शनिवार 11 सितम्बर को काबुल विश्वविद्यालय के लेक्चर रूम में तालिबान समर्थक करीब 300 अफगान महिलाएं इकट्ठा हुईं थी। सिर से पांव तक पूरी तरह से ढंकी ये महिलाएं हाथों में तालिबान का झंडा लिए हुए थीं। इस दौरान कुछ महिलाओं ने मंच से संबोधित कर तालिबान के प्रति वफादारी की कसमें भी खाईं। इन अफगान महिलाओं की तस्वीरों ने इस्लामिक अमीरात में महिलाओं के अधिकारों और सम्मान की झलक दिखाई है। कोई इनके हाथ को न देख सके इसके लिए उन्होंने काले रंग के दस्ताने पहन रखे थे। इन महिलाओं ने वायदा किया कि वे लैंगिक अलगाव की तालिबान-नीति का पूरी तरह पालन भी करेंगी।
इसके पहले 2 सितम्बर को अफगानिस्तान के पश्चिमी हेरात प्रांत में गवर्नर कार्यालय के बाहर लगभग तीन दर्जन महिलाओं ने प्रदर्शन किया। उनकी मांग थी कि नई सरकार में महिला अधिकारों के संरक्षण को प्राथमिकता दी जाए। इस रैली की आयोजक फ्रिबा कबरजानी ने कहा कि ‘लोया जिरगा’ और मंत्रिमंडल समेत नई सरकार में महिलाओं को राजनीतिक भागीदारी मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अफगान महिलाएं आज जो कुछ भी हैं, उसे हासिल करने के लिए उन्होंने पिछले 20 साल में कई कुर्बानियां दी हैं। कबरजानी ने कहा, “हम चाहते हैं कि दुनिया हमारी सुने और हम अपने अधिकारों की रक्षा चाहते हैं।”