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Tuesday, December 27, 2022

नेपाल और भारत के रिश्तों में चीन की बाधा


नेपाल-भारत रिश्ते-2

नेपाल की नई सरकार ने कहा है कि हम भारत और चीन के साथ अपने रिश्तों को संतुलित रखेंगे. यह बयान देने की जरूरत बता रही है कि कहीं पर कुछ असंतुलित या गड़बड़ है. रविवार को पुष्प कमल दहल के प्रधानमंत्री की घोषणा होने के बाद उन्हें बधाई देने वाले पहले शासनाध्यक्ष थे, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. उन्होंने ट्वीट किया, 'नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में चुने जाने पर हार्दिक बधाई। भारत और नेपाल के बीच अद्वितीय संबंध गहरे सांस्कृतिक जुड़ाव और लोगों से लोगों के बीच संबंधों पर आधारित है। मैं इस दोस्ती को और मजबूत करने के लिए आपके साथ मिलकर काम करने की आशा करता हूं।'

चीन ने भी बधाई दी, पर यह बधाई काठमांडू में चीन के दूतावास के प्रवक्ता ने ट्वीट करके दी. उसने ट्वीट में कहा, 'नेपाल के 44 वें प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्ति पर पुष्प कमल दहल प्रचंड को हार्दिक बधाई।' उधर प्रधानमंत्री नियुक्त किए जाने के बाद सोमवार को प्रचंड के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से चीन के क्रांतिकारी नेता माओत्से तुंग की 130वीं जयंती की बधाई देते हुए लिखा गया, ''अंतरराष्ट्रीय सर्वहारा वर्ग के महान नेता कॉमरेड माओत्से तुंग की 130वीं जयंती पर सभी को हार्दिक शुभकामनाएं.''

अविश्वसनीय नेपाल

यह फर्क प्रतीकों में है, पर यह है. हालांकि नेपाल की राजनीति का कोई भरोसा नहीं है. वहाँ किसी भी समय कुछ भी हो सकता है. वहाँ दो मुख्यधारा की कम्युनिस्ट पार्टियाँ हैं. दोनों एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ती रही हैं. 2017 के चुनाव के बाद दोनों ने मिलकर सरकार बनाई और फिर बड़ी तेजी से उनका विलय हो गया. विलय के बाद प्रचंड और केपी शर्मा ओली की व्यक्तिगत स्पर्धा में पार्टी 2021 में टूट गई.

इसबार दोनों पार्टियों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा, पर परिस्थितियाँ ऐसी बनीं, जिसमें दोनों फिर एक साथ आ गई हैं. महत्वपूर्ण बात यह है कि दोनों पार्टियों को नियंत्रित करने की कोशिश चीन की कम्युनिस्ट पार्टी खुलेआम करती है. सन 2015 के बाद से भारत के नेपाल के साथ रिश्ते लगातार डगमग डोल हैं. इसके पीछे नेपाल की राजनीति, जनता और समाज के जुड़ा दृष्टिकोण है, तो चीन की भूमिका भी है. वैश्विक महाशक्ति के रूप में चीन अपनी महत्वाकांक्षाओं को पक्के तौर पर स्थापित करना चाहता है.

कालापानी विवाद

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ स्थित भारत-नेपाल सीमा पर इन दिनों फिर से तनाव है. गत  4 दिसंबर की शाम नेपाल की तरफ से भारतीय मजदूरों पर पथराव किया गया, जिससे कई मजदूरों को चोटें आईं. पत्थरबाजी के विरोध में ट्रेड यूनियन ने भारत-नेपाल को जोड़ने वाले पुल को बंद कर दिया, जिससे पिथौरागढ़ के धारचूला से होकर दोनों देशों के बीच होने वाली आवाजाही बंद हो गई थी. हालांकि बाद में अधिकारियों के समझाने पर पुल खोल दिया गया है, पर तनाव जारी है.

