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Monday, May 9, 2022

यूक्रेन-युद्ध के कारण खाद्य-संकट से रूबरू दुनिया

पहले ही दुनिया खाद्य-सुरक्षा को लेकर परेशान थी, अब यूक्रेन की लड़ाई ने इस परेशानी को और बढ़ा दिया है। पिछले दो साल में महामारी की वजह से दुनिया में करीब दस लाख से ज्यादा लोग और उस सूची में शामिल हो गए हैं, जिन्हें आधा पेट भोजन ही मिल पाता है। इस समस्या का सामना दुनिया कर ही रही थी कि लड़ाई ने नए संकट को जन्म दे दिया है। इससे सप्लाई लाइन प्रभावित हुई हैं और कीमतें बढ़ी हैं। कृषि-अनुसंधान भी प्रभावित हुआ है, जो अन्न की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए जरूरी है।

कारोबारी-बाधाएं

न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले दो महीनों में दर्जनों देशों ने अपनी अन्न-आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए कई प्रकार की कारोबारी बाधाएं खड़ी कर दी हैं। इससे संकट और गहरा हुआ है। यूक्रेन ने सूरजमुखी के तेल, गेहूँ और ओट्स के निर्यात को सीमित कर दिया है। रूस ने उर्वरकों, चीनी और अनाजों की बिक्री रोक दी है। इंडोनेशिया ने, जो दुनिया का करीब आधा पाम ऑयल सप्लाई करता है, सप्लाई रोक दी है। तुर्की ने मक्खन, बीफ, लैम्ब, बकरियों, मक्का और वनस्पति तेलों का निर्यात बंद कर दिया है। कारोबारी संरक्षणवाद एक नए रूप में सामने आ रहा है। 

इन देशों की निर्यात-पाबंदियों के कारण अनाजों, खाद्य तेलों, गोश्त और उर्वरकों की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं। अंतरराष्ट्रीय व्यापार और आर्थिक विकास पर नजर रखने वाले अमेरिका के सेंट गैलन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर साइमन इवेनेट के अनुसार इस साल के शुरू से अब तक विभिन्न देशों ने खाद्य-सामग्री और उर्वरकों के निर्यात से जुड़ी 47 पाबंदियों की घोषणा की हैं। इनमें से 43 पाबंदियाँ यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद की हैं। इवेनेट के अनुसार लड़ाई शुरू होने के पहले पाबंदियाँ बहुत कम थीं, पर लड़ाई शुरू होते ही वे तेजी से बढ़ी हैं।

उर्वरक महंगे

गैस और पेट्रोलियम की सप्लाई रुकने या कीमतें बढ़ने के कारण उर्वरकों और खेती से जुड़ी सामग्री महंगी हुई है। पोटाश और फॉस्फेट की आपूर्ति कम हुई है। रूस और बेलारूस पोटाश के सबसे बड़े निर्यातक हैं। उर्वरकों की आपूर्ति में बाधा पड़ने पर अन्न उत्पादन में कमी आने का खतरा भी है। संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक डेविड बेस्ली ने हाल में कहा था कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद से हमने खाद्य-आपूर्ति पर विपरीत असर डालने वाली जो भी गतिविधियाँ देखी हैं, उनके मुकाबले अब जो हो रहा है, वह उससे कहीं ज्यादा होगा।