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| विक्रम रॉकेटों की सीरीज़ और अग्निबाण |
गत 18 नवंबर को भारत के निजी क्षेत्र के पहले अंतरिक्ष रॉकेट के प्रक्षेपण के साथ इसरो और हैदराबाद की कंपनी स्काईरूट ने इतिहास रच दिया। स्काईरूट एयरोस्पेस के रॉकेट विक्रम-एस की यह परीक्षण उड़ान थी। इसे नाम दिया गया मिशन प्रारंभ। इस मिशन के तीन पेलोड थे और यह सब ऑर्बिटल मिशन था। इसके बाद 28 नवंबर को देश के प्राइवेट सेक्टर के पहले लांचपैड का श्रीहरिकोटा में उद्घाटन हुआ। चेन्नई के स्टार्टअप अग्निकुल कॉस्मॉस ने सतीश धवन स्पेस सेंटर, श्रीहरिकोटा में इस लांचपैड और मिशन कंट्रोल सेंटर की स्थापना की है। इसका उद्घाटन 28 नवंबर को इसरो के ध्यक्ष एस सोमनाथ ने किया।
इस व्यवस्था के दो अंग हैं। एक, अग्निकुल
लांचपैड और दूसरा अग्निकुल मिशन कंट्रोल सेंटर। दोनों के बीच चार किलोमीटर की दूरी
है। लांचपैड में लिक्विड स्टेज-कंट्रोल्ड लांच किए जा सकते हैं। अग्निकुल ने यहाँ
से अग्निबाण रॉकेटों के प्रक्षेपण की योजना बनाई है। अग्निकुल स्टार्टअप की योजना
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-मद्रास में बनाई गई थी और इससे, यह साल खत्म होने से पहले अग्निबाण रॉकेट को प्रक्षेपित करने की भी
योजना है।
कंपनी ने ट्वीट किया, ‘‘श्रीहरिकोटा
में हमारे पहले लांचपैड और मिशन नियंत्रण केंद्र के निर्माण का अवसर पाकर हम
सम्मानित और प्रसन्न हैं जिसका उद्घाटन इसरो अध्यक्ष ने किया है। यहां से अग्निकुल
के प्रक्षेपण किए होंगे। इसरो और इनस्पेस का इस मूल्यवान सहयोग के लिए शुक्रिया।’’
सोमनाथ ने कहा, ‘‘सतीश
धवन अंतरिक्ष केंद्र में एक निजी प्रक्षेपण यान के लिए पहला विशेष लांचपैड तैयार
किया गया है। अब, भारत एक और अंतरिक्ष प्लेटफॉर्म से अंतरिक्ष
की यात्रा कर सकता है। इसके लिए अग्निकुल का शुक्रिया।’’ अग्निकुल के सह-संस्थापक
और मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) श्रीनाथ रविचंद्रन ने कहा, ‘‘हमारे अंतरिक्ष यानों को उस केंद्र से प्रक्षेपित करना अग्निकुल में
हम सभी के लिए सपने के सच होने जैसा है जिसे हमने डिजाइन किया है और खुद बनाया
है।’’
स्टार्टअप के एक बयान के अनुसार, इस पैड से अग्निकुल का पहला प्रक्षेपण नियंत्रित और दिशा-निर्देशित
मिशन होगा। अग्निबाण ऐसा दो स्तर वाला रॉकेट है जिसे अपनी जरूरत के हिसाब से बदला
जा सकता है। इसमें 100 किलोग्राम तक पेलोड को करीब 700 किलोमीटर ऊंचाई तक कक्षाओं
में ले जाने की क्षमता है।
चेन्नई से संचालित स्टार्टअप ने दुनिया का पहला
एक भाग वाला 3डी प्रिंट इंजन अग्निलेट भी विकसित किया है। रविचंद्रन ने 2017 में
मोइन एसपीएम और आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर एस आर चक्रवर्ती के साथ मिलकर अग्निकुल
की स्थापना की थी।
देश के निजी क्षेत्र का पहला उपग्रह विक्रम-एस उप-कक्षीय उड़ान में चेन्नई के स्टार्टअप स्पेस किड्ज, आंध्र प्रदेश के स्टार्ट-अप एन-स्पेस टेक और आर्मेनियाई स्टार्ट-अप बाजूमक्यू स्पेस रिसर्च लैब के तीन पेलोड ले गया था। यानी पृथ्वी की सतह से 69.5 किलोमीटर की अधिकतम ऊँचाई तक रॉकेट समुद्र में गिर गया। इसरो ने इस मिशन के प्रक्षेपण के लिए स्काईरूट एयरोस्पेस को 12 नवंबर से 16 नवंबर का विंडो दिया था, लेकिन मौसम को देखते हुए इसका प्रक्षेपण 18 नवंबर को सुबह 11.30 बजे किया गया।



The Indian Space Research Organisation has launched the first test flight of its newest rocket – the GSLV Mk.III – on Thursday, conducting a suborbital flight that also demonstrated a prototype crew capsule (CARE) for India’s proposed manned missions. Liftoff from the Satish Dhawan Space Centre occurred at 09:30 local time (04:00 UTC).
For Thursday’s mission only the first stage and boosters were live, while the inert second stage was loaded with liquid nitrogen to simulate propellant.