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Wednesday, July 6, 2022

दुनिया का आधे से ज्यादा अनाज इंसानों के पेट में क्यों नहीं जाता?


पिछले महीने खबर थी कि यूक्रेन की सेना ने मारियुपोल स्थित भंडार से टनों अनाज जला दिया। ऐसा इसलिए किया, क्योंकि रूसी सेना की बढ़त के कारण मारियुपोल पर से धीरे-धीर यूक्रेन की सेना का कब्जा खत्म हो रहा था। यह अनाज दोनेत्स्क और रूसी सेना के कब्जे में न चला जाए, इसलिए उसे फूँकना उचित समझा गया। इसमें गेहूँ और मक्का दोनों अनाज थे। इसमें कई दिन तक आग लगी रही।

यूक्रेन और रूस के युद्ध के कारण दुनिया के अनेक देशों में अन्न का संकट पैदा हो गया है। मसलन मिस्र का उदाहरण लें, जो पिछले कई वर्षों से अपने इस्तेमाल का 80 फीसदी अनाज रूस और यूक्रेन से खरीदता रहा है। लड़ाई के कारण इन दोनों देशों से अनाज लाने में दिक्कतें हैं। यूक्रेन की गिनती दुनिया के सबसे बड़े अनाज निर्यातक देशों में होती है। यूक्रेन और रूस दुनिया क 30 प्रतिशत गेहूं, 20 प्रतिशत मक्का और सूरजमुखी के बीज के तेल क 75 से 80 प्रतिशत की आपूर्ति करते हैं।

विश्व खाद्य कार्यक्रम, अपनी सेवाओं के लिए 50 प्रतिशत अनाज यूक्रेन से खरीदता है, पर जिन खेतों में ट्रैक्टर चलते थे, उनमें टैंक चल रहे हैं। 2021 में यूक्रेन में 10.6 करोड़ टन अन्न और तिलहन का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ था। इसमें 4.21 करोड़ टन मक्का और 3.22 टन गेहूँ था। अब वहाँ की सरकार का कहना है कि इस साल करीब साढ़े छह टन अनाज और तिलहन ही पैदा हो पाएगा। चूंकि ब्लैक सी की रूसी सेना ने नाकेबंदी कर रखी है, इसलिए निर्यात में भी दिक्कतें हैं।

पर्याप्त अन्न है

ऐसे में यह बात मन में आती है कि रूस और यूक्रेन की कमी को पूरा करने के लिए दुनिया के दूसरे इलाकों में अन्न-उत्पादन बढ़ाना चाहिए। विश्व में इतना अनाज है कि सारे इंसानों का पेट भरने के बाद भी वह बचा रहेगा। यूक्रेन और रूस में जितना अन्न उत्पादन होता है, उसका छह गुना या उससे भी ज्यादा दुनिया जानवरों को खिला देती है, या बायोफ्यूल के रूप में फूँक देती है। दुनिया में पैदा होने वाला आधे से ज्यादा अनाज मनुष्यों की भूख मिटाने के काम नहीं आता।