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Saturday, June 14, 2025

सुंदर सपनों का असमय टूट जाना

दुर्घटनाओं में हताहतों की सूची कुछ संख्याओं और कुछ नाम और पतों की जानकारी देती है। इनसे जुड़ी हृदय-विदारक कहानियाँ और भावनाएँ छिपी रह जाती हैं। हरेक प्रभावित-व्यक्ति के साथ संबंधों-संपर्कों और भावनाओं का लंबा सिलसिला होता है। एक दुर्घटना के साथ अनेक कहानियों, उपन्यासों और महाकाव्यों का अंत एक झटके में हो जाता है। इनमें से कुछ का ज़िक्र अखबारों और चैनलों में होता है और बहुत सी कहानियाँ बगैर किसी चर्चा के खत्म हो जाती हैं। ज्यादातर के भीतर छिपी गहरी वेदना अव्यक्त रह जाती है। ज्यादा से ज्यादा एक या दो दिन हम इन्हें याद रखते हैं और फिर दुनिया आगे बढ़ जाती है।

भारत के छोटे-छोटे गाँवों और कस्बों के छोटे-छोटे लोगों की उम्मीदों, सपनों और दुश्वारियों की किताबें खुल रहीं हैं। ड्राइंग रूमों से लेकर सड़क किनारे पड़ी मचिया के पास रखे टीवी सेट पर उम्मीदों की टकटकी लगाए करोड़ों लोग इसमें शामिल हैं। ऐसे में कुछ दुख भरी खबरें सुनाई पड़ती हैं, तो मन खिन्न हो जाता है। ऐसा ही कुछ अहमदाबाद में हुई विमान-दुर्घटना के बाद सुनाई पड़ रहा है।

इस हादसे में बचे एकमात्र यात्री विश्वास कुमार रमेश की कहानी भी अकल्पनीय है। वे कैसे बचे, वे खुद नहीं जानते। रमेश के भाई ने बताया कि दुर्घटना के कुछ समय फोन कॉल में रमेश ने अपने परिवार से कहा, मुझे नहीं पता कि मैं कैसे जीवित हूँ। दूसरी तरफ इस दुर्घटना ने तमाम सपनों को तोड़ा और घर-परिवारों में विषाद की गहरी लकीर खींच दी। ऐसी तमाम कहानियाँ अहमदाबाद में हुई विमान-दुर्घटना के साथ खत्म हो गईं। इनमें राहत और बचाव से जुड़ी सकारात्मक कहानियाँ भी शामिल हैं।  

सेवानिवृत्ति से कुछ महीने दूर एक पायलट, ग्यारह वर्ष से अधिक अनुभव वाली एक फ्लाइट अटेंडेंट, केबिन क्रू में शामिल दो मणिपुरी लड़कियों की कहानी और पनवेल की एक युवा फ्लाइट अटेंडेंट जो अपने गाँव की असंख्य युवा लड़कियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई थी। वे उन 12 सदस्यीय चालक दल में शामिल थे, जो एयर इंडिया के इस ड्रीमलाइनर के साथ काल-कवलित हो गए। गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की भी अहमदाबाद विमान हादसे में मौत हो गई। वे अपनी पत्नी अंजलि और बेटी से मिलने जा रहे थे।

Wednesday, November 23, 2011

गाँव-गाँव, गली-गली फैलती एक स्वप्न-क्रांति

सेकंडों में सुपर स्टार बनाने वाला जादू
लुधियाना के रविन्दर रवि साधारण पेंटर थे। घरों में पेंटिंग करके कमाई करते थे। खाली वक्त में गाना उसका शौक था। 17 अगस्त 2004 को सुबह साढ़े दस बजे लुधियाना से दिल्ली आने वाली बस का टिकट खरीदने के लिए उन्हें 300 रु उधार लेने पड़े थे। दिल्ली के नेशनल स्टेडियम में इंडियन आयडल का ऑडीशन था। रविन्दर को इंडियन आयडल में जगह मिली। जब यह शो शुरू हुआ तब उनकी कहानी सुनने के बाद जनता की हमदर्दी ने इस प्रतियोगिता में काफी दूर तक पहुँचा दिया। अब वे प्रतिष्ठित गायक हैं।

मध्य प्रदेश के पन्ना जिले की अजयगढ़ तहसील के महेन्द्र सिंह राठौर साधारण परिवार से आते हैं। वे जब बोलते हैं तो कभी-कभी हकला जाते हैं। यह कंठ-दोष उनकी निराशा का कारण बन गया। नौकरी की लिखित प्रतियोगिताओं में बार-बार सफल होने के बावज़ूद उन्हें इंटरव्यू में बाहर कर दिया जाता। आखिर उन्हें कांट्रैक्ट टीचर की नौकरी मिली। वह भी इसलिए कि उसमे लिखित परीक्षा थी, इंटरव्यू नहीं। ‘कौन बनेगा करोड़पति’ के ताज़ा दौर में इसी 3 नवम्बर को जैसे ही फास्टेस्ट फिंगर फर्स्ट में नाम घोषित हुआ उन्होंने हवा में उसी तरह मुक्का घुमाया जैसे खेल-चैम्पियन घुमाते हैं। दौड़ते हुए उन्होंने अमिताभ बच्चन को गोदी में उठा लिया, ‘सर जी बहुत इंतज़ार कराया आपने।‘ महेन्द्र सिंह ने बताया कि ज़िन्दगी के हर मोड़ पर मैं हारता आया हूँ। पिछले ग्यारह साल से वे इस कार्यक्रम में शामिल होने की कोशिश कर रहे हैं। इधर तो अपने मोबाइल फोन को हर रोज एक हजार रुपए से रिचार्ज करा रहे थे, वह भी उधारी पर। उनका दावा है कि आपके पास इतनी कॉल कहीं से नहीं आई होंगी। महेन्द्र सिंह के साथ सैट पर मौज़ूद तमाम लोगों की आँखों में आँसू थे।