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Sunday, November 1, 2020

केरल को छोड़ सीपीएम बाकी जगह कांग्रेस के साथ


मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की सेंट्रल कमेटी ने शनिवार 31 अक्तूबर को तय किया कि पश्चिम बंगाल विधानसभा के आगामी चुनाव में पार्टी तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के मुकाबले में कांग्रेस के साथ गठबंधन में शामिल होगी। बंगाल में दोनों पार्टियाँ अपने अस्तित्व के संकट से जूझ रही हैं।

इस प्रकार फिलहाल सीपीएम बंगाल में कांग्रेस के साथ दोस्ती और केरल में टकराव की अपनी नीति पर चलेगी। केरल में भी बंगाल के साथ-साथ आगामी मई में चुनाव होने वाले हैं। पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी का कहना है कि केरल की जनता इतनी समझदार और प्रौढ़ है कि दोनों पार्टियों की इस जरूरत को अच्छी तरह से महसूस कर सके।

असम में भी, जहाँ विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, सीपीएम सेक्युलर पार्टियों के साथ मिलकर चुनाव में हिस्सा लेगी। इन पार्टियों कांग्रेस भी शामिल है। तमिलनाडु में पार्टी द्रमुक के साथ उस गठबंधन में शामिल होगी, जिसका एक घटक कांग्रेस भी है।

सीपीएम पोलित ब्यूरो ने पिछले रविवार यानी 25 अक्तूबर को बंगाल में कांग्रेस के साथ सहयोग करने के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी थी। पार्टी की केरल शाखा अपने राज्य में कांग्रेस के साथ गठबंधन में शामिल होना नहीं चाहती, पर उसने बंगाल में गठबंधन का विरोध नहीं किया।

केरल की राजनीति में दोनों पार्टियाँ एक-दूसरे की कट्टर दुश्मन हैं। इन दिनों भी वहाँ कई मुद्दों को लेकर टकराव चल रहा है। इनमें एक मुद्दा सीपीएम के राज्य महासचिव कोडियेरी बालकृष्णन के पुत्र बिनीश की ड्रग से जुड़े एक मनी लाउंडरिंग मामले में गिरफ्तारी का है। दूसरा मुद्दा सोने की तस्करी को लेकर है, जिसमें मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन के पूर्व प्रमुख सचिव एम शिवशंकर को गिरफ्तार किया गया है।