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Friday, May 23, 2025

आईएमएफ की सदाशयता या पाखंड?


पहलगाम हत्याकांड के बाद जिस समय भारत ऑपरेशन सिंदूर चला रहा था, उसी समय अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) पाकिस्तान को एक अरब डॉलर के कर्ज क स्वीकृति दे रहा था. भारत के विरोध के बावज़ूद आईएमएफ के एक्ज़िक्यूटिव बोर्ड ने इसे मंज़ूरी दे दी.

आईएमएफ़ के नियम किसी प्रस्ताव के ख़िलाफ़ वोट करने का अधिकार नहीं देते इसलिए बोर्ड के सदस्य या तो पक्ष में वोट दे सकते हैं या अनुपस्थित रह सकते हैं. जो भी फ़ैसले हैं वे बोर्ड में आम सहमति के आधार पर किए जाते हैं.

जब पाकिस्तान को, जिसके आंगन में कभी कुख्यात ओसामा बिन लादेन रहता था, अपने विशाल पड़ोसी भारत के साथ तनाव के चरम पर एक अरब डॉलर का पैकेज दिया जाता है, तो इसके पीछे के कारणों पर गंभीरता से विचार करने की ज़रूरत है.

भारत के विरोध को देखते हुए मुद्राकोष ने अगली किस्त जारी करने के लिए पाकिस्तान पर 11 नई शर्तें भी लगाई हैं. आईएमएफ ने पाकिस्तान को चेताया है कि भारत के साथ तनाव से योजना के राजकोषीय, वाह्य और सुधार लक्ष्यों के लिए जोखिम बढ़ सकते हैं.

पाकिस्तान पर लगाई गई नई शर्तों में 17,600 अरब रुपये के नए बजट को संसद की मंजूरी, बिजली बिलों पर ऋण भुगतान अधिभार में वृद्धि और तीन साल से अधिक पुरानी कारों के आयात पर प्रतिबंध को हटाना शामिल है.

सवाल है कि वैश्विक-व्यवस्था ने पाकिस्तान की आतंकी-गतिविधियों की अनदेखी क्यों की और आईएमएफ के फैसले के पीछे कोई संज़ीदा दृष्टि है या शुद्ध-पाखंड? इस सवाल का जवाब देने के पहले हमें वर्तमान स्थितियों पर नज़र डालनी होगी.  

Friday, October 16, 2020

क्या हम बांग्लादेश से भी गरीब हो गए हैं?

सोशल मीडिया को पढ़ें, तो कुछ लोगों का ऐसा ही निष्कर्ष है। यह निष्कर्ष अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के नवीनतम वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक से निकाला गया है। जीडीपी से जुड़े आँकड़ों के प्रति व्यक्ति औसत के आधार पर ऐसा निष्कर्ष निकाला जरूर जा सकता है, पर उसके साथ कुछ बातों को समझने की जरूरत भी है। 

एक तो यह कि जीडीपी की गणना नॉमिनल और पर्चेजिंग पावर पैरिटी (पीपीपी) दो तरह से की जाती है। दोनों लिहाज से भारत की अर्थव्यवस्था बांग्लादेश के मुकाबले कई गुना बड़ी है। जो आँकड़े हम देख रहे हैं, वे नॉमिनल आधार पर प्रति व्यक्ति औसत पर आधारित हैं। पीपीपी के आधार पर वह भी नहीं है। दूसरे ऐसा अनुमान है। अभी इस साल के करीब साढ़े पाँच महीने बाकी हैं। उनमें क्या होगा, कहना मुश्किल है। आईएमएफ के दूरगामी परिणामों पर नजर डालें, तो भारत और बांग्लादेश दोनों का भविष्य अच्छा है। बेशक हम गरीब हैं और ऊपर उठने का प्रयास कर रहे हैं।