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Monday, January 15, 2018

राष्ट्रीय एकीकरण की धुरी भी है हमारी सेना

आज हम 70वाँ सेना दिवस मना रहे हैं. सन 1949 में 15 जनवरी को सेना के पहले भारतीय कमांडर-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल केएम करियप्पा ने आखिरी ब्रिटिश सी-इन-सी जनरल सर फ्रांसिस बूचर से कार्यभार संभाला था. सेना दिवस मनाने के पीछे केवल इतनी सी बात नहीं है कि भारतीय जनरल ने अंग्रेज जनरल के हाथों से कमान अपने हाथ में ले ली. देश स्वतंत्र हुआ था, तो यह कमान भी हमें मिलनी थी. महत्वपूर्ण था भारतीय सेना की भूमिका में बदलाव. 
अंग्रेजी शासन की सेना और स्वतंत्र भारत की सेना में गुणात्मक अंतर है. इस बदलाव को हमें देखना चाहिए. सेना केवल देश की रक्षा ही नहीं करती, बल्कि जीवन और समाज में भी उसकी भूमिका है. इस सेना की एक बड़ी विशेषता है, इसकी अ-राजनीतिक प्रकृति. तीसरी दुनिया के ज्यादातर देशों की सेनाओं की राजनीतिक भूमिका रही है. वे सत्ता चाहती हैं. हमारी सेना पूरी तरह अ-राजनीतिक है. अपने आप में यह विविध-विशाल भारत का लघु रूप है. यह देश की धार्मिक, जातीय और भाषागत विविधता का कुशलता और सफलता के साथ समन्वय करती है.  

Wednesday, September 20, 2017

सेना से जुड़ी जन-भावनाएं

वायु सेना के मार्शल अर्जन सिंह के अंतिम संस्कार के समय सरकारी व्यवस्था पर प्रेक्षकों ने खासतौर से ध्यान दिया है. उनके अंतिम संस्कार के पहले रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन ने बरार स्क्वायर पहुंच कर उन्हें अंतिम विदाई दी. रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनके घर जाकर श्रद्धांजलि दी. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी बरार स्क्वायर पहुंच कर श्रद्धांजलि दी. सेना के तीनों अंगों के प्रमुख भी उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए मौजूद रहे. तमाम केन्द्रीय मंत्री और अधिकारी उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुँचे. मीडिया ने काफी व्यापक कवरेज दी.