर द इकोनॉमिक्स ने करीब 10,000 कर्मचारियों के सर्वे से इसी आशय के निष्कर्ष निकाले।

बड़े दफ्तरों से छुटकारा

इससे एक और सकारात्मक सम्भावना ने जन्म लिया है। कम्पनियाँ कुछ खास कार्यों को एक खास समयावधि में पूरा करने की जिम्मेदारी देकर बहुत से सुपरवाइजरी पदों पर नियुक्तियाँ करने से बच सकती हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि ऑफिस के लिए बड़ी इमारतों को खरीदने या किराए पर लेने की जरूरत कम हो रही है। इसका साथ बिजली का खर्च और टेक्नोलॉजी पर बड़े निवेश से बचने की सम्भावनाएं भी बन रही हैं। बहरहाल इस पद्धति के नफे-नुकसान का अध्ययन हारवर्ड से लेकर मैकेंजी तक कर रहे हैं।

Friday, January 15, 2021

कंपनियों में नई भरतियों के आसार

नौकरियों की बौछार होने जा रही है। कोविड-19 का टीका बनते ही कंपनियां जोश में आ गई हैं और टाटा, बिड़ला, रिलायंस तथा आईटीसी समेत तमाम नामी कंपनियां अगले कुछ महीनों में ज्यादा भर्तियां करने जा रही हैं।

टाटा समूह की सबसे कीमती कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस (टीसीएस) ने दिसंबर तिमाही में 15,721 लोगों की भर्तियां कर एक तरह से नया कीर्तिमान बना दिया। समूह की दूसरी कंपनियां भी इस मामले में पीछे नहीं हैं और वे अपनी चालू परियोजनाओं के लिए कर्मचारी तथा आवश्यक सामग्री जुटाने में व्यस्त हैं।  टीसीएस के मुख्य वित्तीय अधिकारी वी रामकृष्णन ने कहा, 'वित्त वर्ष 2021 की तीसरी तिमाही में जितने नए कर्मचारी जोड़े गए, उतने कभी किसी तिमाही में भर्ती नहीं किए गए।' हाल में ही देश का नया संसद भवन बनाने का ठेका हासिल करने वाली टाटा प्रोजेक्ट्स भी निर्माण कार्य शुरू करने के लिए ज्यादा लोगों को भरती करने जा रही है।

Wednesday, September 2, 2020

युवा-शक्ति के लिए शुभ संदेश

 

बदलाव को जन्म देगी भरती की नई प्रक्रिया 

केंद्र सरकार ने नौकरियों में भरती की जिस नई प्रवेश परीक्षा और प्रक्रिया की योजना पेश की है, उसके भीतर दूरगामी संभावनाएं छिपी हुई हैं। यह एक प्रकार की सामाजिक क्रांति को जन्म दे सकती है, बशर्ते इसे सावधानी से लागू किया जाए। यह प्रक्रिया ग्रामीण क्षेत्र के युवकों को मुख्यधारा में आने का मौका देगी, लड़कियों को महत्वपूर्ण सरकारी सेवाओं से जोड़ेगी और भारतीय भाषाओं के माध्यम से सरकारी सेवाओं में आने के इच्छुक नौजवानों को आगे आने का अवसर देगी। इन सब बातों के अलावा प्रत्याशियों और सेवायोजकों दोनों के समय और साधनों का अपव्यय भी रुकेगा।

केंद्र सरकार ने गत 19 अगस्त को फैसला किया है कि सरकारी क्षेत्र की तमाम नौकरियों में प्रवेश के लिए एक राष्ट्रीय भरती एजेंसी का गठन किया जाएगा। इस आशय की जानकारियाँ प्रधानमंत्री कार्यालय से सम्बद्ध तथा कार्मिक, सार्वजनिक शिकायतों और पेंशन विभागों के राज्यमंत्री जितेन्द्र सिंह ने दी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने केंद्र सरकार की नौकरियों की भरती में परिवर्तनकारी सुधार लाने हेतु राष्ट्रीय भरती एजेंसी (नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी-एनआरए) के गठन को मंज़ूरी दे दी है।

क्या है यह परीक्षा? 

जिस तरह इंजीनियरी, चिकित्सकीय तथा प्रबंधन की कक्षाओं में प्रवेश के लिए समान अर्हता टेस्ट (कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट-सीईटी) होते हैं, उसी तरह नौकरियों की भरती के लिए बुनियादी स्तर पर एक परीक्षा (सीईटी) होगी। उस परीक्षा में व्यक्ति को प्राप्त रैंकिंग के आधार पर विभिन्न विभागों तथा संस्थानों में नौकरी दी जा सकेगी। सार्वजनिक उपक्रम भी इस परीक्षा के स्कोर के आधार पर चयन कर सकेंगे और यदि निजी क्षेत्र के नियोजक चाहेंगे, तो वे भी इसका इस्तेमाल कर सकेंगे।