Showing posts with label हरभूमि. Show all posts
Showing posts with label हरभूमि. Show all posts

Sunday, August 26, 2018

जनता के भरोसे को कायम नहीं रख पाई ‘आप’

हाल में पहले आशुतोष और फिर आशीष खेतान के इस्तीफों की खबर मिलने के बाद आम आदमी पार्टी फिर चर्चा में है। दोनों नेताओं ने इस मामले में सफाई नहीं दी। आशुतोष ने इसे निजी मामला बताया और खेतान ने कहा कि मैं वकालत के पेशे पर ध्यान लगाना चाहता हूँ, इसलिए सक्रय राजनीति छोड़ रहा हूँ। न इस्तीफों पर अभी फैसला नहीं हुआ है। यानी कि किसी स्तर पर मान-मनौवल की उम्मीदें अब भी हैं। बहरहाल फैसला जो भी हो, आम आदमी पार्टी को लेकर तीन सवाल खड़े हो रहे हैं। बड़ी तेजी से बढ़ने के बाद क्या यह पार्टी अब गिरावट की ओर है? क्या इस गिरावट के कारण वैकल्पिक राजनीति के प्रयासों के धक्का लगेगा? तीसरे क्या वजह है, जो ऐसी नौबत आई?
 द प्रिंट में प्रकाशित इस लेख को भी पढ़ें 
पार्टी के हमदर्द कह सकते हैं कि गिरावट है ही नहीं और जो हो रहा है, वह सामान्य राजनीतिक प्रक्रिया है। सभी पार्टियों में ऐसा होता है। बात सही है, पर इसे क्या दूसरे दलों की तरह होना चाहिए? आने-जाने की भी कोई इंतहा है। पिछले कुछ समय में इसकी भीतरी खींचतान कुछ ज्यादा ही मुखर हुई है। पार्टी से हटने की प्रवृत्तियाँ अलग-अलग किस्म की हैं। कुछ लोग खुद हटे और कुछ हटाए गए। योगेन्द्र यादव, प्रशांत भूषण और आनन्द कुमार का हटना बड़ी परिघटना थी, जिससे पार्टी टूटी तो नहीं, पर उससे इतना जाहिर जरूर हुआ कि इसकी राजनीति इतनी ‘नई’ नहीं है, जितनी बताई जा रही है। पार्टी ने इस प्रकार के प्रश्नों पर विचार करने के लिए जो व्यवस्था बनाई थी, वह विफल हो गई। वस्तुतः पार्टी की एक केन्द्रीय हाईकमान नजर आने लगी।