भारत की संक्षिप्त-यात्रा पर आए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अफगानिस्तान की स्थिति पर चिंता व्यक्त की और आतंकवाद तथा नशे के कारोबार के खिलाफ भारत की मुहिम को अपना समर्थन भी व्यक्त किया। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच 28 समझौतों पर हस्ताक्षर हुए, नौ समझौते दोनों सरकारों के बीच जबकि शेष बिजनेस टू बिजनेस समझौते हुए। दोनों देशों के बीच सैन्य-तकनीक सहयोग समझौते का भी 2021-2031 तक के लिए नवीकरण हो गया है।
मोदी-पुतिन के बीच हुई बातचीत के बाद जारी बयान
में बताया गया कि बैठक में अफगानिस्तान के मुद्दे पर भी चर्चा हुई और वहां शांति
को लेकर रणनीति पर बात की गई। बयान में कहा गया है कि दोनों देशों ने आतंकवाद के
हर रूप के खिलाफ अपनी प्रतिबद्धता जताई। बैठक में कट्टरता से निपटने और
अफगानिस्तान को आतंकियों का पनाहगाह नहीं बनने देने को लेकर भी बातचीत हुई।
‘टू प्लस टू वार्ता’
इसके अलावा दोनों देशों के बीच पहली ‘टू प्लस टू वार्ता’ भी हुई। रक्षा-समझौते
हुए, पर रेसिप्रोकल लॉजिस्टिक सपोर्ट एग्रीमेंट (रेलोस)
नहीं हो पाया, जिसे
लेकर विशेषज्ञों की काफी दिलचस्पी थी। ऐसे चार समझौते भारत और अमेरिका के बीच हो
चुके हैं। विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला ने अपने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इसे
फिलहाल स्थगित किया जा रहा है, क्योंकि अभी कुछ मसले बाकी हैं। उन्होंने यह भी बताया कि भारत ने पूर्वी लद्दाख पर अपने पक्ष को
स्पष्ट किया वहीं रूस ने यूक्रेन की स्थिति पर अपने पक्ष को व्यक्त किया। यूक्रेन
को लेकर भी भारत को वैश्विक मंच पर अपना मत स्पष्ट करना होगा। हिंद-प्रशांत
क्षेत्र को लेकर भी दोनों देशों के मतभेद स्पष्ट हैं।
भारतीय मीडिया में इस आशय की खबरें भी हैं कि रूस ने एस-400 मिसाइल सिस्टम डील पर भारत की अमेरिका को खरी-खरी सुनाने पर तारीफ की है, पर व्यावहारिक सच यह है कि भारत किसी भी प्रभाव-क्षेत्र के दबाव में आना नहीं चाहेगा और अपनी नीतिगत-स्वायत्तता को बनाकर रखना चाहेगा। साथ ही यह भी स्पष्ट है कि भारत रक्षा-तकनीक के मामले में रूस पर अपना आश्रय कम करता जाएगा। आज की स्थिति में पूरी तरह अलगाव संभव नहीं है। इसे जारी रखने में दोनों देशों का हित है।