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इस हफ्ते के ज्यादातर फैसलों के भी प्रत्यक्ष
और परोक्ष राजनीतिक निहितार्थ हैं. पर दो मामले ऐसे हैं, जो स्त्रियों के अधिकारों
और परम्परागत समाज के अंतर्विरोधों से जुड़े हैं. कुछ समय पहले सुप्रीम कोर्ट ने
समलैंगिकों के अधिकारों की रक्षा करते हुए एक बड़ा फैसला सुनाया था. लगभग उसी
प्रकार का एक फैसला इस हफ्ते व्यभिचार (विवाहेतर सम्बंध) से जुड़ा है. हमारे देश
में व्यभिचार आईपीसी की धारा 497 के तहत अपराध है, पर यह धारा केवल पुरुषों पर
लागू होती है. इसे रद्द करने की माँग पुरुषों को राहत देने के अनुरोध से की गई थी.
अलबत्ता अदालत ने इसे स्त्रियों के वैयक्तिक अधिकार से भी जोड़ा है.