Monday, January 11, 2021

नेपाल में कम्युनिस्ट पार्टी विभाजन की ओर


नेपाल की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के भीतर पिछले कुछ महीनों से चला आ रहा टकराव अब खुलकर सामने आ गया है। संसद भंग करके नए चुनावों की तारीखों की घोषणा होने के बाद दो तरह की गतिविधियाँ तेज हो गई हैं। पहली पहल चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से हुई है, जिसके तहत एक टीम ने नेपाल जाकर सम्बद्ध पक्षों से मुलाकात की है। दूसरी तरफ पार्टी के दोनों धड़ों ने अपनी भावी रणनीति को लेकर विचार-विमर्श शुरू कर दिया है। नेपाल की राजनीति में इस समय तीन प्रमुख दल हैं। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी, नेपाली कांग्रेस और जनता समाजवादी पार्टी।

नेपाली संसद में कुल 275 सदस्य होते हैं। राष्ट्रपति कार्यालय की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक 30 अप्रैल को पहले चरण के मतदान होंगे और दूसरे चरण का मतदान 10 मई को होगा। भारत और नेपाल के बीच पिछले कुछ वक्त से तनाव जारी था। पिछले कुछ महीनों से पार्टी दो खेमों में बंटी हुई है। एक खेमे की कमान 68 वर्षीय केपीएस ओली के हाथ में है तो दूसरे खेमे का नेतृत्व पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष व पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प दहल कमल 'प्रचंड' कर रहे हैं।

Thursday, December 31, 2020

नेपाल का संकट क्या चीन के सीधे हस्तक्षेप से सुलझ पाएगा?

 


नेपाल में गत 20 दिसंबर को संसद हो जाने के बाद से असमंजस की स्थिति है। पिछले हफ्ते ऐसा लगा था कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी किसी प्रकार का हस्तक्षेप कर रही है। वहाँ से पार्टी की एक उच्च स्तरीय टीम नेपाल का दौरा करके वापस चली गई है, पर स्थितियाँ जस की तस हैं। चीनी प्रतिनिधिमंडल ने जानने का प्रयास किया कि क्या संसद की पुनर्स्थापना संभव है। यदि संभव नहीं है, तो क्या चुनाव उन तारीखों में हो सकेंगे, जिनकी घोषणा की गई है। बुधवार 30 दिसंबर को यह टीम वापस लौट गई।

सवाल है कि क्या इस राजनीतिक संकट का समाधान चीन कर पाएगा? इस बीच खबर है कि नेपाली विदेशमंत्री प्रदीप ग्यावली भारत और नेपाल के बीच बने संयुक्त आयोग की बैठक में भाग लेने के लिए जनवरी में भारत आएंगे। अभी इसकी तारीख तय नहीं है। यह यात्रा औपचारिक है, पर संभव है कि इस दौरान कुछ महत्वपूर्ण बातें हों।

Monday, November 30, 2020

नेपाल में भारतीय पहल से घबराया चीन

प्रधानमंत्री ओली के साथ चीन के रक्षामंत्री

लगता है कि भारत ने नेपाल के साथ रिश्तों को सुधारने की जो कोशिश की है उसे लेकर चीन में किसी किस्म की चिंता जन्म ले रही है। रविवार 29 नवंबर को चीन के रक्षामंत्री वेई फेंगही नेपाल के एक दिन के दौरे पर आए। यह दौरा
अचानक ही बना। पर इसके पीछे भारत के थल सेनाध्यक्ष और विदेश सचिव के दौरे हैं, जो इसी महीने हुए हैं। उनके आगमन के कुछ दिन पहले 24 नवंबर को चीन के तीन अधिकारियों की एक टीम काठमांडू आई थी, पर इस तैयारी को अचानक हुई गतिविधि ही माना जाएगा। उन्होंने इस दौरान नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली, जो रक्षामंत्री भी हैं और राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी तथा नेपाली सेना के प्रमुख पूर्ण चंद्र थापा से मुलाकात की और शाम को यहाँ से पाकिस्तान रवाना हो गए।

इस दौरान चीन-नेपाल रिश्तों को लेकर बातें हुईं और कोरोना के कारण रुके हुए कार्यक्रमों को फिर से शुरू करने पर सहमति बनी। इनमें ट्रेनिंग और छात्रों के आदान-प्रदान का कार्यक्रम तथा कुछ शस्त्रास्त्र की आपूर्ति शामिल है। पर जिस तरह से यह यात्रा हुई, उससे लगता है कि कोई और महत्वपूर्ण बात इसके पीछे थी।