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Sunday, October 17, 2021

बीएसएफ के अधिकारों को लेकर विवाद क्यों?


केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने हाल में पश्चिम बंगाल
, असम और पंजाब में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अधिकार क्षेत्र का विस्तार किया है, जिसे लेकर राजनीतिक सवाल उठाए जा रहे हैं। खासतौर से पंजाब और पश्चिम बंगाल की सरकारों ने इसकी आलोचना की है। इन राज्यों का कहना है कि कानून और व्यवस्था राज्य का विषय है, इसलिए बीएसएफ अधिकार के क्षेत्र में बढ़ोतरी राज्य सरकार की शक्तियों का उल्लंघन है। केन्द्र के इस कदम का विरोध करने के पहले देखना यह भी होगा कि इसके पीछे उद्देश्य क्या है। हाल में पंजाब और जम्मू-कश्मीर में हुई घटनाओं पर खासतौर से ध्यान देना होगा। 

पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने ट्वीट कर कहा, मैं अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से लगे 50 किलोमीटर के दायरे में बीएसएफ को अतिरिक्त अधिकार देने के सरकार के एकतरफा फैसले की कड़ी निंदा करता हूं, जो संघवाद पर सीधा हमला है। मैं केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह से इस तर्कहीन फैसले को तुरंत वापस लेने का आग्रह करता हूं।

कांग्रेस के महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन में कहा, मुझे बताएँ कि क्या कारण है कि पंजाब जैसे प्रांत में आप आधे इलाक़े को 50,000 किलोमीटर में से 25,000 किलोमीटर में पंजाब की सरकार के अधिकार, वहाँ के पुलिस के अधिकार को छीन लेते हैं, आप पंजाब के मुख्यमंत्री से बात ही नहीं करते? आप बंगाल और असम के मुख्यमंत्रियों से, वहाँ की चुनी हुई सरकारों से अधिकार छीन लेते हैं, आप उनकी मीटिंग ही नहीं बुलाते, उनसे राय-मशविरा ही नहीं करते। क्या इस देश में लोकतंत्र, प्रजातंत्र, संघीय ढाँचा ऐसे चलेगा? सच्चाई ये है कि किसी ना किसी छद्म नाम से विपक्ष के अधिकारों को छीन रहे हैं और चुनी हुई सरकारों को वो पूरी तरह से चकनाचूर करने का षड़यंत्र कर रहे हैं। 

सीमा पर बढ़ती गतिविधियाँ

दूसरी तरफ बीएसएफ के क्षेत्र-विस्तार के पीछे केन्द्र सरकार का मंतव्य है कि सीमा पर बढ़ती देश-विरोधी गतिविधियों को रोकने के लिए ऐसा करना जरूरी है। अब मजिस्ट्रेट के आदेश और वॉरंट के बिना भी बीएसएफ इस अधिकार क्षेत्र के अंदर गिरफ्तारी और तलाशी अभियान जारी रख सकता है। गृह मंत्रालय का दावा है कि सीमा पार से हाल ही में ड्रोन से हथियार गिराए जाने की घटनाओं को देखते हुए बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में विस्तार करने का कदम उठाया गया है।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने दावा किया, राजनीतिक रूप से यह बेहद संवेदनशील कदम है। बीएसएफ का मुख्य उद्देश्य सीमाओं की रक्षा करना और घुसपैठ को रोकना है। हाल के मामलों ने देखा गया है कि बीएसएफ सीमा रेखा की रक्षा करने में नाकाम रही है। इस कदम से बीएसएफ की तलाशी और जब्ती के दौरान उनका स्थानीय पुलिस और ग्रामीणों के साथ टकराव हो सकता है। बीएसएफ की ड्यूटी सीमा चौकियों के आसपास रहती है, लेकिन इन नई शक्तियों के साथ वे कुछ राज्यों के अधिकार क्षेत्र में भी काम करेंगे।

दूसरी तरफ सीमा सुरक्षा बल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, इस कदम के बाद यदि हमारे पास किसी भी मामले में खुफिया जानकारी होगी, तो हमें स्थानीय पुलिस के जवाब का इंतजार नहीं करना पड़ेगा और हम समय पर निवारक कार्रवाई कर सकेंगे हैं। नई अधिसूचना के अनुसार, बीएसएफ अधिकारी पश्चिम बंगाल, पंजाब और असम में गिरफ्तारी और तलाशी ले सकेंगे। बीएसएफ को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), पासपोर्ट अधिनियम और पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम के तहत यह कार्रवाई करने का अधिकार मिला है। असम, पश्चिम बंगाल और पंजाब में बीएसएफ को राज्य पुलिस की तरह ही तलाशी और गिरफ्तारी का अधिकार मिला है।