Showing posts with label वीआईपी सुरक्षा. Show all posts
Showing posts with label वीआईपी सुरक्षा. Show all posts

Wednesday, December 8, 2021

जनरल रावत के निधन से पूरे देश में सदमा


नीलगिरि की पहाड़ियों में एक और हेलिकॉप्टर दुर्घटना हुई है, जिसमें देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल विपिन रावत और उनकी पत्नी तथा 11 अन्य व्यक्तियों की मृत्यु हो गई। इस घटना से पूरा देश सदमे में है। पहली नजर में लगता है कि खराब मौसम के कारण यह दुर्घटना हुई। इस इलाके की मौसम की भविष्यवाणी थी कि पहाड़ी इलाके में निचले स्तर पर बादल घिरे रहेंगे, आर्द्रता काफी होगी और हल्की बारिश भी हो सकती है। अब तक की जानकारियाँ बता रही हैं कि हेलिकॉप्टर निचली सतह पर उड़ान भरते समय पेड़ों की शाखों से टकरा गया

हेलिकॉप्टर को कुछ देर बाद ही हैलिपैड पर उतरना था। लगता यह है कि बादलों के कारण पायलट को रास्ता खोजने के लिए निचली सतह पर आना पड़ा। हेलिकॉप्टर के रोटर के कारण पेड़ों की शाखाएं तेजी से हिलती हैं। ऐसे में अच्छे-अच्छे पायलटों को दृष्टिभ्रम हो जाता है। सवाल यह है कि क्या इस उड़ान को रोकने की कोशिश हुई थी या नहीं?

कुछ लोगों ने इसके पीछे तोड़फोड़ और साजिश की संभावना भी व्यक्त की है।  उसका पता भी लगाना जरूरी है, पर अटकलें लगाने की जरूरत नहीं है। जनरल विपिन रावत इन दिनों भारतीय सेनाओं की रणनीति में परिवर्तन, पुनर्गठन, आधुनिकीकरण और थिएटर कमांड की रचना के काम में लगे थे। उनके निधन से इस काम को कहीं न कहीं धक्का तो लगेगा। पर इन बातों का जवाब जाँच से ही मिलेगा। जनवरी 1966 में जब देश के शीर्ष नाभिकीय वैज्ञानिक डॉ होमी जहाँगीर भाभा की विमान दुर्घटना में मृत्यु हुई थी, तब भी आशंकाएं व्यक्त की गई थीं।

Wednesday, February 20, 2013

खतरा ! वीआईपी आ रहा है


वीआईपीवाद से मुक्ति चाहती है जनता
इंटरनेट ने सामान्य व्यक्ति के दुख-दर्द को उजागर करने का काम किया है। एक ब्लॉगर ने लिखा, लगता है कि वीआईपी होने का सुख जिसे भी मिलता हो, पर उसका दुख पूरा शहर सहन करता है। कुछ साल पहले कानपुर में प्रधानमंत्री के दौरे के दौरान ट्रैफिक में फँसा एक घायल बच्चा समय पर अस्पताल नहीं पहुंच सका और उसकी मौत हो गई। इसी तरह प्रधानमंत्री का चंड़ीगढ़ दौरा एक मरीज का मौत का कारण बन गया था। गम्भीर रूप से बीमार व्यक्ति को पुलिस वालों ने इसलिए नहीं जाने दिया क्योंकि प्रधानमंत्री का काफिला उधर से गुजरने वाला था। गुर्दे का मरीज होने की वजह से वह हर महीने पीजीआई खून बदलवाने के लिए जाया करता था। उसके परिजनों ने पुलिस वालों को लाख समझाया, पर उनकी नहीं सुनी गई। भारत जैसी वीआईपी सुरक्षा शायद दुनिया के किसी देश में नहीं होगी। एम्बुलेंस को रास्ता देना आधुनिकता का प्रतीक है, पर आप देश की राजधानी में अक्सर वीआईपी मूवमेंट के कारण रोके गए ट्रैफिक में फँसी एम्बुलेंसों को देख सकते हैं। इंडिया गेट के पास से गुजरते वीआईपी के लिए रुके ट्रैफिक के कारण कनॉट प्लेस में लगे जाम को देख सकते हैं। आम जनता के जरूरी काम, इंटरव्यू, डॉक्टरों से अपॉइंटमेंट, मीडिंग सब बेकार हैं। सबसे ज़रूरी है साहब बहादुर की सवारी।