हमारा देश पर्वों और त्योहारों का देश है। मौसम और समय के साथ सभी पर्वों का महत्व है, पर इस समय जो पर्व-समुच्चय मनाया जा रहा है, उसका तुलना दुनिया के किसी भी समारोह से संभव नहीं है। श्री, समृद्धि, स्वास्थ्य और स्वच्छता का यह समारोह हमारे पूर्वजों के विलक्षण सोच-समझ को व्यक्त करता है। देश के सभी क्षेत्रों में ये पर्व अपने-अपने तरीके से मनाए जाते हैं, पर उत्तर भारत में इनका आयोजन खासतौर से ध्यान खींचता है। इसमें शामिल पाँच महत्वपूर्ण पर्वों में सबसे पहले धनतेरस आता है, जो इस साल कल 10 नवंबर को मनाया गया।
माना जाता है कि इस दिन भगवान धन्वंतरि हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान धन्वंतरि का जन्म समुद्र मंथन से हुआ था। धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि हाथ में सोने का अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। धन्वंतरि को प्राकृतिक चिकित्सक माना जाता है। धनतेरस के दिन नए झाडू, बर्तन, सोना चाँदी के आभूषण को खरीदना शुभ माना जाता है। दुनिया के सबसे बड़े सोने के उपभोक्ता देश भारत में इस साल सोने तथा चांदी की खरीदारी सोने की कीमतों में नरमी के साथ उपभोक्ता माँग में सुधार के चलते सकारात्मक रही। बाजार की रौनक को देखते हुए लगता है कि देश में समृद्धि का विस्तार होता जा रहा है।