सुहेल शाहीन
तालिबान को वैश्विक मान्यता मिलेगी या नहीं,
इसका अनुमान संयुक्त राष्ट्र महासभा की सालाना बैठक के दौरान लगाया जा सकेगा।
तालिबान शासन ने संरा से
अनुरोध किया है कि हमारे प्रतिनिधि को महासभा में बोलने की अनुमति दी जाए।
इसके लिए उन्होंने दोहा स्थित अपने प्रवक्ता सुहेल शाहीन को प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त
कर दिया है। संरा की एक प्रामाणिकता (क्रेडेंशियल) समिति अब इस अनुरोध पर
फैसला करेगी। इस समिति के नौ सदस्यों में अमेरिका, चीन और रूस के प्रतिनिधि भी
शामिल हैं।
इस समिति
की बैठक अगले सोमवार यानी 27 सितम्बर के पहले नहीं होगी। अमेरिका का कहना है
कि हम इस विषय पर काफी सावधानी से विचार करेंगे। बहरहाल लगता यही है कि फिलहाल अफगानिस्तान
के स्थायी प्रतिनिधि गुलाम इसाकज़ई ही अफगानिस्तान का प्रतिनिधित्व करते रहेंगे,
जो पिछली सरकार द्वारा नियुक्त हैं। इस बात की सम्भावना लग रही है कि 27 को वे
अफगानिस्तान की ओर से वक्तव्य देंगे। संरा सुरक्षा परिषद की बैठकों में भी वही
शामिल हुए थे। तालिबान ने अपने अनुरोध में कहा है कि वे अफगानिस्तान के प्रतिनिधि
नहीं हैं। दुनिया के अनेक देशों की सरकारें उस सरकार को मान्यता नहीं देती हैं,
जिसने उन्हें नियुक्त किया था।
अब संयुक्त राष्ट्र के सामने सवाल है कि तालिबान के अनुरोध को स्वीकार करने का मतलब क्या नई सरकार को मान्यता देना नहीं होगा? इससे तालिबान को एक वैधानिक मंच मिल जाएगा। उधर संयुक्त राष्ट्र महासभा के हाशिए पर होने वाली दक्षेस देशों की बैठक इस साल नहीं हो पाएगी, क्योंकि यह तय नहीं हो सका है कि इस बैठक में अफगानिस्तान का प्रतिनिधित्व कौन करेगा। तालिबान या अशरफ ग़नी सरकार का प्रतिनिधि?